अजय बोकिल
‘कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से..’ मशहूर शायर बशीर बद्र ने ये पंक्तियां मजहबी नफरत को लेकर लिखी थीं, लेकिन उन्होंने नहीं सोचा होगा कि कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी एक दिन पूरी दुनिया में यह हालात पैदा कर देगी कि कोई किसी से हाथ मिलाने से भी बचेगा। क्योंकि इससे जानलेवा कोरोना वायरस (जिसे अब कोविद 19 नाम दिया गया है) के संक्रमण का खतरा है। आलम यह है कि जर्मनी की चांसलर से उनके सहयोगी तक हाथ मिलाने से बच रहे हैं तो कई देशों में लोगों की सामूहिक गतिविधियों पर अस्थायी रोक लगा दी गई है। भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने होली मिलन समारोह मे जाना रद्द कर दिया है। देश और दुनिया में कई अंतरराष्ट्रीय आयोजन और खेल स्पर्द्धाएं इसी कारण से निरस्त हो गई हैं।
आपस में गले मिलने और भाई-चारे के संदेश भी वायरस के आंतक में दुबकने लगे हैं। उधर कोरोना है कि लगातार फैलता ही जा रहा है। इस दर्द की कोई कारगर दवा अभी तक खोजी नहीं जा सकी है। ताजा खबर यह है कि चीन में कोरोना के फैलाव पर कुछ अंकुश लगा है। वहां सरकार ने टोसिलीजुमाब नामक दवा कोरोना मरीजों को देने की मंजूरी दे दी है। यह दवा एक स्विस दवा कंपनी बनाती है। हालांकि यह दवा भी अभी परीक्षण के तौर पर ही है। बाकी जगह कोरोना का इलाज केवल एहतियात ही है। इधर भारत में कोरोना जैसी गंभीर बीमारी पर भी राजनीतिक मूर्खताओं का दौर जारी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि दिल्ली दंगों की गंभीरता को छिपाने के लिए वह देश में कोरोना का हौवा पैदा करना चाहती है। राजनीतिक विद्वेष का यह निहायत निंदनीय उदाहरण है।
बहरहाल भारत में मोदी सरकार ने कुछ देर से ही सही कोरोना की गंभीरता का संज्ञान लेते हुए रोकथाम के उपाय शुरू कर दिए हैं। हमारे यहां अभी तक कोरोना के 28 मरीज सामने आए हैं। ऐसा पहला केस केरल में पाया गया था। भारत में कोरोना ने दस्तक विदेशियों अथवा विदेश से लौटे भारतीयों के माध्यम से दी है। राहत की बात यह है कि हमारे देश में अभी तक कोरोना ने किसी की जान नहीं ली है और सरकार का दावा है कि देश में कोरोना के 3 मरीजों को ठीक भी कर दिया गया है। यूं भारत की स्वास्थ्य प्रणाली लचर ही है। इसके बावजूद कोशिश की जा रही है कि कोरोना का प्रकोप नियंत्रण के बाहर न हो। लोगों में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता लाई जाए। लोग सावधान रहें। लेकिन दहशत भी न फैले। संदेश यही है कि लोग शारीरिक रूप से एक दूसरे के संपर्क मे आने से बचें, क्योंकि चेतावनी यही है कि आपस में भी सुरक्षित दूरियां बनाए रखें ताकि कोरोना को पसरने का मौका न मिले।
कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जो सलाहें दी जा रही हैं, उनमें एक मास्क लगाने की भी है। हालांकि इसकी उपयोगिता कितनी है, यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है। अलबत्ता देश में मास्क की बिक्री बढ़ गई है और कई जगह तो इनका टोटा पड़ गया है या ये महंगे दामों में बेचे जा रहे हैं। भारत में कोरोना की मार दूसरे तरीकों से ज्यादा पड़ रही है। बाजार गिर रहे हैं। हाल में स्टॉक मार्केट गिरने से निवेशकों को एक ही दिन में 13 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। दूसरा बड़ा झटका हमारे दवा उद्योग को लगा है। निर्माताओं ने दवा निर्माण के लिए जरूरी कच्चा माल चीन से आयात करना बंद कर दिया है। इसके कारण दवा फैक्ट्रियां संकट में हैं। जल्द ही देश का पर्यटन उद्योग भी इसकी चपेट में आने वाला है। क्योंकि कोरोना के कारण पर्यटकों की संख्या घटने लगी है। सरकार भी नहीं चाहती कि विदेशी पर्यटकों के रास्ते कोरोना भारत में फैले।
