एक चिडि़या, अनेक चिडि़यां… एक बिटिया, अनेक सिसकियां…

आज आपको और आपके साथ कई लोगों को उनका बचपन याद दिलाने का मन कर रहा है। बात हालांकि एक दुखद सूचना से उपजी है लेकिन उस सूचना ने सालों पुरानी कई यादों को कुरेद दिया है। सूचना 82 साल के भीमसेन खुराना के निधन की है। अखबारों में बहुत छोटी सी खबर छपी कि 18 अप्रैल को भीमसेन खुराना का निधन हो गया।

अब इन दिनों दो, चार, पांच या सात साल की बच्चियों पर ही निगाह रखने वाले हमारे समाज और मीडिया के पास इतनी फुर्सत ही कहां है जो 82 साल के एक डोकरे के न रहने पर ध्‍यान दे। उनकी नजर में यह खबर यदि रही भी होगी तो एक एहसान की तरह उन्‍होंने इसे अपने चैनल या अखबार की बेशकीमती जगह को ‘किल’ करते हुए चलाया होगा।

भीमसेन खुराना को तो मैं भी ठीक से नहीं जानता। लेकिन उनका एक काम आज 35-40 साल की हो चुकी पीढ़ी को जरूर याद होगा। उन्‍होंने उस काम को कभी न कभी देखा भी होगा और फुरसत के लमहों में गुनगुनाया भी होगा। यह भी हो सकता है कि अपने बचपन में उन्‍होंने स्‍कूल के स्‍टेज पर उस काम को लेकर प्रस्‍तुति देते हुए तालियां भी बटोरी हों…

आइए पहले उस काम को जान लें जिससे आपको भी याद आ जाए कि मैं जिनकी बात कर रहा हूं उन्‍हें परोक्ष रूप से आप भी अच्‍छी तरह जानते हैं। 80 के दशक और 90 के दशक के शुरुआती सालों में, उस समय के बच्‍चों ने, जब टेलीविजन पर अनगिनत चैनलों की भरमार नहीं हुआ करती थी और सिर्फ और सिर्फ दूरदर्शन का ही जलवा होता था, दूरदर्शन पर एक एनीमेशन फिल्‍म जरूर देखी होगी।

इस एनीमेशन फिल्‍म का टाइटल था एक, अनेक और एकता इसमें भारत की अनेकता में एकता की संस्‍कृति को चिडि़यों और बहेलिये की कहानी के जरिये एनीमेटेड तरीके से बताया गया था। करीब साढ़े सात मिनिट की इस छोटी सी एनीमेटेड फिल्‍म का गाना- ‘’एक चिडि़या, अनेक चिडि़यां, एक तितली, अनेक तितलियां…’’ बच्‍चों में इतना लोकप्रिय हुआ था कि पूछिये मत।

मैं जिन भीमसेन खुराना का जिक्र कर रहा हूं उन्‍हीं ने अपने जमाने की यह मशहूर एनीमेशन फिल्‍म बनाई थी। खुराना ने लखनऊ विश्वविद्यालय से फाइन आर्ट्स एवं क्लासिकल म्यूजिक में डिप्लोमा किया था। 1970 के दशक में पहली शॉर्ट फिल्म ‘द क्लाइंब’ के साथ उन्‍होंने अपने सफर की शुरुआत की थी। ‘द क्लाइंब’ को शिकागो फिल्मोत्सव में सिल्वर ह्यूगो पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

इसके तुरंत बाद उन्होंने कई एनीमेशन और विज्ञापन फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया। लेकिन बतौर डिजाइनर व निर्माता उनकी प्रसिद्धी बच्‍चों के लिए बनाई गई एनीमेशन फिल्‍म ‘एक अनेक और एकता’ से हुई। इस फिल्‍म को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। बाद में उन्होंने ‘घरौंदा’ नाम की फीचर फिल्म बनाई जिसे फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। ‘दूरियां’ और ‘तुम लौट आओ’ उनकी अन्‍य सफल फिल्‍में थीं। खुराना ने छह किताबें भी लिखी थीं।

पर मुझे जिस बात की सबसे अधिक याद है वह है उनकी एनीमेशन फिल्‍म एक, अनेक और एकता… गूगल पर उपलब्‍ध दस्‍तावेज बताते हैं कि सूचना प्रसारण मंत्रालय के फिल्‍म्‍स डिविजन के लिए इस फिल्‍म का निर्माण 1974 में किया गया था। दूरदर्शन पर यह फिल्‍म पहली बार कब रिलीज हुई इसकी ठीक ठीक तारीख मुझे कहीं दिखाई नहीं दी।

एक चिडि़या… अनेक चिडि़यां गाना जिस बाल स्‍वर ने गाया है उसमें गजब की प्रतिभा और आकर्षण है। निर्देशक ने उसमें कहीं यह कोशिश नहीं की कि बच्‍ची से शब्‍दों को उनके तत्‍सम रूप में ही गवाया जाए। बच्‍चे जिस तरह शब्‍दों का अनगढ़ उच्‍चारण करते हैं उसी तरह के उच्‍चारण के साथ गाया गया यह गीत मन को छू लेने वाला है और साथ ही संदेशप्रद भी।

इंटरनेट पर खोजबीन के दौरान मुझे पता चला कि यह गाना अपने जमाने की मशहूर गायिका साधना सरगम ने गाया है। पंडित विनयचंद्र मौद्गल्‍य द्वारा रचित इस गीत के लिए ख्‍यात संगीतकार वसंत देसाई ने बहुत सुंदर धुन कंपोज की है। विजया मुले ने इसकी पटकथा लिखने के साथ ही निर्देशन भी किया था। भीमसेन खुराना ने इसका डिजाइन,एनीमेशन और निर्माण किया था।

यह वो समय था जब समाज में आदर्शों को स्‍थान देने की गुंजाइश बची थी। आज हम स्‍थान नहीं देते बस उनकी जरूरत भर महसूस करते हैं या उनके न होने का रोना रोते हैं… आदर्श ऐसे ही समाज में स्‍थापित नहीं हो जाते, उसके लिए प्रयास करने होते हैं। और ये प्रयास भी समाज के किसी एक वर्ग या समुदाय की नहीं बल्कि हरेक की जिम्‍मेदारी हैं।

उस समय का मीडिया यह जिम्‍मेदारी अधिक समझता था क्‍योंकि वह संख्‍या में कम था, आज वह संख्‍या में ज्‍यादा है तो ऐसी जिम्‍मेदारी या तो कम समझता है या फिर समझता ही नहीं। ऐसे समय में भीमसेन खुराना जैसे फिल्‍म/मीडियाकार बहुत याद आते हैं। आपको यदि अपना बचपन याद करना हो तो एक बार इंटरनेट पर जाकर ये गीत फिर से सुनें,मुझे यकीन है आप आज की दुनिया से थोड़ी देर के लिए अलग जरूर हो जाएंगे…

हां, जब वापस लौटेंगे तो हो सकता है ‘’एक चिडि़या, अनेक चिडि़यां… एक तितली, अनेक तितलियां…’’ की जगह आपको वह नन्‍ही सी बच्‍ची शायद यह गाती हुई सुनाई दे-

एक बिटिया अनेक बेटियां… एक भेडि़या, अनेक भेडि़ये… एक दरिंदा, अनेक दरिंदे… एक सिसकी, अनेक सिसकियां…  

 

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