भूतों के सम्‍मेलन में सरकार का सम्‍मान!

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आशुतोष नाडकर

अखबार की सुर्खियों को पढकर खुशी की लहर दौड़ जाये ऐसे मौके अब कम ही आते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के भूत जगत को जैसे ही ये खबर लगी की प्रदेश में जनता अभी भी भूत-प्रेतों के कारण मर रही है तो सभी भूत, प्रेतों, पिशाचों और चुडैलों में खुशी की लहर दौड गई। स्वाभाविक भी है प्रदेश के गृहमंत्री खुद विधानसभा में खड़े होकर मान रहे हैं कि 21 वीं सदी में भी उनके सूबे में भूतों का खौफ कायम है।

राज्य भूत-पिशाच विकास पार्टी के वयोवृद्ध नेता तो पुराने दिनों को याद कर कुछ ज्यादा ही भावुक हो गये। एक जमाना था जब वे नये-नये भूत बने थे। उस वक्त भूतों के नाम से ही लोगों की रूह कांप जाया करती थी। लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ बदल गया। भूतों का खौफ मानो गुजरे जमाने की बाद हो चली थी। कभी कब्रिस्तान और श्‍मशान के पास से गुजरने के नाम से भी धोती गीली कर देने वाले इंसान की हिम्मत अब इतनी बढ़ गई है कि वो यहाँ भी अतिक्रमण करने से बाज नहीं आ रहा है।

ऐसे हालात में सीहोर जिले के भूतों ने भूत बिरादरी की इज्ज़त को धूल में मिलने से बचा लिया। आखिर कहीं तो भूतों के डर से लोग मर रहे हैं। वयोवृद्ध भूत का जोश जाग गया और सीहोर के भूत को सम्मानित करने के लिये आनन-फानन में एक “भूत अभिनंदन समारोह” आयोजित कर लिया गया। प्रदेश के सभी भूतों को सूचना दी गई और सीहोरी भूत के सम्मान के साथ “इंसानों में भूतों का घटता खौफ” इस विषय पर एक खुली परिचर्चा के आयोजन की भी तैयारी हो गई।

आधी रात तक बड़ी ही कठिनाई से एक सुनसान भुतहा जंगल को खोजकर ऑडिटोरियम बनाया गया। लंबे समय बाद भूतों को मिली इस कामयाबी से भूत समाज में जो उत्साह पैदा हुआ था उसके चलते इस ‘भूत सम्मेलन’ में हिस्सा लेने के लिये प्रदेश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में भूत पहुँचे थे। मालवी भूत, निमाडी भूत, बुंदेलखंडी भूत, बर्रूकाट भोपाली भूत और ग्वालियर-चंबल के भूतों के अलावा चुड़ैलों का उत्साह भी देखते ही बन रहा था।

भूत मंडल की सीहोर ईकाई के अध्यक्ष उस भूत को अपने साथ लेकर आये थे जिसके कारण सीहोर के किसान ने अपनी जान दी थी। उस भूत के आते ही भुतहा जंगल, भूतों की तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज गया। मंच पर पहुँचते ही सीहोर के भूत का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। शॉल और श्रीफल से सम्मानित किये जाने के बाद, सम्मान समारोह के संचालन की कमान “भूत मार्गदर्शक मंडल” के सबसे वरिष्ठ भूत को सौंप दी गई। वयोवृद्ध भूत ने समस्त भूत समुदाय को संबोधित करते हुए कहा- “आज का दिन हमारे लिये गर्व का दिन है, सीहोरी भूत ने जो काम किया है उसे देखकर मेरे मन में एक बार फिर आशा बंधी है कि हम भूत समाज का खोया हुआ गौरव एक बार फिर से हासिल कर सकेंगे। जो काम सीहोरी भूत ने किया है वे आप सब भी कर सकते हैं। बस जरूरत है तो सच्ची लगन, मेहनत और ईमानदारी की। आप सब यदि ठान लें तो भूतों के अच्छे दिन आने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।”

चूँकि ये एक खुली परिचर्चा थी। वयोवृद्ध भूत की बात सुनकर एक नवोदित, युवा व तेजस्वी चुड़ैल से रहा नहीं गया। मार्गदर्शक मंडल के भाषण देने वाले भूत को टोकते हुए उसने कहा- “मंच पर खड़ा होकर भाषण देना आसान है, लेकिन वास्तव में कुछ कर पाना इन दिनों कितना मुश्किल हो गया इसका अंदाजा भी है आपको? आप हमारे वरिष्ठ है, कभी हमारी प्रेक्टिकल प्रॉब्लम्स को भी सुना करें। आप लोग तो बस टारगेट दे देते हैं। असल परेशानी तो फील्ड में काम करने वाले हम जैसों को होती है।”  चुडैल सुंदरी के शब्दों से पूरी सभा में सन्नाटा छा गया।

