भोपाल/मध्यप्रदेश में शराब दुकानों के विरोध और शराबबंदी को लेकर सामाजिक जागरूकता अभियान के बीच शिवराज सरकार ने राज्य में शराब के अहातों को पूरी तरह बंद करने का फैसला किया है। अगले वित्तीस वर्ष के बजट से ठीक पहले और इसी साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से कुछ ही माह पूर्व हुए इस फैसले को सामाजिक और राजनीतिक दोनों लिहाज से महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मध्यप्रदेश में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए तैयार हो रही आबकारी नीति में देशी और विदेशी मदिरा की दुकानें तो होंगी, लेकिन अहाते अब नहीं होंगे। एक तरफ जहां नए अहातों को अनुमति नहीं दी जाएगी, वहीं पुराने सभी अहाते एवं शॉप बार भी बंद किए जाएंगे।
रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की विशेष बैठक में यह फैसला किया गया। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से चर्चा में बताया कि मप्र में शराब बिक्री को हतोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। 2010 के बाद से प्रदेश में शराब की एक भी नई दुकान नहीं खोली गई है, बल्कि बंद ही की गई हैं। अगले वर्ष की मदिरा नीति भी मदिरा के सेवन को हतोत्साहित करने वाली ही होगी। अब शॉप-बार पर बैठकर मदिरा पीने की अनुमति भी नहीं होगी, इन्हें भी बंद किया जा रहा है। मदिरा की दुकानों पर सिर्फ मदिरा बेची जा सकेगी, यहां बैठकर शराब का सेवन नहीं किया जा सकेगा।
प्रदेश में सभी धार्मिक संस्थाओं, कन्या विद्यालय, कन्या महाविद्यालय, कन्या छात्रावास से शराब दुकान की दूरी को 50 मीटर से बढ़ाकर सौ मीटर किए जाने के अलावा इसमें सभी प्रकार की शैक्षणिक संस्थाएं शामिल की गई हैं। शराब पीकर वाहन चलाने वालों के ड्रायविंग लायसेंस निलंबित करने के प्रावधनों को कड़ा किया है। बैठक में शराब के नशे में खतरनाक ढंग से वाहन चलाने वालों की सजा बढ़ाने पर भी विचार हुआ।