शुभरात्रि शायरी

तारीख़ें भी तीस
और आदमी अकेला
हफ़्ते भी चार
और आदमी अकेला
महीने भी बारह
और आदमी अकेला
ऋतुएँ भी छह
और आदमी अकेला
वर्ष भी अनेक
और आदमी अकेला
काम भी बहुत से
और आदमी अकेला।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here