कांग्रेस युवा ब्रिगेड से लड़वाएगी उपचुनाव 

अरुण पटेल

प्रदेश में होने वाले विधानसभा के 27 उपचुनावों में कौन युवा आईकॉन होगा या युवाओं का नेतृत्व कौन करेगा की चिंता से परे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के निर्देश पर कांग्रेस की युवा ब्रिगेड सक्रिय हो गई है। कांग्रेस के फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन युवा कांग्रेस और एनएसयूआई सोशल मीडिया को एक कारगर हथियार बनाते हुए प्रचार में दम दिखा रहे हैं। युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विधायक कुणाल चौधरी, एनएसयूआई के अध्यक्ष विपिन वानखेड़े के नेतृत्व में इनके कार्यकर्ता मोर्चा संभाले हुए हैं।

विपिन वानखेड़े खुद भी आगर मालवा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार हैं, इसलिए सभी उपचुनाव वाले क्षेत्रों में एनएसयूआई सक्रिय हो चुकी है। 2018 के विधानसभा चुनाव में विपिन वानखेड़े कांग्रेस के उम्मीदवार थे और उस चुनाव में उन्होंने भाजपा उम्मीदवार मनोहर लाल ऊंटवाल को कड़ी टक्कर दी थी। ऊंटवाल के निधन के कारण चुनाव हो रहा है इसलिए विपिन वानखेड़े ही सशक्त दावेदार माने जा रहे हैं।

कमलनाथ भी मैदानी जमावट करने में व्यस्त हैं और उन्होंने 17 जिलों के पिछड़ा वर्ग के पदाधिकारियों से पहली वर्चुअल मीटिंग कर चर्चा की। कांग्रेस अपना कुनबा बढ़ाने के अभियान में लगी हुई है, गुरुवार को इंदौर के शिक्षाविद समाजसेवी अजय चौरड़िया को कमलनाथ ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। अब यह तो चुनाव परिणामों से ही पता चलेगा कि अपना कुनबा बढ़ाने के लिए जिस प्रकार के जतन कमलनाथ कर रहे हैं उसमें कितनी सफलता मिलती है।

युवा कांग्रेस की प्रचार थीम का खुलासा करते हुए कुणाल चौधरी कहते हैं कि गद्दार विधायकों को सबक सिखाएं, यह तो उपचुनावों में कांग्रेस का मुद्दा है ही, इसके साथ ही बिजली बिलों में बेतहाशा वृद्धि, किसानों की कर्ज माफी और 15 माह बनाम 15 साल भी प्रमुख चुनावी मुद्दे होंगे। विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारियों की नियुक्ति कर दी गई है। प्रभारी पंचायत से लेकर शहरी निकायों में टीम बना कर एक-एक मतदाता से संपर्क करेंगे। सोशल मीडिया को भी हम उपचुनावों में टूल की तरह उपयोग करेंगे। टीमों के कामकाज का निरंतर फीडबैक भी लिया जाता रहेगा।

एनएसयूआई के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी का कहना है कि उनके संगठन के कार्यकर्ता पिछले जून माह से ही मैदान में सक्रिय हैं। छात्रों की टीमें सोशल मीडिया के जरिए युवा मतदाताओं के बीच प्रचार-प्रसार करने के साथ ही गांव से लेकर शहरों तक मतदाताओं के बीच जा रही हैं। टीमों को अलग-अलग पोलिंग बूथ की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कांग्रेस की युवा ब्रिगेड युवा मतदाताओं को टारगेट कर काम कर रही है। दोनों के ही पदाधिकारियों ने साफतौर पर कहा है कि पार्टी से गद्दारी करने वाले बिकाऊ पूर्व विधायक को जनता के बीच खासकर युवा मानस के बीच पूरी तरह से एक्सपोज करें।

इन लोगों से सोशल मीडिया पर पूरी ताकत से सक्रिय रहने को कहा गया है ताकि कोरोना संक्रमण के बीच कम से कम समय में अधिक से अधिक मतदाताओं से संपर्क किया जा सके। युवा कांग्रेस ने हाल ही में विधानसभा प्रभारी और सहप्रभारी नियुक्त कर उन्हें मैदान में भेज दिया है। चुनावों के पूर्व प्रदेश में दलबदल का तड़का लगाने का दस्तूर भी एक दशक पूर्व से ही चालू हो गया था और अब तो दलबदल की डिश ही तैयार होने लगी है।

इन चुनावों में पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की भी प्रभावी भूमिका रहेगी इसलिए कमलनाथ ने उनसे चर्चा की। देर से ही सही आखिर भाजपा की राह पर कांग्रेस चल ही पड़ी और कमलनाथ ने भी पहली वर्चुअल मीटिंग बुधवार को कर डाली। अन्य पिछड़ा वर्ग पदाधिकारियों से नाथ ने सभी 27 चुनाव वाले क्षेत्रों में अलग-अलग चुनाव तैयारी के बारे में जानकारी ली और जरूरी निर्देश दिए। इस दौरान पिछड़ा वर्ग के युवा प्रत्याशी ज्यादा से ज्यादा चुनाव में उतारने की मांग भी की गई। भाजपा, बसपा और अन्य दलों से आए लगभग 1000 से ज्यादा लोगों के कांग्रेस में शामिल होने का दावा भी किया गया। कुल मिलाकर अब कांग्रेस भी वर्चुअल मीटिंग का सहारा लेने लगी है, क्योंकि वह भाजपा के मुकाबले पिछड़ना नहीं चाहती।

और अंत में…
कांग्रेस की लुप्त होती विचारधारा को लेकर पार्टी के वरिष्ठ विधायक और कांग्रेस तथा भाजपा से लोकसभा सदस्य रहे  पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अनुज लक्ष्मण सिंह चिंतित हैं और खोजना चाहते हैं कि वह कहां लुप्त हो गई? लक्ष्मण सिंह ने एक ट्वीट करते हुए लिखा था कि हम कांग्रेस के साथी भाजपा और संघ की विचारधारा को निरंतर कोसते हैं, मैं भी उनकी विचारधारा से सहमत नहीं हूं। लेकिन कांग्रेस की विचारधारा कहां लुप्त हो गई कि चुनाव में हमें ’दुष्ट’ तांत्रिक बाबाओं की मदद लेना पड़ रही है? यह ट्वीट कमलनाथ और कांग्रेस को टेग किया है।

इस पर गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने तंज कसते हुए कहा है कि कांग्रेस की मूल विचारधारा लुप्त हो गई है, इसलिए वह  सुप्त हो गई है। जल संसाधन मंत्री तुलसी राम सिलावट को ज्योतिरादित्य सिंधिया के संदर्भ में कमलनाथ का एक वाकया याद आ गया और उन्होंने लक्ष्मण सिंह को सलाह दी कि यदि कमलनाथ से सवाल पूछोगे तो आपको भी सड़क पर उतरने की सलाह दी जाएगी।
(लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं)

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