भोपाल/ मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग ने सीहोर जिले में कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबरेश्वर धाम में गुरुवार को रुद्राक्ष वितरण कार्यक्रम में हुई भगदड के मामले में स्वयं संज्ञान लेते हुए जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से जवाब तलब किया है। आयोग ने जिन पांच बिंदुओं पर जवाब मांगा है वे इस प्रकार हैं-
1- कुबेरेश्वर धाम में किए जा रहे आयोजन/कार्यक्रम के संबंध में आयोजकों द्वारा किस सीमा तक अनुमानित संख्या व अन्य व्यवस्था किए जाने के संबंध में जानकारी देते हुए लिखित में अनुमति चाही गई थी?
2- अनुमति के आवेदन पर विचार कर जिला प्रशासन, सीहोर द्वारा अपने प्रशासनिक अनुभवों का उपयोग करते हुए ऐसे आयोजन में कितनी अनुमानित संख्या, प्रथम दृष्टया पाते हुए अनुमति देते हुए ऐसे स्थल पर आ रहे व्यक्तियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य व अन्य जीवन की मूल आवश्यकताओं की उपलब्धता को सुनिश्चित किया गया था?
3- आयोजन स्थल के पास स्थित राज्य राजमार्ग पर निर्बाध यातायात के साथ ही कार्यस्थल के आसपास यातायात, पार्किंग आदि के संबंध में आयोजकों द्वारा बताई गई अनुमानित संख्या और जिला प्रशासन द्वारा अनुमानित संख्या के आधार पर क्या व्यवस्था की गई थी?
4- कार्यक्रम के प्रथम दिवस में ही बताई गई सारी व्यवस्थाएं लगाए गए अनुमानों से अधिक संख्या में व्यक्तियों और वाहनों के आने से अनियंत्रित होने से व्यक्तियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के कारण उत्पन्न परिस्थितियों को संभालने के लिए समाधान के क्या प्रयास किए गए?
5- कार्यक्रम के प्रथम दिवस ही की गई व्यवस्थाओं से कई गुना अधिक संख्या में व्यक्ति और वाहनों के आने से अनियंत्रित हुए ऐसे वातावरण/परिस्थितियों को ठीक करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा क्या वैधानिक कार्यवाही की गई? क्योंकि, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और ऐसे कार्यक्रमों को इसी अनुरूप कर सकने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार भी लोक व्यवस्था तथा ऐसी विषम परिस्थितियों को नियंत्रित करने के लिए उपलब्ध वैधानिक प्रावधानों के अधीन ही संविधान में मान्य किए हैं। यहां तक कि ऐसी व्यवस्था को सदाचार और स्वास्थ्य के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए ही मान्य किया गया है।
मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक, सीहोर से कहा है कि उपरोक्त सभी बिंदुओं पर सभी आवश्यक दस्तावेजों सहित अगले एक सप्ताह में तथ्यात्मक प्रतिवेदन प्रस्तुत करें, जिससे ऐसे आयोजनों में जिला प्रशासन की भूमिका स्पष्ट हो सके और व्यक्ति को प्राप्त मौलिक और मानव अधिकारों का भी उचित संरक्षण हो सके।