सबको चाहिए तोहफेबाज सरकार

राकेश अचल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सावन आने से तीन दिन पहले ही देश के 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त अन्न का तोहफा देकर बड़ा पुण्य का काम किया। वैसे भी सावन मास पुण्यकाल के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। प्रधानमंत्री जी ने देश के गरीबों को दीपावली और छठ तक ये मुफ्त का माल देने की घोषणा की है। हमें इस घोषणा का स्वागत करना चाहिए, क्योंकि इसमें राजनीति बिलकुल नहीं है, केवल दीपावली और छठ है।

प्रधानमंत्री जी की हर घोषणा दूरगामी नतीजे देने वाली होती है। इस घोषणा के भी दूरगामी नतीजे होंगे। दीपावली पूरा देश मनाता है और छठ पूरा बिहार। बिहारी पूरे देश में हैं बिहार के अलावा इसलिए अब छठ भी पूरे देश का त्यौहार हो गया, इसे बिहार चुनावों से जोड़ने वाले संकीर्ण दृष्टिकोण वाले हैं। प्रधानमंत्री जी के पास देने लायक जो है सो वे दे रहे हैं, इसका  विरोध क्या करना? अब भला लॉकडाउन से देश में दस करोड़ रोजगार चले गए तो प्रधानमंत्री जी कहाँ से लाकर दें रोजगार।  उनके पास अन्न है सो ले जाओ ख़ुशी-खुशी।

मेरा चार-पांच दशक का अनुभव कहता है कि यदि इस देश में गरीब न होते तो हमारे समाज में संवेदना भी न होती। सरकारें भी संवेदनशील न होतीं। स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने देश से गरीबी हटाने की बात कही, बात क्या कही, बाकायदा एक नारा दिया, लेकिन वे इसे हटाने में कामयाब नहीं हुईं, बल्कि उनके जाने के बाद देश में गरीबों की आबादी बढ़ गयी। गरीबी भगवान की देन है जैसे कि अमीरी होती है, इसलिए इसे हटाने के बारे में सोचना भी पाप है। भगवान का दिया शिरोधार्य किया जाता है, हटाया या मिटाया नहीं जाता।

हमारी मौजूदा सरकार धर्मपरायण सरकार है, जानती है कि गरीबी हटाने से कुछ नहीं होगा, उलटे समस्याएं खड़ी हो जाएँगी। जब सब अमीर हो जायेंगे तो झाड़ू कौन लगाएगा, सफाई कौन करेगा, मकान कौन बनाएगा आदि-आदि। इसलिए हर समाज में गरीबों का होना अनिवार्य ही नहीं अपितु अपरिहार्य है। गरीबों का ख्याल रखने वाले को गरीबनवाज कहते हैं। कल की घोषणा के बाद मुझे भी लगने लगा है कि हमारे प्रधानमंत्री जी भले ही चौकीदार न हों किन्तु वे गरीबनवाज जरूर हैं और नवाजुद्दीन सिद्दीकी से बेहतर हैं। सुनील सूद से भी बेहतर हैं।

प्रधानमंत्री जी की देखादेखी बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता जी ने भी गरीबों का ख्याल रखने की घोषणा की है। ममता जी के यहां अन्नपूर्णा देवी की भरपूर कृपा है सो उन्होंने कहा है कि वे अपने सूबे में जनता को आने वाले जून तक मुफ्त अनाज देंगी। ठीक भी है, तब तक सूबे में विधानसभा चुनाव भी निबट लेंगे। जनता रोटी की चिंता किये बिना चुनाव जैसे महत्वपूर्ण कार्य में हिस्सा ले पाएगी। मेरी दादी कहती थीं कि दुनिया में मुफ्त में अन्न देने से बड़ा कोई दूसरा पुण्य कार्य नहीं है।

वैसे एक हकीकत है कि हमारे यहां जनता को मुफ्त में  सामान और सेवाएं लेने की लत लग चुकी है। मुफ्त में राशन, मुफ्त में भाषण, मुफ्त में बिजली, मुफ्त में रेल यात्रा, मुफ्त में साइकल, मुफ्त में लेपटॉप, मुफ्त में किताबें, मुफ्त में शिक्षा, मुफ्त में चिकित्सा और अब मुफ्त में सरकार भी चाहिए उसे।  मैं ये भूल के भी नहीं कहूंगा कि सरकार ने देश की जनता  को मुफ्तखोर बना दिया है।

और अगर बना दिया है तो बुरा नहीं किया। जनता आदमखोर बने इससे बेहतर है कि जनता मुफ्तखोर बनी रहे। हमारे यहां ये काम कोई छह साल से थोड़े ही हो रहा है, सत्तर साल से हो रहा है। नेहरू जी के समय से हो रहा है और आने वाले समय में जो भी पंत प्रधान बनेगा उसके समय तक जारी रहेगा।

हमें यानि देश को प्रधानमंत्री जी का शुक्रगुजार होना चाहिए कि वे देश की जनता को एक के बाद एक पैकेज देते जा रहे हैं। उन्होंने कोरोनाकाल में ध्वस्त हुए देश को पहले 20 लाख करोड़ का पैकेज दिया था कि नहीं? अब मुफ्त का अन्न बांटने के लिए 90 हजार करोड़ का पैकेज दिया है कि नहीं। जनता को भरोसा रखना चाहिए कि जब तक देश के पंत प्रधान मोदी जी हैं उन्हें पैकेजों की कमी नहीं होने दी जाएगी, चाहे चीन से दंगल ही क्यों न हो जाये। मोदी जी जैसा प्रधान देश को न पहले कभी मिला है और न आगे कभी मिलेगा। ‘न भूतो, न भविष्यति।‘  जिन्हें मोदी जी पर गर्व नहीं है वे न करें, लेकिन हम तो करेंगे क्योंकि हम उनके नहीं देश के भक्त हैं।

हकीकत ये है कि देश बीते छह साल से भक्तिभाव से ही चल रहा है। भक्ति भाव न होता तो हम एक से बड़ा एक संकट  सह न पाते। हमने नोट बंदी सही। जीएसटी सही। अरबों-खरबों लेकर देश छोड़ने वालों को सहा। और तो और कोरोनाकाल के चलते दुनिया का सबसे लंबा लॉकडाउन सहा, लेकिन उफ़ नहीं की।

अब देश में डीजल-पेट्रोल के दाम रोजाना छलांग लगा रहे हैं लेकिन हम उफ़ तक नहीं कर रहे। राष्ट्रहित में सह रहे हैं न।  ये प्रदर्शन करने वाले तो देशद्रोही हैं। इनके बारे में क्या कहना। ये जो कर रहे हैं वो भी जरूरी है वरना देश में सुई पटक सन्नाटा छा जाएगा। इसलिए सब चलने दीजिये। जरूरी ये है कि आप मुंह पर मास्क लगाइये, दो गज का फासला बनाये रखिये। किसी को आपसे कोई शिकायत नहीं होगी।

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टीम मध्‍यमत

 

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