अजय बोकिल
देश में कोरोना से जारी महायुद्ध के दौरान बेपर्दा हो रहे ‘घोटालों’ में संतोष की बात यही है कि इसमें सब कुछ ‘स्वदेशी’ है। यानी घोटाला करने वाले, पकड़े जाने वाले, घोटाला पकड़ने वाले, माल बनाने वाले, माल सप्लाई करने वाले और उसमें कमीशन खाने वाले भी। यहां ‘स्वदेशी’ का जिक्र इसलिए क्योंकि दो माह पूर्व चीन से आयातित घटिया पीपीई किट्स, मास्क और वेंटीलेटर को लेकर देश में खासा बवाल मचा था। कहा गया था कि कोरोना से लड़ने बेहतर क्वालिटी और सस्ते उपकरणों के लिए स्वदेशी’ पर जाया जाए।
विचार रूप में यह अच्छा था, लेकिन जमीन पर जो कुछ हो रहा है, उसकी तस्वीर हिमाचल प्रदेश में पीपीई किट खरीदी में कमीशनबाजी और गुजरात में फर्जी वेंटीलेटर सप्लाई घोटाले के रूप में सामने आई है। वैसे पीपीई तथा मास्क खरीदी में गड़बड़ी और घटिया गुणवत्ता के मामले यूपी, एमपी, पंजाब और दूसरे राज्यों में भी सामने आ रहे हैं, जहां विपक्ष इन्हीं मुद्दों पर सम्बन्धित राज्यों की सरकारों को घेरने में लगा है।
हिमाचल घोटाले के संदर्भ में कांग्रेस नेता और मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने ट्वीट किया कि क्या मप्र में हो रहे घोटालों पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी.डी.शर्मा भी पद से इस्तीफा देंगे? वैसे जिन राज्यों से अभी घोटाले की खबरें नहीं आ रही हैं, वो लॉकडाउन उठने के बाद उजागर होंगी। इधर आम जनता लॉकडाउन में भी नेताओं, अफसरों और कारोबारियों के इस खुले भ्रष्टाचार को देख कर हैरान है कि वह कोरोना से मुकाबला करे या इस भ्रष्टाचार से?
भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश में पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट) किट खरीद घोटाला उजागर होने के बाद प्रदेश भाजपाध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल को पद से इस्तीफा देना पड़ा तथा स्टेट विजिलेंस ने राज्य के स्वास्थ्य संचालक अजय गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया। ये कार्रवाई एक ऑडियो क्लिप सामने आने के बाद की गई। इसकी जांच के आदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दिए थे।
बताया जाता है कि कोरोना संकट के बीच राज्य में पूर्व स्वास्थ्य संचालक डॉ. अजय गुप्ता के निर्देशन में परचेसिंग कमेटी ने 9 करोड़ रुपये के सप्लाई ऑर्डर दिए थे। इसमें मोहाली की एक ही फर्म को 5 हजार पीपीई किट्स का ऑर्डर दिया गया था। जबकि टेंडर 40 कंपनियों ने भरे थे। ऑडियो क्लिप में पीपीई किट की ‘डील’ के लिए 5 लाख रुपये की दलाली मांगी जा रही थी।
‘डॉ. गुप्ता और ‘डॉ. बिंदल के करीबी सम्बन्ध हैं। जांच में उजागर हुआ कि दलाली में जिस व्यक्ति ने अहम भूमिका निभाई, वह बिंदल की बेटी-दामाद के डायग्नोस्टिक सेंटर में काम करता है। यह दलाली ‘डॉ. अजय गुप्ता को दी जानी थी। जबकि बिंदल ने ही गुप्ता को सेवावृद्धि भी दिलवाई थी।
बताया जाता है कि इतनी कार्रवाई भी मामला प्रधानमंत्री तक पहुंचने के बाद की गई। ऐसा है तो अच्छी बात है, लेकिन यही तत्परता और सख्ती गुजरात के फर्जी वेंटीलेटर घोटाले में नहीं दिखाई दी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 5 हजार वेंटीलेटर खरीदने का ऑर्डर राजकोट की जिस फर्म को दिया गया, उसके मुख्यमंत्री सहित कई आला भाजपा नेताओं से करीबी सम्बन्ध हैं।
इस फर्म ने वेंटीलेटर के नाम पर जो धमन-1 नामक मशीन सप्लाई की वह खुद सरकारी अस्पताल के ‘डॉक्टरों के मुताबिक वेंटीलेटर न होकर ‘मैकेनाइज्ड एम्बू बैग’ थी, जो कृत्रिम रूप से सांस भरने के काम में आती है। ‘डॉक्टरों ने कहा कि यह मशीन बेकार है तथा इसकी जगह वेंटीलेटर सप्लाई किए जाएं। मामला उजागर होने के बाद विपक्षी कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए मामले की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग कर दी।
दूसरी तरफ कंपनी के बचाव में यह खबर छपवाई गई कि जो मशीन सप्लाई की गई, वह वास्तव में स्वदेशी वेंटीलेटर का प्रोटो टाइप है। असली मशीन तो अभी आने वाली है। अगर ऐसा था तो कोरोना मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने का दोषी कौन है? प्राप्त जानकारी के मुताबिक राज्य में ऐसे 900 नकली वेंटीलेटर लगाए गए, जिनमें से 230 तो अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में ही लगाए गए हैं।
इसी तरह गुजरात में एन-95 मास्क घोटाले की भी चर्चा है। राज्य की रूपाणी सरकार ने अमूल पार्लरों के मार्फत ये मास्क बेहद सस्ते दाम में लोगों तक पहुंचाने की योजना बनाई। एन-95 मास्क की कीमत 65 रुपये तथा तीन लेयर वाले मास्क की कीमत 5 रुपये रखी गई। लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा ने आरोप लगाया कि सरकार एन-95 मास्क पर 15 रुपये की मुनाफखोरी कर रही है। बीजेपी ने इन आरोपों का खंडन किया है।
इसी तरह भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में भी घटिया पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) किट को लेकर यूपी के महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा (डीजीएमई) केके गुप्ता का एक पत्र सोशल मीडिया में लीक हुआ था। पत्र में गुप्ता ने कई मेडिकल कॉलेजों को सप्लाई हुए घटिया पीपीई किट का उपयोग न करने समेत अन्य निर्देश दिए थे। इसको लेकर कांग्रेस महासचिव व यूपी इंचार्ज प्रियंका गांधी ने तंज कसा था कि यह पत्र लीक न होता तो खराब किट का मामला पकड़ में ही नहीं आता। क्या अब सरकार दोषियों पर कार्रवाई करेगी? मजे की बात यह है कि योगी सरकार एसटीएफ से जांच इस बात की करवा रही है कि ये पत्र कैसे लीक हुआ?
