नई दिल्ली, मई 2016/ मोदी सरकार अपनी ‘कॉरपोरेट मित्र’ छवि से दूरी बनाने की भी भरपूर कोशिश कर रही है। शराब कारोबारी विजय माल्या की राज्यसभा सदस्यता खत्‍म करने के मामले में एथिक्‍स कमेटी के विचार सामने आने के बाद अब इस दिशा में एक नया कानून भी बन सकता है। कानून में यह प्रावधान होगा कि कोई भी बैंक डिफॉल्टर अब चुनाव नहीं लड़ सकेगा। भाजपा सांसद भूपेंदर यादव के नेतृत्व वाली संसद की समिति ने इस संबंध में कई अनुशंसाएं की हैं। अगर सरकार इन मांगों को मान लेती है तो डिफॉल्टर्स के स्थानीय निकायों, राज्य विधानसभाओं और संसद के लिए चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाएगी। हाल के सालों में विजय माल्या सबसे बड़े डिफॉल्टर बनकर उभरे हैं। कई बैंकों का कहना है कि वह जानबूझकर पैसा नहीं चुका रहे हैं। कुछ सालों से संसद और विधानसभाओं में कारोबारियों का प्रतिनिधित्वं बढ़ा है। इनमें से कई का रेकॉर्ड बैंकों के लोन के भुगतान के मामले में अच्छा नहीं रहा है। कमेटी ने कहा है कि डिफॉल्टर घोषित किए जा चुके लोगों को सरकारी नौकरी, किसी ट्रस्ट, एस्टेट या सेटलमेंट का ट्रस्टी बनाने से भी प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here