अध्यक्ष ने पूछा- “कहो बेटी क्या परेशानी है तुम्हारी..?”  चुडैल सुंदरी की आँखों में आँसू आ गये। अपने साथ हुई घटना की जानकारी देते हुए उसने बताया- “पिछले महीने मुझे नेशनल हाईवे पर मुसाफिरों को लुभाकर उनसे लिफ्ट मांगने और फिर डराकर उनका खून पीने का काम सौंपा गया था। मैं भूतिया अंदाज में सज-संवरकर हाईवे पर खड़ी भी हो गई। लेकिन लोग मुझे भूत के बजाय माल कह रहे थे। मुझे छेड़छाड़ और फब्तियों का सामना करना पडा और जिन्होंने लिफ्ट दी वे तो किसी पॉलिटिकल पार्टी के गुंडे निकले। लिफ्ट देने के बाद उन्होंने मुझे कार में ही अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश की। मैं ही जानती हूँ की किस मुश्किल से मैं भूतिया पावर का इस्तेमाल कर अपनी इज्ज़त बचा सकी। कानून व्यवस्था की हालत ऐसी है कि हमारा सड़कों पर निकलना तक सुरक्षित नहीं है। ”

चुड़ैल सुंदरी की बातों को सुनकर अध्यक्ष ने मंच से ही घोषणा कर दी कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति देखते हुए आज से किसी भी चुडैल को इस प्रकार के टास्क पर नहीं भेजा जायेगा। यदि जाना बेहद जरूरी हो तो चुड़ैलों को पुरुष भूतों की सुरक्ष में ले जाया जाए।

इतने में श्‍मशान और कब्रिस्तान का चार्ज संभाल रहे भूत का दर्द फूट पडा, बोला- “जनाब पिछले तीस सालों से श्‍मशान और कब्रिस्तान का चार्ज संभाल रहा हूँ। कभी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया। श्‍मशान में हिन्दुओं व कब्रिस्तान में मुसलमानों और ईसाइयों को लगातार परेशान करता था। लेकिन आज आप ही देखिये हालात क्या हो गये हैं…. हमारे कब्रिस्तान पर न केवल इंसानों ने आशियाने तान दिये हैं, बल्कि अब तो सुलभ कॉम्पलेक्स भी बन गये हैं। वहाँ का सारा सीवेज कब्रों पर गिर रहा है। अब मेरे साथी भूत अपनी कब्रों को बचाएं या इंसानों को डराएं। श्‍मशान में तो हालत और भी बुरे हैं। गुंडे-बदमाश न केवल रात-बेरात आकर यहाँ शराब पीते हैं, बल्कि चिता की आग को भी ‘बॉन फायर’ की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। हम तो श्‍मशान और कब्रों में रहने वाले अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित है।”

इस बार अध्यक्ष ने कुछ कड़े स्वर में कहा- “भई.. सभी भूत यदि इस प्रकार की बहानेबाजी करने लगेंगे तो कैसे चलेगा। परेशानियाँ अपनी जगह हैं, लेकिन दृढ इच्छाशक्ति हो तो काम किया जा सकता है। जैसे सीहोरी भूत ने मुश्किल हालात में भी अपने काम को अंजाम दिया है वैसे ही आप भी कोशिश करें।”

इतना सुनना था कि मंच पर बैठा सीहोरी भूत भी फूट-फूट कर रोने लगा। बोला- “अध्यक्ष जी मैं इस सम्मान के काबिल नहीं हूँ। हकीकत तो ये है कि मैं तो कभी उस किसान को परेशान करने गया ही नहीं था। उसकी मौत कैसे हुई ये भी मुझे नहीं मालूम, लेकिन गृहमंत्री खुद जब इसका श्रेय मुझे दे रहे हों तो मुफ्त की इस शाबासी का मोह मुझसे त्यागा नहीं गया। मैंने आपको धोखे में रखा मैं शर्मिन्दा हूँ।”

भूतिया एक्सीडेंट पाइंट पर तैनात भूत ने सीहोरी भूत को दिलासा देते हुए कहा- “ये कहानी केवल अकेले सीहोरी भूत की नहीं है, मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। पहले मुझे देखकर लोग स्टेयरिंग पर काबू खो देते थे, लेकिन अब तो इतने बेखौफ है कि बोलते हैं चढ़ा दे साले पर आधी रात को बीच रास्ते में खडा है, साला। वो तो भला हो सरकार का, जिसने सड़क पर जानलेवा गड्ढे रहने दिये हैं। उन्हीं गड्ढों से सडकों पर लोग मर जाते हैं और मेरी थोडी बहुत इज्जत बनी हुई है। ”

भूतों की दयनीय हालत को जानकर प्रदेशाध्यक्ष के तो होश उड़ गये। फैसला लिया गया कि जो सरकार बिना बात ही भूतों को श्रेय देकर पिशाच मंडली की साख बचा रही है, जल्द ही उसे भूत,पिशाच, चुड़ैल, जिन्न संयुक्त मोर्चा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन जरूर सौंपा जायेगा।

 

 

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