मध्यप्रदेश में सिनेमा की ‘डर्टी पालटिक्स’

राकेश अचल 

बॉलीवुड के लिए मध्यप्रदेश एक सस्ता और सुन्दर ठिकाना हो सकता है किन्तु मध्यप्रदेश की ‘डर्टी पॉलिटिक्स’ ऐसा होने नहीं दे रही। मध्यप्रदेश से ताल्लुक रखने वाले अनेक परिवार और लोग आज फिल्मी दुनिया में शीर्ष पर हैं, लेकिन मध्यप्रदेश की राजनीति उनका इस्तेमाल मध्‍यप्रदेश के हित में कभी कर नहीं पायी और ऐसा जब-जब हुआ गंदी राजनीति शुरू हो गयी। इसमें सभी दल बराबर के हिस्सेदार हैं।

मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में फिल्मी दुनिया के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित ‘आईफा’ समारोह का प्रायोजन हासिल कर लिया था। समारोह इंदौर में होना था, अभिनेता सलमान खान और जैकलीन फर्नांडिज इसके लिए मध्यप्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ बातचीत भी कर गए थे, लेकिन कमलनाथ के साथ इन अभिनेताओं की एक तस्वीर ने बखेड़ा खड़ा कर दिया। भाजपा ने कमलनाथ को ‘कमरनाथ’ तक कह दिया, क्योंकि कमलनाथ का एक हाथ जैकलीन की कमर तक पहुंचा दिखाई दे रहा था। बहरहाल कांग्रेस की सरकार के गिरने के कारण ‘आईफा’ समारोह अपने आप गिर गया। भाजपा की हसरत पूरी हो गयी।

‘आईफा’ से हाथ धो बैठे मध्यप्रदेश में पिछले दिनों विवादास्पद अभिनेत्री कंगना रनौत एक फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में भोपाल पहुंचीं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने उनका अपने आवास पर स्वागत किया तो कांग्रेस के सीने पर सांप लोट गया। कांग्रेसियों ने कंगना और शिवराज मिलन का विरोध उसी स्तर और तरीके से किया जैसा गत वर्ष भाजपा ने ‘आईफा’ की घोषणा के समय किया था। मध्यप्रदेश में ये गंदी राजनीति प्रदेश को बॉलीवुड का ‘डेस्टिनेशन’ होने से रोकती है। हालांकि पिछली भाजपा सरकार ने अपने पंद्रह वर्ष के कार्यकाल में अनेक फिल्म निर्माताओं को भोपाल और आसपास शूटिंग करने के खूब मौके दिए थे।

मध्यप्रदेश में बॉलीवुड वाले कोई आजकल से नहीं आते। सुनील दत्त के जमाने में भी यहां खूब शूटिंग हुई। मध्य प्रदेश का चंबल इलाका एक जमाने में बॉलीवुड की पहली पसंद था। यहां सिनेमा के लिए चरित्र, कहानियां और शूटिंग की लोकेशनों की कोई कमी नहीं, लेकिन दुर्भाग्य से मध्यप्रदेश की कोई भी सरकार राज्‍य की इस सम्पदा का इस्तेमाल व्यावसायिक रूप से नहीं कर सकी। सिनेमा बनाने वाले अपने निजी राजनीतिक सम्पर्कों के चलते यहां आते-जाते रहे, काम करते रहे लेकिन कोई स्थाई संरचना इतने सालों में विकसित नहीं हो पाई।

मध्यप्रदेश से बॉलीवुड के स्थापित कपूर खानदान के अलावा अनेक सिने घरानों का ताल्‍लुक रहा है। अतीत में गायक लता मंगेशकर, किशोर कुमार, अभिनेता अशोक कुमार, प्रेमनाथ, जॉनीवाकर, वनमाला और वर्तमान में अमिताभ बच्चन, सलमान खान, जावेद अख्तर। सलीम खान, आशुतोष राणा, राजा बुंदेला जैसे अनेक नाम हैं जो मध्यप्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। यदि मध्यप्रदेश की सरकारें इन सबके संपर्कों का सहारा लेकर आगे बढ़तीं तो यहां फिल्मसिटी जैसी कोई आधारभूत संरचना कभी की बन चुकी होती। दुर्भाग्य से ऐसा न अतीत में हुआ और न वर्तमान में। केवल डर्टी पॉलिटिक्स जरूर इस मामले में होती रही।

मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने विश्वविख्यात आइफा पुस्कारों को मध्यप्रदेश लाकर एक लंबी लकीर खींच दी थी। कमलनाथ मुख्यमंत्री नहीं रहे तो आइफा ने भी मध्यप्रदेश में इसके आयोजन से हाथ खींच लिए। इन आयोजनों का भव्य ऐलान खुद सलमान खान ने मध्यप्रदेश आकर किया था। सलमान खान इसी बहाने मध्यप्रदेश में अपने गृहनगर इंदौर को फिल्मों की शूटिंग का नया हब बनाना चाह रहे थे। लेकिन, सेंसर बोर्ड के मेंबर अनिल मिश्रा इस बार सलमान खान पर भारी पड़े हैं।

ताजा घटनाक्रम के अनुसार अपने हाथ से निकल चुके आइफा पुरस्कारों की भरपाई करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने एक ऐसे पुरस्कार पर अपने राज्य की जनता की गाढ़ी कमाई खर्च करने का फैसला किया है, जिसके नाम को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। फिल्म जगत के तमाम बुजुर्ग कलाकारों का ये मानना रहा है कि देश में दादा साहेब फाल्के के नाम पर बस एक ही पुरस्कार होना चाहिए जो भारत सरकार देती है। लेकिन, मुंबई में फिल्म पुरस्कार एक कारोबार हैं और पिछले कई साल से दादा साहब फाल्के का नाम जोड़कर फिल्म पुरस्कारों के लिए प्रायोजक तलाशने की आयोजकों में होड़ सी लगी रही है।

अनिल मिश्रा ने इस बार बीजेपी में अपनी पहुंच का फायदा उठाते हुए अपने निजी पुरस्कार आयोजन दादासाहेब फाल्के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के लिए मध्य प्रदेश सरकार से रकम लगाने का वादा पा लिया है। अनिल ने इसका ऐलान भी मुंबई में कर दिया। सलमान खान के घर के पड़ोस में स्थित ताज लैंड्स एंड होटल में ही मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ये पुरस्कार कराने जा रही है। तारीख 20 फरवरी तय की गई है। पुरस्कारों के लिए फिल्में, कलाकार और तकनीशिन चुनने के लिए किसी तरह की ज्यूरी या वोटिंग प्रक्रिया की जानकारी अब तक इन पुरस्कारों के आयोजकों ने सार्वजनिक नहीं की है।

उल्लेखनीय है की बीजेपी और कांग्रेस के बीच चल रहे प्रतिष्ठा के खेल में इस बार सिनेमा नया अखाड़ा बना है। कांग्रेस की राजस्थान सरकार ने चर्चित फिल्म निर्माता साजिद नाडियाडवाला को अपनी उस फिल्म की शूटिंग जैसलमेर में अगले महीने से करने के लिए राजी कर लिया है, जिसके हीरो बीजेपी के पोस्टर ब्वॉय अक्षय कुमार हैं। अक्षय कुमार हाल ही में मुंबई में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और बीजेपी के पोस्टर ब्वॉय योगी आदित्यनाथ से मिल चुके हैं। मध्य प्रदेश पर्यटन के कुछ अफसर लगातार हिंदी फिल्म निर्माताओं के संपर्क में रहे हैं, स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके परिजनों की भी सिनेमा में खासी रुचि रही है। अब देखना ये है कि क्या आने वाले दिनों में मध्‍यप्रदेश इस दिशा में कोई ठोस कदम उठा पाता है या नहीं?

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