दिनेश मालवीय
रविवार को दो प्रसंग ऐसे उपस्थित हुए, जिन्होंने मुझे झकझोर कर रख दिया। मध्यप्रदेश लेखक संघ के स्वर्ण जयंती समारोह में वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा अध्यक्ष के रूप में पधारे थे। उन्हें देखकर सहसा विश्वास नहीं हुआ कि यह वही हैं। वह तो बहुत बलिष्ठ कदकाठी के व्यक्ति रहे हैं। लेकिन बहुत लड़खड़ाते हुए उठकर भाषण देने के लिए पोडियम पर आये और बहुत कमज़ोर स्वर में बोलने लगे। यह उनका मूल स्वर नहीं था। उनकी आवाज़ बहुत सशक्त और खनकदार रही है। बहरहाल, उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले तक वह कोरोना का मज़ाक उड़ाया करते थे।
वह बोले, “पहले मैं सबसे कहता फिरता था कि कोरोना कहाँ है? जबरन का हौवा बनाकर रखा है। मैंने कोई सावधानी नहीं बरती। लेकिन जब मैं इसका शिकार हुआ तो पहले मैंने इसे मामूली निमोनिया समझा। इसके बाद जाँच होने पर कोरोना पॉजिटिव पाया गया। कोरोना के लिए निर्धारित एक बड़े अस्पताल में पन्द्रह दिन भर्ती रहा। इस दौरान मेरे देखते-देखते मेरे वार्ड के बहुत से कोरोना पीड़ित परलोक सिधार गये। तब मुझे अहसास हुआ कि मैं कितना गलत था। अब मैं कोरोना पॉजिटिव नहीं रहा, लेकिन शरीर इतना कमज़ोर हो गया है कि उठने-बैठने तक में दिक्कत होती है। उन्होंने सबको इस महामारी को हल्के में नहीं लेकर पूरी सावधानियां बरतने की सलाह दी।
कार्यक्रम के बाद मैं ओला कैब से एक कार्यक्रम में जा रहा था। ड्राइवर ने मुझे मास्क पहने देखा तो बोला, “अंकलजी, आप मास्क क्यों पहने हैं?” मैंने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए। वह मज़ाक-सा करते हुए बोला, “कोरोना कहाँ है? जबरन का डर पूरे देश में फैला दिया गया है।‘’ कोरोना को लेकर उसकी सोच पर मैंने उसे समझाया कि कोरोना कहीं नहीं गया है। वह अभी और ताकत से वापस आने वाला है। अच्छी तरह समझ लो कि वह चीन से आया है, लिहाजा चीन की तरह ही धोखेबाज और चालाक है। बहुत छुपकर वार करता है। मैंने कहा कि आपने मास्क क्यों नहीं लगाया? वह बोला कि ज़रूरत क्या है? जब कोरोना है ही नहीं तो मास्क-वास्क के चक्कर में क्यों पड़ा जाए?
इस तरह की सोच रखने वाला कैब ड्राइवर कोई अकेला शख्स नहीं है। अरे, जब उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़ी आबादी वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे बहुत उच्च शिक्षित व्यक्ति ने कह दिया कि कोरोना कहीं नहीं है, तो फिर कैब ड्राइवर जैसे कम पढ़े-लिखे या अनपढ़ आदमी ने यह कहा तो इसमें क्या ख़ास बात है।
कैब ड्राइवर जैसी सोच को मानने वाले करोड़ों लोग हैं। बाज़ार में कहीं भी जाइए, सौ में से बमुश्किल दस लोग मास्क लगाए हुए मिलेंगे। पूछने पर कहेंगे कि मास्क जेब में रखा है। पुलिस जबरदस्ती करेगी तो लगा लेंगे। कोई कहेगा कि मास्क घर में या गाड़ी में छूट गया है। ऐसा कहने वाले ‘बहादुर’ भी कम नहीं मिलेंगे जो कह देंगे कि नहीं लगाते, आपको क्या करना? या नहीं लगायेंगे तो कोई क्या कर लेगा? शादी समारोहों में जाइए, बहुत कम लोग मास्क लगाए हुए मिलेंगे। जलसे-जुलूस, कवि-सम्मेलनों, कथा-प्रवचनों, धर्म-स्थलों, मेले-ठेलों आदि कहीं भी जाएँ, आपको बहुत कम लोग मास्क पहने मिलेंगे।
अब रही बात social distancing, तो यह किस चिड़िया का नाम है! आप इसकी बात करें तो लोग पचास तरह के कुतर्क करने लगेंगे। बोलेंगे कि प्रयाग के माघ मेले में लाखों लोग आ रहे हैं, वहाँ तो कोरोना नहीं फैला। राजनैतिक समारोह और रैलियां हो रही हैं, वहाँ तो कुछ नहीं हो रहा। लेकिन ऐसा कहने वाले लोग यह नहीं जानते कि जब तक यह नहीं होता तो नहीं होता। आप जब किसी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आयेंगे या उसके ड्रॉपलेट्स आपके मुँह में चले जायेगे या संक्रमित व्यक्ति के द्वारा छुई हुयी किसी चीज को आप छू लेंगे, तभी आप संक्रमित होंगे। इसीलिए मुँह पर मास्क लगाने और आपस में उपयुक्त दूरी कायम करने की सीख दी जा रही है।
इस बात को भी अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि यह सारी समझाइश आपकी भलाई के लिए है। यह आपको और आपके परिवार के जीवन की सुरक्षा के लिए है। इसी में पूरे देश के लोगों की सुरक्षा भी निहित है। किसी मुगालते में नहीं रहिये, यह वायरस कभी भी और कहीं भी आपको लग सकता है। नहीं लगता तो नहीं लगता, लेकिन जब लगता है तो जान पर बन आती है। व्यक्ति ऐसी मौत मरता है कि उसके अंतिम संस्कार में उसके अपने परिवारजन भी शामिल नहीं हो पाते। यह मौत इतनी भयानक होती है कि जिसकी कल्पना से भी मन सिहर उठता है।
यह सही है कि भारत में कोरोना से बचाव के लिए दो वैक्सीन बन गयी हैं। लेकिन इतने भर से आपको बेफिक्र होने की ज़रूरत नहीं है। पूरे देश को यह वैक्सीन लगने में काफी समय लग जाएगा। वैक्सीन के दो-दो डोज लगने हैं, जिसमें काफी समय लगेगा।
देश में कोरोना का सेकंड स्ट्रेन कई राज्यों में आने की खबरें सामने आ रही हैं। इसके मद्देनज़र मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और भी ज़रूरी हो गया है। लिहाजा अपनी इस लापरवाह और नादानी भरी सोच को छोड़कर कोरोना से बचने के लिए बतायी जाने वाली पूरी सावधानियों को ईमानदारी से बरतें, ताकि आप और आपका परिवार इस जानलेवा बीमारी का शिकार होने से बच सके। ऐसा न करके आप न केवल खुद को और अपने परिवार को बल्कि पूरे देश को खतरे में डाल सकते हैं। अपनी बारी आने पर वैक्सीन जरूर लगवाएं और इसके बारे में फैलाये जाने वाले भ्रम के शिकार नहीं हों।