रचना संसारहेडलाइन शुभरात्रि कविता By मध्यमत - 0 85 FacebookTwitterPinterestWhatsApp देख, दहलीज़ से काई नहीं जाने वाली ये ख़तरनाक सचाई नहीं जाने वाली आज सड़कों पे चले आओ तो दिल बहलेगा चन्द ग़ज़लों से तन्हाई नहीं जाने वाली -दुष्यंत