दूरदर्शन के डीजी को लेकर मचा घमासान, अंदर से ही आई आपत्ति

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सुप्रिया साहू को दूरदर्शन की DG बनाए जाने पर प्रसार भारती और सूचना-प्रसारण मंत्रालय को नोटिस

दूरदर्शन की नई महानिदेशक को लेकर कानूनी पेच फंस गया है। केंद्रीय प्रशासनिक न्‍यायाधिकरण (कैट) ने इस पद पर आईएएस अधिकारी सुप्रिया साहू की नियुक्ति पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और प्रसार भारती को नोटिस जारी किया है।

दरअसल इस मामले में दूरदर्शन के ही अतिरिक्‍त महानिदेशक महेश जोशी ने कैट में एक याचिका लगाई है। उनका आरोप है कि प्रसार भारती के सीईओ जवाहर सरकार ने साहू के बारे में छलपूर्ण जानकारी दी है।

ट्रिब्यूनल ने मंत्रालय और प्रसार भारती के अलावा सुप्रिया साहू और प्रसार भारती के सीईओ जवाहर सरकार को भी नोटिस भेजा है। सभी संबंधित पक्षों से अगली सुनवाई की तारीख 8 जुलाई से पहले जवाब मांगा गया है। ट्रिब्यूनल ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि दूरदर्शन के महानिदेशक पद पर नियुक्ति, मामले के परिणाम के अधीन होगी।

महेश जोशी का मुख्य तर्क यह है कि साहू ने 31 अक्टूबर 2014 तक केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव के रूप में नियमित रूप से सेवा के तीन साल पूरे नहीं किए थे। चूंकि साहू को 31 अक्टूबर 2011 से प्रभावी तौर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था, इसलिए पात्रता मानदंड को पूरा करने के लिए उनके नौ महीने व दो दिन कम पड़ रहे हैं।

मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने दूरदर्शन महानिदेशक के रूप में साहू की नियुक्ति पिछले हफ्ते ही की थी। यह पद पिछले दो सालों से खाली पड़ा था। इससे पहले इस पद पर त्रिपुरारी शरण थे, जिनका कार्यकाल 27जुलाई, 2014 को पूरा हो गया था।

सुनवाई के दौरान मंत्रालय ने कहा था कि साहू की नियुक्ति ‘कोई गैरकानूनी’ तरह से नहीं हुई है। नियुक्ति नियमों के तहत उनके संयुक्त सचिव (जॉइंट सेक्रेट्री) के रूप में तीन साल पूरे हो गए थे।

साहू तमिलनाडु कैडर की 1991 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। प्रसार भारती ने इस साल फरवरी महीने में ही नियुक्ति के लिए इनके नाम का सुझाव मंत्रालय के पास भेजा था। प्रसार भारती ने पहली बार इस पद से लिए जनवरी 2014 में रोजगार समाचार पत्र में विज्ञापन दिया था।

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