रचना संसारहेडलाइन शुभरात्रि शायरी By मध्यमत - 0 81 FacebookTwitterPinterestWhatsApp उसकी याद आई है, साँसो ज़रा आहिस्ता चलो धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है