छिंदवाड़ा। कोरोना से जूझ रहे मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से जो खबर आई है उसने प्रदेश में इस महामारी से निपटने के प्रयासों पर तो सवाल खड़े किये ही हैं साथ ही विकास के छिंदवाड़ा मॉडल पर भी उंगली उठा दी है। छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल के कोविड आईसीयू में पानी के अभाव में एक महिला के दम तोड़ देने की घटना झकझोर देने वाली है। इस घटना को कोविड वार्ड में भरती उस महिला की बेटी ने एक वीडियो के जरिये उजागर किया है। बताया जाता है कि यह युवती खुद मध्यप्रदेश पुलिस में कार्यरत है। उसका आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण उसकी मां की जान चली गई।
युवती के मुताबिक कोरोना संक्रमित उसकी मां हृदय रोग की भी मरीज थीं और उन्हें आईसीयू में रखा गया था। 3-4 अगस्त को तड़के करीब साढ़े तीन बजे मां ने उसे फोन किया कि प्यास लग रही है पर पानी देने वाला कोई नहीं है। युवती ने अस्पताल प्रशासन और स्टाफ को इसकी जानकारी दी लेकिन उसके बावजूद उसकी मां को किसी ने अटेंड नहीं किया और सुबह बताया गया कि वे चल बसी हैं।
इस युवती का करीब पूरा परिवार ही कोरोना पीडि़त होकर अस्पताल में है। इनमें उसके पिता भी शामिल हैं। मां की मौत के बाद हालत बिगड़ने पर उसके पिता को आईसीयू में शिफ्ट किया गया जहां उनके सामने एक मरीज के वेंटिलेटर का ऑक्सीजन पाइप निकल जाने से उसने भी तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया। पाइप निकल जाने की जानकारी वार्डबॉय को दी गई थी पर उसने भी कुछ नहीं किया।
घटना सामने आने के बाद अस्पताल स्टाफ में हड़कंप मच गया। सिविल सर्जन डॉ.पी. गोगिया ने बताया कि इन घटनाओं के सिलसिले में ऑन ड्यूटी डॉक्टर, दो स्टाफ नर्स और वार्ड बॉय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। इसके अलावा नोडल अधिकारी को जांच के आदेश दिए गए है। उधर कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन का कहना है कि घटना को लेकर वायरल हुए वीडियो की जांच की जा रही है। जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
जांच रिपोर्ट और फौरी कार्रवाई की लीपापोती को छोड़ दें तो बड़ा सवाल यह है कि ऐसी जानलेवा लापरवाहियां आखिर हो कैसे रही हैं। क्या अस्पतालों में मरीजों को देखने सुनने वाला कोई नहीं है। क्या यह माना जाए कि प्रदेश में चिकित्सा और स्वास्थ्य का ढांचा पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। कोरोना मरीजों को समुचित इलाज के जो दावे किये जा रहे हैं वे खोखले हैं?
एक सवाल यह भी है कि विकास के जिस छिंदवाड़ा मॉडल की तारीफों के पुल बांधे जाते रहे हैं क्या उसका असली रूप यही है। क्षेत्र के असरदार नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले के अस्पताल में अगर मरीज पानी मांगते हुए मर रहे हैं या ऑक्सीजन का पाइप निकलने से जान दे रहे हैं तो इसे क्या समझा जाए। प्रदेश की राजनीति इन दिनों उपचुनावों में व्यस्त है और लगता है कि कोरोना महामारी के चलते जानलेवा हो गई चिकित्सा व्यवस्था पर ध्यान देने की फुर्सत किसी को नहीं। न सत्ता पक्ष को न विपक्ष को।