रचना संसारहेडलाइन शुभरात्रि शायरी By मध्यमत - 0 124 FacebookTwitterPinterestWhatsApp वक़्त होठों से मेरे वो भी खुरच कर ले गया इक तबस्सुम जो था दुनिया को दिखाने के लिए