एक कार कंपनी में ऑटोमोबाइल इंजीनियर ने एक वर्ल्ड क्लास कार डिज़ाइन की। कंपनी के मालिक ने कार की डिजाइन बेहद पसंद की और इंजीनियर की खूब तारीफ की।
जब पहली कार की टेस्टिंग होनी थी तो कार को फैक्ट्री से निकालते समय इंजीनियर को अहसास हुआ कि कार शटर से बाहर निकल ही नहीं सकती थी, क्योंकि कार की ऊंचाई गेट से कुछ इंच ज़्यादा थी। इंजीनियर को निराशा हुई कि उसने इस बात का ख्याल क्यों नहीं किया।
इस समस्या के दो उपाय सुझाए गए:
पहला, कार को बाहर निकालते समय गेट की छत से टकराने के कारण जो कुछ बम्प, स्क्रैच आदि आएं, उन्हें बाहर निकलने के बाद रिपेयर किया जाये। पेंटिंग सेक्शन इंजीनियर ने भी सहमति दे दी, हालाँकि उसे शक था कि कार की खूबसूरती वैसी ही बरक़रार रहेगी।
दूसरे उपाय के रूप में कंपनी के जनरल मैनेजर ने सलाह दी कि शटर हटाकर गेट के ऊपरी हिस्से को तोड़ दिया जाय। कार निकलने के बाद गेट को रिपेयर करा लेंगे।
कंपनी का गार्ड ये सारी बातें सुन रहा था। उसने झिझकते हुए कहा- अगर आप मुझे मौका दें, तो शायद मैं कुछ हल निकाल सकूँ। मालिक ने बेमन से उसे स्वीकृति दी।
गार्ड ने चारों पहियों की हवा निकाल दी, जिससे कार की ऊंचाई 3-4 इंच कम हो गयी और कार बड़े आराम से बाहर निकल गई।
Bottomline:
किसी भी समस्या को हमेशा एक्सपर्ट की तरह ही न देखें। एक आम आदमी की तरह भी समस्या का बढ़िया हल निकल सकता है।
इस कहानी का ज़िन्दगी के लिए सबक:
“कभी कभी किसी दोस्त के घर का दरवाजा हमें छोटा लगने लगता है, क्योंकि हम अपने आपको ऊँचा समझते हैं। अगर हम अपने दिमाग से थोड़ी सी हवा (ईगो) निकाल दें, तो आसानी से अंदर जा सकते हैं। ज़िन्दगी सरलता का ही दूसरा नाम है।”
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यह कहानी हमारे पाठक श्री सुरेशचंद्र पांडे ने भेजी है।
Inspirative story……