रचना संसारहेडलाइन शुभरात्रि शायरी By मध्यमत - 0 61 FacebookTwitterPinterestWhatsApp देखो, आहिस्ता चलो और भी आहिस्ता ज़रा देखना, सोच सँभल कर ज़रा पाँव रखना ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं कांच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में ख़्वाब टूटे न कोई जाग न जाए देखो जाग जाएगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा – गुलजार