रचना संसार शुभरात्रि कविता By मध्यमत - 0 43 FacebookTwitterPinterestWhatsApp इतना कुछ था दुनिया में लड़ने झगड़ने को पर ऐसा मन मिला कि ज़रा-से प्यार में डूबा रहा और जीवन बीत गया..। – कुंवर नारायण