रचना संसारहेडलाइन शुभरात्रि शायरी By मध्यमत - 0 64 FacebookTwitterPinterestWhatsApp ग़म थका-हारा मुसाफ़िर है चला जाएगा कुछ दिनों के लिए ठहरा है मेरे कमरे में