एक दिन न्यायालय में मैं गवाही करवा रहा था उसी समय एक व्यक्ति को भा.द.वि. की धारा 411 के अपराध में सजा दी गई तो उसे और उसके परिवार को रोता बिलखता देखकर, मेरा हृदय भर आया। मैंने उसके घरवालों से पता किया तो यह मालूम हुआ कि वह सेकंड हैंड मोबाइल सस्ते दामों में खरीद कर उपयोग कर रहा था। पुलिस आकर उसे अचानक पकड़ ले गई, उस पर ऐसी संपत्ति रखने का आरोप था जो चोरी में प्राप्त की गई थी।

उस गरीब से मैंने चलते-चलते पूछा कि तुम्हारा वकील कौन था, उसने बताया कि साहब मैं बेहद गरीब आदमी हूं वकील लगाने की मेरे पास क्षमता नहीं थी तो न्यायालय ने मुझे विधिक सहायता से वकील लगाकर मेरी पैरवी करवाई है। मेरी जमानत भी नहीं हुई थी। मैंने ₹1000 देकर अपने गांव में एक व्यक्ति से मोबाइल खरीदा था। उस व्यक्ति की लापरवाही के कारण ही निर्दोष होते हुए भी उसे जेल जाना पड़ा।

इस प्रकरण से उठने वाले कुछ प्रश्न बेहद महत्वपूर्ण हैं। आप सभी इन्‍हें बड़े ध्यान से पढ़ें और चिंतन-मनन करें ताकि आप लोग भी किसी अपराध में निर्दोष होने के बावजूद न फंसे।

आखिर चोरी की संपत्ति क्या है-

चोरी की संपत्ति के बारे में भा.द.वि. की धारा 410 में बताया गया है कि ऐसी संपत्ति जिसका कब्जा चोरी के द्वारा या उद्यापन के द्वारा या लूट के द्वारा प्राप्त किया गया है या वह संपत्ति जिसका आपराधिक दुर्विनियोग (criminally misappropriated ) किया गया है या जिसके विषय में आपराधिक न्यास भंग (criminal breach of trust ) किया गया है चोरी की संपत्ति कहलाती है।

– धारा 411 में चुरायी हुई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करने के लिए 3 वर्ष तक के दंड का प्रावधान है।

– धारा 412 में ऐसी संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना जो डकैती करने में चुराई गई हो, आजीवन कारावास तक की सजा है।

– धारा 413 में चुराई हुई संपत्ति का आभ्यासिक व्यापार करना 10 वर्ष तक का दंड दिला सकता है।

– धारा 414 में चुराई हुई संपत्ति को छुपाने में सहायता करने पर 3 वर्ष तक का दंड है।

इन सभी धाराओं में साथ-साथ जुर्माने से भी दंडित करने का प्रावधान है।

क्‍या सावधानी बरतें

जब कभी भी कोई सेकंड हैंड सामान खरीदें तो सबसे पहले इस बात की पुष्टि कर लें कि जो व्यक्ति सामान बेच रहा है और जिस व्यक्ति से आप सामान खरीद रहे हैं वह उसी व्यक्ति का, स्वयं का है। उसके पास कुछ रसीद वगैरह हो तो उसे ले लें और प्रयास करें कि उससे स्टांप पेपर में लिखवा कर नोटरी करवा लें और उसमें कम से कम दो गवाहों के हस्ताक्षर करवा लें।

यदि कोई ऐसी संपत्ति है जैसे वाहन तो उसे तत्काल अपने नाम पर ट्रांसफर करवाएं। आजकल इंटरनेट से सब पता चल जाता है कि किसकी गाड़ी है, किसके नाम रजिस्टर्ड है आदि। यह सब पता लगा ले और गाड़ी का ट्रांसफर करवा लें इसके अलावा भी स्टांप पेपर में लिखवा लें। यदि कहीं कोई दिक्कत आती है तो वह दस्तावेज आपका पूरी तरह बचाव करेगा।

कभी-कभी लोग अचानक आपके पास आते हैं और कोई महंगी वस्तु बड़े सस्ते में देने को तैयार हो जाते हैं और बहाना बनाते हैं कि मेरे घर में कोई बीमार है तो मुझे पैसे की सख्त आवश्यकता है, इस कारण से यह सामान मैं सस्ते दामों में बेच रहा हूं। जब कभी भी ऐसी परिस्थिति से सामना हो, तो आप अपना विवेक न खोएं और यह जांच परख जरूर करें कि कहीं यह वस्तु, जो आप पैसा देकर खरीद रहे हैं, चोरी की तो नहीं है। और जब तक आपके मन की शंका का समाधान न हो जाए तब तक ऐसी वस्तु न खरीदें अन्यथा बिना बुलाए परेशानी आपको घेर सकती है।
(विकास पाण्डेय एडवोकेट की फेसबुक वॉल से साभार)

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