रचना संसारहेडलाइन शुभरात्रि शायरी By मध्यमत - 0 130 FacebookTwitterPinterestWhatsApp तारीख़ें भी तीस और आदमी अकेला हफ़्ते भी चार और आदमी अकेला महीने भी बारह और आदमी अकेला ऋतुएँ भी छह और आदमी अकेला वर्ष भी अनेक और आदमी अकेला काम भी बहुत से और आदमी अकेला।