दुनिया में चीन के बाद कोरोना से सर्वाधिक मौतें ईरान और इटली में हुई हैं। अमेरिका जैसा ‘सुरक्षित’ देश भी कोरोना के प्रकोप से नहीं बच सका है। वहां भी 9 मरीज दम तोड़ चुके हैं। यह मिथ भी टूट रहा है कि केवल मांसाहारियों को कोरोना अपनी चपेट में लेता है। कुलमिलाकर कोरोना आज पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है। ऐसा खतरा जो धर्म, जाति, नस्ल, आर्थिकी और वैचारिक दुराग्रहों से बड़ा है। अभी तक की जानकारी के मुताबिक विश्व में कोरोना वायरस के कारण 3 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं और 87 हजार से अधिक लोग इसकी चपेट में हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने तो कोरोना को ‘आतंकवाद से भी बड़ा खतरा’ बताया है। उसके मुताबिक यह वायरस आज जनता का ‘दुश्मन नंबर वन’ है। इस संगठन ने वायरस से लड़ने के लिए डेढ़ करोड़ डॉलर का इमर्जेंसी फंड भी जारी किया है। कोरोना की दहशत इतनी है कि लोग अब उंगलियों से नोट गिनने से भी बच रहे हैं। सब जगह एक ही हल्ला है कि किसी तरह कोरोना से खुद को बचाओ। डॉक्टर भी यही सलाह दे रहे हैं कि कोरोना के लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सक के पास जाएं।
आज तकरीबन दुनिया का हर देश अपने अपने तरीके से कोरोना से जूझ रहा है। लेकिन इसमें भी तानाशाहों का वायरस से निपटने का तरीका बिल्कुल अलग है। मसलन उत्तरी कोरिया के दुर्दांत तानाशाह किम जोंग उन ने अपने अधिकारियों को धमकी दी है कि अगर देश में कोरोना वायरस घुसा तो उन सब की खैर नहीं। किम ने कहा कि कोरोना यहां आया तो आला अफसर गंभीर नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहें। किम ने कोरोना के चक्कर में अपनी कम्युनिस्ट पार्टी (वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया) के दो वरिष्ठ नेता उपाध्यक्ष रे मन गोन और पाक थाइ डोक को उनके पदों से हटा दिया है और पार्टी यूनिट को भ्रष्टाचार के आरोप में भंग कर दिया है। इस बारे में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में ये भ्रष्ट नेता शामिल हो सकते हैं। ध्यान रहे कि उत्तर कोरिया के जानी दुश्मन दक्षिण कोरिया में कोरोना फैल चुका है और वहां इसने 16 लोगों की जान ली है। लिहाजा उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया के साथ अपनी सीमा भी सील कर दी है। मानकर कि इससे कोरोना उत्तर कोरिया में नहीं घुस पाएगा। गोया कोरोना कोई घुसपैठिया हो।
इस बीच यह खबर भी तेजी से फैली है कि कोरोना से बचने के लिए जरूरी सामान और उपकरणों की कमी है। खासकर मास्क और सेनिटाइजर्स की। डब्ल्यूएचओ ने इस बारे में सभी देशों को चेताया है। इस बात का आकलन भी किया जा रहा है कि कोरोना वायरस का अंतिम परिणाम क्या होगा? यह कितना आतंक फैलाएगा और आखिर में जाकर इसका क्या होगा। इस बारे में ‘ब्लूमबर्ग ओपिनियन’ में छपी रिपोर्ट हमें बताती है कि कोरोना का हश्र अंतत: एक स्थानीय बीमारी के रूप में होगा। इसकी घातक क्षमता के बारे में कहा जा रहा है कि इससे 1 फीसदी रोगियों के मरने की संभावना है। अर्थात दुनिया आशावान है कि जल्दी ही कोरोना का कोई कारगर इलाज खोज लिया जाएगा। यह उतनी घातक नहीं रहेगी, जैसे कि अभी अपना रंग दिखा रही है।
अब सवाल यह है कि इस तरह की घातक बीमारियां दुनिया में इतनी तेजी से क्यों फैलती हैं? इसका जवाब है विश्व का बहुत ज्यादा इंटरकनेक्टेड होना। यानी अगर संचार और सघन संपर्क अगर वरदान है तो वायरस के संदर्भ में वो अभिशाप भी है। जो भी है, फिलहाल तो कोरोना से बचना ही इसका इलाज है। वैसे भी किसी महामारी से डर कर आपसी रिश्तों और सौहार्द को कब्र में दफनाया नहीं जा सकता। भले ही आज गले मिलने से लोग डर रहे हों, लेकिन जी भर कर रो लेने के लिए ही सही गले तो लगना ही पड़ेगा।