फ्रांस के एक पत्रकार ने आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़ चुके युवाओं पर डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए जो तरीका चुना उसे जानकार आप हैरत में पड़ जाएंगे। इस डॉक्यूमेंट्री का नाम है Allah’s Soldiers यानी ‘अल्लाह के सैनिक’।
हाल ही में इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर जो कहानी सामने आई है वह चौंकाने वाली है। आतंकियों के दिमाग में आखिर क्या चलता है, इसे जानने के लिए यह पत्रकार छह महीने तक आतंकी बनकर उनके बीच रहा और जेल में बंद जिहादियों से की गई बातों को एक छुपे हुए कैमरे में कैद किया। पत्रकार ने फिल्म शूट के लिए अपना नाम बदलकर सईद रम्जी रख लिया था ताकि कोई उसकी असलियत न पहचान सके।
रम्जी ने खुद को पेरिस में 13 नवंबर को हमला करने वाले आतंकियों का साथी बताया। उसने कहा कि आतंकी कैंप में इस्लाम के लिए कोई जगह नहीं है। वहां सिर्फ भटके हुए, हताश और आत्महत्या के लिए प्रेरित, आसानी से भ्रमित किए गए युवा हैं। ये दुनिया में सुधार नहीं चाहते।
रम्जी के मुताबिक ऐसे लोगों से संपर्क बनाने के लिए पहला कदम काफी आसान था। सबसे पहले वह फेसबुक के जरिए ऐसे लोगों से जुड़ा जो आतंक का समर्थन करते थे। इसके बाद फ्रांस में ही उसके संपर्क में एक व्यक्ति आया, जो कि खुद को एक गुट का कमांडर बताता था। उसका नाम अउसामा था। पहली ही मुलाकात में अउसामा ने पत्रकार से कहा कि अगर वह फिदायीन हमला करे तो जन्नत उसका इंतजार कर रही है। वहां परियां खातिरदारी के लिए खड़ी हैं। वहां उसे महल, सोने के घोड़े और हीर जवाहरात उसे मिलेंगे।
कमांडर से दूसरी बार मुलाकात पेरिस में मस्जिद के पास हुई। उसने कहा- ’ तुम रॉकेट लॉन्चर के जरिए आसानी से यह काम कर सकते हो। इसके बाद फ्रांस सदियों तक डरेगा।’अउसामा ने ऐसे ही कई लोगों को सीरिया भी भेजा था। वह मैसेजिंग एप्लीकेशन टेलिग्राम के जरिए आतंकियों से जुड़ा हुआ है।
रम्जी ने बताया कि एक बार उसे एक महिला मिली, जिसने एक पत्र दिया। उसमें लिखा था कि मरने तक नाइट क्लब में गोलीबारी करो और जैसे ही सुरक्षा बल वहां पहुंचें खुद को उड़ा लो। रम्जी के अनुसार एक दिन एक आतंकी ने उसे पहचान लिया और उसका राज खुल गया।