भोपाल में एबीपी न्यूज के संवाददाता ब्रजेश राजपूत ने अटेर उपचुनाव को लेकर शुक्रवार की सुबह फेसबुक पर एक पोस्ट डाली। इस पोस्ट का शीर्षक था- ‘’अरविंद ने चुनाव हारा दिल जीता’’ उन्होंने लिखा-
‘’उफ क्या चुनाव था, आखिरी राउंड तक कशमकश, ईवीएम पर चुनाव परिणाम दोपहर बारह बजे तक आ जाते हैं, मगर भिंड में वोटों की गिनती साढ़े छह बजे तक चली। मतगणना में हुए उतार चढाव पर रविवार को लिखूंगा मगर अभी तो ग्वालियर की नईदुनिया में छपी इस फोटो पर। बीजेपी के नेता अरविंद भदौरिया चुनाव प्रबंधन के बडे खिलाडी माने जाते हैं, मगर अपने से सोलह साल छोटे हेमंत कटारे से बहुत कम अंतर से अटेर का चुनाव हार गये। करीबी हार के बाद जहां उनके समर्थक उत्तेजित थे मगर अरविंद शांत रहे। परिणाम की घोषणा होते ही पास बैठे हेमंत को बधाई दी। हेमंत ने झुक कर पैर छूना चाहा तो उसे गले लगा लिया और आशीर्वाद दिया। भिंड इलाके के दोनों युवा नेताओं के बीच की इस सद्भावना ने चुनाव के दौरान हुयी तनातनी की कडवाहट मिटा दी। बाहर आकर अरविंद के समर्थकों ने जब मीडिया वालों से धक्कामुक्की की तो अरविंद ने उनको रोका, मीडिया वालों से कान पकडकर माफी मांगी। अरविंद और हेमंत दोनों को ये चुनाव कभी नहीं भूलेगा और हमें भी.. दोनों युवा नेताओं को शुभकामनाएं।‘’
ब्रजेश ने जिस फोटो का जिक्र अपनी पोस्ट में किया है, वही चित्र (नईदुनिया से साभार) आप ऊपर देख रहे हैं। ब्रजेश ने इसे दोनों नेताओं के बीच सद्भाव की संज्ञा दी है। लेकिन मैं इस चित्र को भारतीय राजनीति की उन दुर्लभ घटनाओं में मानता हूं, आज जिनकी कल्पना करना भी मुश्किल है।
आज की राजनीति के इस कड़वाहट भरे या यूं कहें कि जहर भरे माहौल में ऐसा दृश्य दिखना तो दूर ऐसा सोचना भी संभव नहीं लगता कि इतनी कांटे की टक्कर के बाद कोई पराजित उम्मीदवार, किसी विजयी उम्मीदवार को इस तरह से गले लगाएगा। मैदान पर जिसे खेल भावना कहते हैं, वैसी खेल भावना राजनीति में आज दुर्लभ है।
सचमुच अटेर में जो उपचुनाव हुआ वह कांटे की टक्कर वाला ही नहीं बल्कि गलाकाट स्पर्धा वाला था। यहां शुरू से ही संकेत मिलने लगे थे कि चौंसर पर बिछाया जाने वाला हर पांसा और चलाया जाने वाला हर दांव खून का प्यासा होकर ही चला जाएगा। कुछ तो चंबल इलाके में आने वाले भिंड की तासीर कहिए और कुछ चुनाव में दांव पर लगी बड़ी बड़ी प्रतिष्ठाएं… हरेक शय ने इस चुनाव को दुर्दांत बना दिया था।
परिणाम आ जाने के बाद भी ये आशंकाएं हवा में तैर रही थीं कि भिंड का ‘कल्चर’ बन चुकी बंदूकें कहीं चुनाव के बाद अपना फैसला न सुनाने लगें। गुरुवार शाम जब भारी कशमकश के बीच मतगणना की खबरें आ रही थीं और हर दौर वोटों की घटत बढ़त के साथ सांसों को ऊपर नीचे कर रहा था, तभी किसी ने मुझे वाट्सएप पर आया एक संदेश सुनाते हुए कहा था कि कुछ लोगों ने कांग्रेस उम्मीदवार हेमंत कटारे को लेकर धमकी भरे स्वर में कहा है कि मतगणना के बाद बाहर निकलने दो… देख लेंगे…
हालांकि उस संदेश की कोई पुष्टि नहीं हुई, लेकिन ऐसी अफवाहों ने मन में शंका जरूर डाल दी थी कि कहीं सचमुच चुनाव के बाद कोई अनहोनी न हो जाए। मध्यप्रदेश में वैसे चुनावी राजनीति का इतिहास इस तरह के खूनखराबे वाला नहीं रहा है लेकिन फिर भी आशंकाएं तो आशंकाएं ही हैं। मन में सोचा, कहीं किसी सिरफिरे ने कुछ उलटा सीधा कर ही दिया तो…?
लेकिन शुक्र है कि ऐसी सारी आशंकाएं निर्मूल साबित हुईं। ईवीएम पर उंगली उठाने से शुरू होकर, चुनाव आयोग पर नजला गिराने के साथ खत्म हुआ यह चुनाव शांति से बीत गया। इस टक्कर में कांटे बहुत सारे थे,लेकिन यह बहुत ही राहत की बात है कि दोनों पक्षों ने तमाम शिकवे शिकायतों के बावजूद नतीजों को बड़े मन से स्वीकार किया।
हर चुनाव अपने सिर पर ओढ़ कर, अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा देने वाले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा- ‘’अटेर विधान सीट के उपचुनाव में जनता के निर्णय को स्वीकार करते हैं। यह लोकतंत्र में लोकमत की विजय है।‘’
और चुनाव से उपजी रही सही खटास को इस फोटो ने खत्म कर दिया जो आप यहां देख रहे हैं। जरा देखिए- किस स्नेह से अरविंद भदौरिया हेमंत कटारे को गले लगा रहे हैं और हेमंत भी किस आश्वस्ति भाव से उनके सीने से चिपटे हुए हैं। ऐसा कहीं लगता ही नहीं कि चंद घंटों पहले ये दोनों शख्स एक दूसरे के घोर प्रतिद्वंद्वी थे।
काश! देश की राजनीति में ऐसे दृश्य स्थायी हो सकते…