उधर हिमाचल के पड़ोसी और कांग्रेस शासित राज्य पंजाब की कहानी भी अलग नहीं है। वहां लुधियाना और अमृतसर के सरकारी अस्पतालों के ‘डॉक्टरों ने शिकायत की कि उन्हें दिए जा रहे पीपीई किट्स और एन-95 मास्क एकदम घटिया हैं। वे इसे नहीं पहनेंगे। इसके बाद विपक्षी शिरोमणि अकाली दल ने घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की मांग मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से की है। जबकि पंजाब सरकार का दावा है कि सारी खरीद ‘पारदर्शी’ ढंग से हुई है।
इधर मध्यप्रदेश में अभी कोई बड़ा कोरोना घोटाला सामने नहीं आया है, लेकिन इसके आसार पूरे हैं। यहां भी पीपीई किट्स की गुणवत्ता और कीमत को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
कोरोना मरीजों के इलाज के लिए कुछ निजी मेडिकल कॉलेजों को सरकार की ओर से बम्पर भुगतान की चर्चाएं कोरोना कॉरिडोर में हैं। इसी माहौल में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने हिमाचल की तर्ज पर मप्र के भाजपाध्यक्ष वी.डी. शर्मा से इस्तीफा मांग कर राजनीतिक सनसनी फैला दी। अपने ट्वीट में दिग्विजय ने पूछा कि क्या वीडी शर्मा में हिम्मत है कि वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व उनके परिजनों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार पर इस्तीफा दे सकें?
इससे आगबबूला भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने पलटवार किया कि पूर्व कमलनाथ सरकार में मंत्री उमंग सिंगार ने दिग्विजयसिंह के सम्बन्ध शराब व रेत माफिया से होने के आरोप लगाए थे, शिवराज सरकार अब उनकी हकीकत परखेगी। वैसे एक मिनी वेंटीलेटर घोटाला मप्र में भी हुआ है। खबर यह है कि छिंदवाड़ा में सांसद निधि से 25 लाख रुपये में खरीदे गए वेंटीलेटर की जांच मेडिकल कॉलेज के डीन से कराई जा रही है। खरीदी के बाद से इनकी गुणवत्ता निम्न होने की शिकायतें मिल रही थी।
इन तमाम घोटालों की गहराई से जांच होगी या नहीं और होगी तो उन पर कोई कार्रवाई होगी, इसकी संभावना कम ही है। क्योंकि इस हमाम में सभी नंगे हैं और पूरा मामला ‘देशी’ भ्रष्टाचार का है और तरीका भी ‘देशी’ ही है। दिलचस्प बात तो पीपीई किट खरीदी में कमीशनखोरी के मामले में इस्तीफा देने वाले हिमाचल प्रदेश भाजपाध्यक्ष ‘डॉ. राजीव बिंदल का है।
असल में उनसे इस्तीफा ले लिया गया है, लेकिन बिंदल इसे ‘उच्च नैतिक मूल्यों के आधार पर’ दिया गया इस्तीफा बताते हैं। उन्होंने शहादत के अंदाज में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजे अपने त्यागपत्र में कहा कि ‘कुछ लोग’ इस मामले में बीजेपी की ओर भी उंगलियां उठा रहे हैं। मैं बीजेपी अध्यक्ष हूं, इसलिए चाहता हूं कि मामले की पूरी और निष्पक्ष जांच हो। ‘इस प्रकरण का बीजेपी हिमाचल प्रदेश से कोई लेना-देना नहीं है।‘
दरअसल देश के कई राज्यों में जिस तरह एक के बाद एक कोरोना बचाव उपकरण खरीदी में फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं, उससे लगता है कि सत्ताधारी जमात ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लॉकडाउन फोर लागू होने के पहले दिए भाषण, ‘यह कोरोना संकट को अवसरों में बदलने का समय है’, को बहुत पहले ही आत्मसात कर अपना काम चालू कर दिया था।
उन्हें इस बात की रत्ती भर भी चिंता नहीं है कि कोरोना के कारण लोगों की जानें जा रही हैं। घटिया उपकरण इसमें मददगार हो रहे हैं। उनके लिए तो कोरोना किसी भी तरीके से पैसा कूटने का ‘सुअवसर’ है, जहां मानवीय संवेदनाएं शून्य डिग्री पर जम जाती हैं और बेईमानी ‘उच्च नैतिकता’ के पीपीई किट में चेहरा छुपाने की बेशर्म कोशिश करती है। अगर यही ‘स्वदेशी’ खेल है तो इससे भगवान बचाए…!
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टीम मध्यमत