सब ठीक है लेकिन, क़हर है तेरी हर इक नर्म अदा…

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श्रीधर

क़द्र अब तक तिरी तारीख़ ने जानी ही नहीं

तुझ में शोले भी हैं बस अश्कफ़िशानी ही नहीं

तू हक़ीक़त भी है दिलचस्प कहानी ही नहीं

तेरी हस्ती भी है इक चीज़ जवानी ही नहीं

अपनी तारीख़ का उनवान बदलना है तुझे

कैफी आजमी की लिखी इन पंक्तियों में बहुत असर है। फ्लाइंग कैडेट्स भावना कांत, अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह ने इंडियन एयरफोर्स में इतिहास रच दिया। एयरफोर्स में कमीशन मिलने के साथ ये ऐसी पहली वुमन पायलट्स बन गई हैं, जो फाइटर जेट्स उड़ाएंगी। 18 जून को सुबह हैदराबाद के हकीमपेट में इनकी पासिंग आउट परेड हुई। इन वुमन फाइटर पायलट्स को कर्नाटक के बिदर में स्टेज-3 की ट्रेनिंग दी जाएगी। वहां इन्हें 6 महीने तक एडवांस्ड जेट ट्रेनर हॉक उड़ाना सिखाया जाएगा।  इसके बाद वे सुपरसोनिक वॉरप्लेन्स उड़ाएंगी। यानी की खेल, विज्ञान, राजनीति, अंतरिक्ष, एवरेस्ट, उद्योग, कारोबार, सिनेमा, लगभग हर जगह भारत की बेटियों ने अपना लोहा मनवा लिया है। जिस बेटी ने हिम्मत दिखाई जिसने हौसला दिखाया उसने आसमान को झुका दिया।

सब ठीक है लेकिन काश! भारत की हर बेटी की किस्मत अवनी, भावना, मोहना, सानिया मिर्जा, सायना नेहवाल, सुषमा स्वराज, कल्पना चावला, इंदिरा नूयी, मैरी कॉम, ऐश्वर्या राय जैसी होती ।

सब ठीक है लेकिन क्यों समाज में बेटियों को पैदा होने से पहले मार दिया जाता है?

सब ठीक है लेकिन क्यों कई परिवारों में बेटियों के जन्म पर मातम जैसा माहौल हो जाता है?

सब ठीक है लेकिन क्यों कई इलाकों में बेटियां स्कूल नहीं जा पाती?

सब ठीक है लेकिन क्यों बेटियां जब तक घर नहीं आ जाती मां-बाप की जान हलक में अटकी रहती है?

सब ठीक है लेकिन कई घरों में रसोई गैस के सिलेंडर और केरोसिन बेटियों और बहुओं में फर्क कैसे कर लेते हैं?

सब ठीक है लेकिन हम अपने किसी भी गुस्से और गालियों में भी उनको क्यों नहीं बख्शते?

सब ठीक है लेकिन ….”इस लेकिन” ने कैफी साहब का भी चैन छीन लिया था और इसीलिए उन्हें कहना पड़ा था-

गोशे-गोशे में सुलगती है चिता तेरे लिये

फ़र्ज़ का भेस बदलती है क़ज़ा तेरे लिये

क़हर है तेरी हर इक नर्म अदा तेरे लिये

ज़हर ही ज़हर है दुनिया की हवा तेरे लिये

रुत बदल डाल अगर फूलना फलना है तुझे

उठ मेरी जान! मेरे साथ ही चलना है तुझे

(श्रीधर पिछले 17 सालों से आकाशवाणी, दूरदर्शन, ईटीवी, स्टार न्यूज, आजतक औऱ स्टार इंडिया जैसी संस्थाओं से जुड़ कर काम कर चुके है। इस दौरान श्रीधऱ ने राजनीतिक,सामाजिक, अपराध, सिनेमा और खेल पत्रकारिता में अहम भूमिका निभाई है। वर्तमान में श्रीधऱ स्टार स्पोर्ट्स के प्रो कबड्डी सीजन फोर के लिए काम कर रहे हैं।)

2 COMMENTS

  1. सुना है मुझे बुरा नही लगता!

    बडी मन्नतों से मॉं-बाबा के धर आईं हु मै
    मॉं के चहरे पे प्यारी सी मुस्कान लाई हु मै.

    मॉं-बाबा ने जतन किये, तब जाके मालूम हुआ, कि हॉं- मै ही, आई हूं मै।
    मुझे जान जब वो सकुचाये, धीरे से कुझ-कुझ बतियाऐ.
    मन मे थोडी शंका पाले, कि अब क्या बोलेंगे फिर सारे??
    मन ही मन फिर मैने सोचा, क्या गलत है बिटिया होना!!

    बडी हुई तो मॉं ने टोका, बाबा ने हर मोड पे रोका
    अम्मा बाबा ने जासे मन ही मन ये सोच लिया हो।
    प्यारी हु मैं – न्यारी हूं मै, इन सब की दुलारी हुं मै..।
    महफूज़ किया हर मुश्किल से, हर मोड पे साथ निभाया..
    मुझे लगा सब ठीक है अब तो! फिर क्यूं गलत है बिटीया होना??

    बडी हुई जब और ज़रा मै, तब जा के है जाना- रिश्तो का ये ताना-बाना।
    जिसने इतना रोका टोका, सायें स हर पल साथ निभाया.
    बचा रहें थे मुझे वो खुद से, धर-बाहर हर जगह वो सारे!
    बडी गमंभीर थी हालत इनकी, लहूं लुहान थे रिश्ते सारे.
    मैने फिर, मन ही मन सोचा! कहाँ गलत है बिटियां होना??

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