रचना संसारहेडलाइन शुभरात्रि शायरी By मध्यमत - 0 76 FacebookTwitterPinterestWhatsApp मशाल का बेटा धुआँ, गर्व से गगन में गया, शून्य में खोया कोई नहीं रोया। मशाल की बेटी आग यहीं धरती पर रही, चूल्हे में आई नसों में समाई।