अरुण पटेल
नये साल के पहले दिन पूरे प्रदेश में कांग्रेस ने संकल्प दिवस मनाया। इस बात का संकल्प लिया कि ‘नया साल, नई सरकार‘ के स्लोगन के साथ कांग्रेस कार्यकर्ता अभी से विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जायें, ताकि नई सरकार बनाकर ही दम ले सकें। नये साल में कांग्रेस का नारा है ‘छॅंटेगा अब अंधकार, आ रही है कमलनाथ सरकार।‘ प्रदेश कांग्रेस के ट्वीटर पर यही नारा चल रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी भरोसा है कि फिर से एक बार मतदाता उनकी ही ताजपोशी करने वाले हैं।
वैसे हर राजनीतिक दल को, अपने नेता को, मुख्यमंत्री बनाने का अधिकार है। लेकिन संभवतः पहली बार प्रदेश में ऐसा देखा जा रहा है कि जगह-जगह जो होर्डिंग लगे हैं उनमें कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बताया गया है। कमलनाथ भी सरकार बनने पर क्या-क्या करेंगे यह वादा भी कर रहे हैं। अब यह कांग्रेस का अति-उत्साह है या कमलनाथ का आत्मविश्वास या अति-विश्वास, लेकिन फिलहाल तो कांग्रेस इसी संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है। असली फैसला तो मतदाताओं को ही करना है। कांग्रेस के वादे एवं स्लोगन उन्हें कितना रास आए यह चुनाव नतीजों से ही पता चल सकेगा।
फिलहाल तो होर्डिंग्स में भावी मुख्यमंत्री लिखे जाने को लेकर राजनीतिक गलियारों में चटखारेदार चर्चा हो रही है। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता संतोष सिंह परिहार का भी एक पोस्टर सोशल मीडिया में चल रहा है जिसमें मध्यप्रदेश के नक्शे के साथ वर्ष 2023 नववर्ष मंगलमय हो के साथ प्रमुखता से लिखा है कि ‘नया साल नई सरकार मिटेगा अंधकार, आ रही है कमलनाथ सरकार।‘ प्रदेश कांग्रेस के तीन पदाधिकारियों चन्द्रप्रभाष शेखर, प्रकाश जैन और राजीव सिंह ने संयुक्त पत्रकार वार्ता में एक जनवरी को संकल्प दिवस मनाने का जो ऐलान किया था उसमें भी स्लोगन था कि ‘‘नया साल-बदलो सरकार, नया साल-कमलनाथ सरकार।‘‘
पिछले कुछ दिनों से कमलनाथ भी जहां मौका मिलता है सरकार बनने पर क्या करेंगे यह बताना नहीं भूलते हैं। जैसे सिरोंज एवं विदिशा को विकास की दौड़ में पिछड़ने की बात कहते हुए उन्होंने वादा किया कि कांग्रेस सरकार बनते ही यहां दरी, हैंडलूम और पावरलूम का हब बनायेंगे और स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध करायेंगे। एक तरफ तो नये साल में कांग्रेस नये उत्साह के साथ सरकार बनाने का संकल्प ले रही है वहीं कमलनाथ के नेतृत्व में पूरी कांग्रेस इस बात के लिए आश्वस्त है कि अगली सरकार वही बनायेंगे।
जब कांग्रेस में यह हलचल शुरू हुई तो व्यंग्योक्ति में दक्ष प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा कहां चूकने वाले थे, उन्होंने कांग्रेस के ‘नया साल नई सरकार‘ नारे पर तंज कसते हुए कहा कि जो कमलनाथ बनी बनाई सरकार नहीं चला पाये वह नई सरकार क्या बना पायेंगे। वैसे भी उनके ही विधायक लक्ष्मण सिंह कांग्रेस की जमीनी हकीकत बता चुके हैं। सरकार बनाने का ख्वाब तो ख्वाब ही रह जाने वाला है। ऐसा ख्वाब देखने पर कोई पाबंदी भी नहीं है।
मिश्रा ने कहा- आश्चर्य की बात है कि कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता एवं विधायक लक्ष्मण सिंह बता चुके हैं कि कांग्रेस की कुल 54 सीटें आ रही हैं। हालांकि मेरा व्यक्तिगत मत है कि 54 भी नहीं आ पायेंगी। कमलनाथ को परामर्श देते हुए डॉ. मिश्रा कहते हैं कि यदि एक बार दिग्विजय सिंह से राय ले लेते तो वह उन्हें सच का आइना दिखा देते। कांग्रेस की हालत क्या है यह इससे ही समझ आता है कि कमलनाथ स्वयंभू हो कर अपने को सीएम उम्मीदवार घोषित कर रहे हैं और राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार बता रहे हैं। किसी से पूछने या राय लेने तक की जहमत नहीं उठा रहे हैं, कांग्रेस में कितना आंतरिक लोकतंत्र है यह इससे ही पता चलता है।
कांग्रेस के ‘हाथ जोड़ो’ अभियान पर तंज कसते हुए डॉ. मिश्रा कहते हैं कि कांग्रेस में लोकतंत्र की बहाली क्या होगी, अभी तो हाथ जोड़ो अभियान की बात आ रही थी और कमलनाथ जी ने बता दिया कि उनका हाथ ही जगन्नाथ है वे जो चाहेंगे वही होगा। कुल मिलाकर नये साल के आगाज में ही जब हालात ये हैं तो अन्त होते तक कितनी राजनीतिक तल्खी देखने को मिलेगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
(मध्यमत)
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