भोपाल/ मध्यप्रदेश के नए प्रशासनिक मुखिया को लेकर पिछले 15 दिनों से चल रही ऊहापोह की स्थिति बुधवार को खत्म हो गई। केंद्रीय कार्मिक विभाग ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को छह माह की सेवा वृद्धि का आदेश जारी कर दिया। लेकिन इस नियुक्ति के बाद भी प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारे में कई सवाल अनुत्तरित हैं। मसलन क्या बैंस का कार्यकाल विधानसभा चुनाव तक के लिए फिर छह माह बढ़ेगा या किसी नए उत्तराधिकारी की तलाश मुख्यमंत्री शिवराजसिंह को करना होगी।
एक सवाल यह भी है कि जब केंद्र सरकार को शिवराज की मंशा के मुताबिक सेवा विस्तार देना ही था तो पूरे एक साल के लिए क्यों नहीं दिया गया। क्योंकि मुख्यमंत्री तो कभी नहीं चाहेंगे कि चुनाव के समय उनकी पसंद का मुख्य सचिव न रहे। दूसरी तरफ इस सेवावृद्धि ने मुख्य सचिव की कुर्सी पर निगाहें जमाए बैठे कई अफसरों की भावनाओं पर भी पानी फेर दिया है।
प्रदेश के शीर्षस्थ नौकरशाह को सेवावृद्धि देने के मुख्यमंत्री के प्रस्ताव पर केंद्र की मुहर एक तरह से इस बात का भी संकेत है कि शिवराजसिंह की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है। केंद्र के इस रुख से मुख्यमंत्री पद में बदलाव की उम्मीद रखने वाले भाजपा नेताओं, मंत्रियों को भी झटका लगा है। इसमें यह संदेश भी छिपा है कि शिवराज को चुनावी साल में मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की संभावना फिलहाल नहीं है। यानी आगामी विधानसभा चुनाव शिवराज की लीडरशिप में ही लड़ा जाएगा।
लेकिन इस मामले में एक पेंच भी है। वो यह कि बैंस को सेवावृद्धि छह माह यानी 31 मई 2023 तक ही मिली है और प्रदेश में विधानसभा के चुनाव नवंबर तक होंगे। ऐसे में यक्ष प्रश्न यह है कि क्या बैंस की प्रशासनिक अगुवाई में चुनाव कराने के लिए शिवराजसिंह को एक बार फिर केंद्र से मनुहार करनी होगी? यदि ऐसा होता है तो फिर यह सवाल उठेगा कि क्या उस समय भी केंद्र शिवराज पर वैसा ही अनुग्रह करेगा जैसा उसने इस समय किया है?
और यदि केंद्र ने बैंस को दूसरी सेवावृद्धि से इनकार कर दिया तो प्रदेश में एक बार फिर नए मुख्य सचिव की तलाश शुरू करनी होगी। सवाल उठेगा कि चुनाव कराने के लिए शेष बचे अगले छह माह में बैंस का उत्तराधिकारी कौन होगा? यानी चुनाव से पहले एक बार फिर बडे प्रशासनिक उलटफेर के आसार बनेंगे। तब के हालात में कौन मुख्यमंत्री की पसंद बन पाएगा, यह आने वाले समय में ही साफ हो सकेगा।
निश्चित रूप से इकबाल सिंह बैंस की छवि एक सख्त और कुशल प्रशासक की है लेकिन इसके साथ ही उनकी कार्यशैली को लेकर खुद नौकरशाही ही नहीं जन प्रतिनिधियों के भी अपने अलग अनुभव है। जो सकारात्मक नहीं हैं। ऐसे में शिवराज के लिए यह चुनौती होगी कि चुनावी वर्ष में वे इस स्थिति में कैसे सामंजस्य और संतुलन बिठाते हैं।
मुख्य सचिव पद पर बैंस की सेवावद्धि के बाद अब प्रशासनिक सर्जरी 8 दिसम्बर के बाद तेजी से होगी और चुनावी जमावट के हिसाब से उन अफसरों की पदस्थापना की जाएगी जिस श्रेणी के अफसर चुनाव आयोग के सीधे निशाने पर रहते हैं। नवम्बर माह में सेवावृद्धि का प्रस्ताव जाने के पहले मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने 14 जिलों के कलेक्टरों को बदल दिया था और अब बाकी जिलों और संभागों में कलेक्टर, एसपी, आईजी-संभागायुक्त पदस्थ किए जाएंगे। इसके साथ ही राज्य प्रशासनिक सेवा और राज्य पुलिस सेवा के अफसरों की पदस्थापना में भी चुनावी जमावट का असर देखने को मिलेगा। अगर बैंस को मई के बाद सेवावृद्धि नहीं भी मिलती तो अधिकारियों की पदस्थापना शिवराज-बैंस की मंशा के मुताबिक तब तक हो जाएगी।