1957 की फिल्म ‘तुमसा नहीं देखा’ में मजरूह सुलतानपुरी का लिखा एक चर्चित गीत है- ‘’देखो कसम से, कसम से, कहते हैं तुमसे हां…’’ आशा भोसले और मोहम्मद रफी के गाए इस गीत के अंतिम अंतरे में रफी बहुत झुंझलाहट के साथ कहते हैं- ‘’क्या लगाई तुमने ये कसम कसम से, लो ठहर गए हम, कुछ कहो भी हमसे…’’
इसी तर्ज पर आप सोच रहे होंगे कि मैंने भी आज ये क्या बात-बात की रट लगा ली। आखिर कौनसी काम की बात पर बात नहीं हो रही और कौनसी फालतू बात पर बातें ही बातें हो रही हैं।
तो क्यों न आज हम इस ‘फालतू बात’ पर ही बात कर लें…
यह ‘फालतू’ शब्द भी मुझे बुधवार को गृह मंत्री राजनाथसिंह के एक बयान में मिला। उत्तरप्रदेश की छप्पर फाड़ जीत के बाद भाजपा में इस बात को लेकर काफी जद्दोजहद चल रही है कि वहां का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? और भाजपा से ज्यादा चर्चा और चिंता मीडिया और सोशल मीडिया कर रहा है। वहां तरह-तरह के नाम उछल रहे हैं। कोई राजनाथ को मुख्यमंत्री बना रहा है, तो कोई केशव प्रसाद मौर्य को, कोई योगी आदित्यनाथ के खेमें में है, तो कोई मनोज सिन्हा के…
इससे पहले, चुनाव परिणाम आने से पूर्व, भाई लोग भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भी उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री की लाइन में लगवा चुके थे। और शाह के साथ तो भारी हुई… चुनाव परिणाम आ जाने के बाद ‘हर्षोल्लास’ के माहौल में आयोजित उनकी प्रेस कान्फ्रेंस में ही भाइयों ने पूछ लिया कि क्या आप यूपी के सीएम बन रहे हैं? मिजाजानुसार अमित शाह ने प्रश्न पूछने वाले की तरफ बड़ी हिकारत से देखा और बोले- ‘‘मेरे पास और भी बहुत काम हैं भैया…’’
इधर जब मैं यह कॉलम लिख रहा हूं, तब तक पार्टी ने उत्तरप्रदेश के लिए कोई नाम नहीं सोचा है, लेकिन ‘मेरा समुदाय’ कल से ही राजनाथ को मुख्यमंत्री बनाए बैठा है। बुधवार को हम लोग प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की होली मिलन पार्टी में थे, वहां किसी ने लगभग ऐलान-सा करते हुए कहा- ‘’हो गया यूपी का फैसला, राजनाथ ही होंगे, मेरी उनके ही एक खास आदमी से बात हुई है, उसने पुष्टि कर दी है… ठाकुर साहब ही कमान संभालेंगे…’’
मुझे भी सुबह किसी ने एक वाट्सएप संदेश भेजा था जो कहता था कि राजनाथ के स्टाफ ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री निवास का दौरा कर वहां की व्यवस्थाओं का जायजा ले लिया है। अखिलेश मुख्यमंत्री वाला मकान खाली करके चले गए हैं और अब लखनऊ में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास 5 कालिदास मार्ग में नया बसेरा राजनाथसिंह का ही होगा।
लेकिन खुद राजनाथसिंह ने इन सारी कयासबाजियों को ‘फालतू बात’ कहा है। बुधवार को संसद भवन से बाहर मीडियावालों ने जब खुद राजनाथ से पूछा कि उनका नाम यूपी के नए मुख्यमंत्री के तौर पर खबरों में चल रहा है, तो राजनाथ बोले- ‘’यह सब फालतू की बातें हैं।‘’
लेकिन यहां तो फालतू बात में ही मजा आ रहा है, लिहाजा सारी मीडिया बिरादरी पिली पड़ी है। मुझे लगता है यहां भी वही बात लागू हो रही है, जो मैंने कल अपने कॉलम में कही थी। भाजपा भले ही इस मामले में कुछ न सोच रही हो, लेकिन चूंकि भाई लोग चाहते हैं कि ठाकुर साहब यूपी की कुर्सी संभालें तो बस पेले जा रहे हैं…
इससे पहले बिरादरों ने अपने शिवराजसिंह को फंसा दिया था। जैसे ही गोवा का घटनाक्रम पलटा और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के वहां जाने की बात सामने आई,चंडूखाने ने देश के भावी रक्षा मंत्री के रूप में शिवराज के नाम पर मुहर लगा दी। भाई लोग तो अंदरखाने से यह खबर भी ले आए कि पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक में शिवराज से इस मामले में उनकी मर्जी भी पूछ ली गई।
और जैसे ही बात उठी आनन फानन में आग की तरह फैला दी गई। अपने अपने गुट के हिसाब से भ्राताओं ने नए मुख्यमंत्री के रूप में कई नाम भी मैदान में पटक दिए। बात जब बढ़ने लगी तो उपचार शुरू हुआ और जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा व राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्त से खंडन करवाया गया कि भैया हमारे शिवराज कहीं नहीं जा रहे, वे इसी धरती पर राज करेंगे। खुद शिवराज ने मंगलवार रात पत्रकारों के एक कार्यक्रम में इस सवाल का जवाब अपनी अस्वीकृति भरी मुस्कुराहट से दिया।
लेकिन क्या कीजिएगा, जब काम की बात न हो रही हो या आपके पास काम की कोई बात न हो, तो ‘फालतू’ बातों में ही रस लिया जाए। वैसे भी यह होली का मौसम है, तरह तरह के रंग… तरह तरह की गुलाल… आपको होता रहे मलाल, पर ये चंडूखाने के निठल्ले बाज थोड़े ही आने वाले…
कॉलम खतम करते करते भी बिरादरी से एक और चुटकुला किसी ने सोशल मीडिया पर पटक दिया। इसमें कहा गया कि शिवराज को रक्षा मंत्री बनाए जाने की खबर ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने उड़वाई थी। चुटकुले में भार्गव को मुख्यमंत्री पद का सशक्त दावेदार बताया गया। लेकिन इस ‘महत्वपूर्ण सूचना’ का अंत होते होते सारी बात का खुलासा हो गया, साफ पता चल गया कि ‘खबरी’ ने यह सारा ‘कर्मकांड’ गोपाल भार्गव का काम लगाने के लिए किया है। क्योंकि इसी सूचना के अंत में संभावना जताई गई थी कि हो सकता है इस कृत्य के लिए गोपाल भार्गव पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई कर दी जाए।
जय हो…