बीजेपी अपने महापुरुषों के आदर्शों का अपमान ना करें

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राव श्रीधर

6 अप्रैल 1980 को जब भारतीय जनता पार्टी बनी तो अटलबिहारी वाजपेयी ने ऐलान किया था कि “अंधेरा छंटेगा और कमल खिलेगा”

अटलजी की वो भविष्यवाणी तो उसी दिन सच हो गई थी जब 1999 को बीजेपी ने 182 सीटें लेकर 20 से अधिक दलों के साथ एनडीए की सरकार बनाई। पहली गैरकांग्रेसी सरकार जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया और गठबंधन धर्म की मिसाल पेश की।

पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने की बात हो, लाहौर बस यात्रा हो, पोखरण का विस्फोट हो, कश्मीर में हालत सुधारने की बात हो, उत्तर-पूर्व का मसला हो, छोटे राज्यों का गठन हो, सड़कों का जाल बिछाना हो (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana (PMGSY), National Highway Development Project (NHDP), Golden Quadrilateral ), सर्वशिक्षा अभियान हो… अटलजी की सरकार ने पूरी दमदारी से फैसले लिए,  सरकार को चलाया और जब जरूरत पड़ी अपनों को डांटने-डपटने में भी पीछे नहीं रहे। सबका साथ सबका विकास, इस भावना की नींव अटलजी ने ही रखी जिसको वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नारा बना कर जन-जन तक पहुंचा दिया ।

बीजेपी की वर्तमान सरकार के पास गठबंधन की मजबूरी नहीं है। यही वजह है कि मोदी सरकार साहसिक और सधे हुए फैसले लेने में कोई ढील नहीं बरत रही। सर्जिकल स्ट्राइक हो, नोटबंदी हो, विदेश नीति हो, योजना आयोग जैसी पुरानी संस्थाओं को खत्म करना हो, पुराने और बेकार कानूनों को खत्म करने का मामला हो,  फैसलों में तेजी लाने के लिए कई मंत्रीमंडलीय समितियों को खत्म करना हो, पाकिस्तान-चीन के साथ संबंधों का मामला हो… सरकार ने साफ कर दिया कि देशहित से कोई समझौता नहीं।

सरकार की नीति और नीयत एकदम साफ है, तुष्टीकरण नहीं होगा, बहुसंख्यकों की अनदेखी नहीं होगी और अल्पसंख्यकों के नाम पर ठगी की राजनीति बंद होगी।  सबका साथ, सबका विकास के नाम पर खुलकर अपने फ्रंट पर काम कर रही है सरकार।

डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, कौशल भारत,  स्मार्ट सिटी जैसी य़ोजनाओं ने कारोबार कि दुनिया में उत्साह का संचार किया है। जीएसटी हो या कर प्रणाली में सुधार की बात, सरकार व्यवस्था को प्रभावी बनाने के तरीकों की तरफ बढ़ रही है। डिफेंस तो  सरकार की हाई प्रायोरिटी में है, रक्षा उत्पादों के मामले में विदेशी निवेश 49 फीसदी हो चुका है, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में 74 फीसदी और रक्षा खरीदी में राफेल की रफ्तार से फैसलों को अंजाम दिया जा रहा है।

गरीबी मिटाने के मामले में पहले दिन से सरकार कमर कस कर तैयार है जन-धन योजना, गैस सब्सिडी,  कृषि उत्पादों से लेकर, जल, जंगल और जमीन एवं पर्यावरण पर सरकार अपने दृष्टिकोण से काम कर रही है।

प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छता की बात करके साफ कर दिया कि ये सरकार सिर्फ तन की सफाई नहीं, बल्कि मन और धन के मामले में भी सफाई चाहती है, भष्ट्राचार और कालेधन को रोकने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही।

तो भारतीय जनता पार्टी आज भारत को विश्वगुरु के मुकाम पर ले जाने के लिए पूरी तरह सक्षम है। अपनी स्थापना के 37वें वर्ष में बीजेपी वैभव के चरम पर स्थापित है और इसकी बुनियाद में हैं कश्मीर के लिए बलिदान देनेवाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी, एकात्म मानववाद के लिए पार्टी को रक्त से सींचने वाले दीनदयाल उपाध्याय और प्राणों का बलिदान देकर राममंदिर की अलख जगाने वाले कारसेवक। जी हां, ये तीन नहीं होते और पृष्ठभूमि में आरएसएस के निस्वार्थ स्वयंसेवक नहीं होते तो सत्ता और शक्ति का ये दौर भी नहीं होता ।

शायद इसलिए आज बीजेपी के पास चुनौतियां पहले के मुकाबले कई गुना ज्यादा हैं और इस बात को समझने के लिए बस एक ही उदाहरण है कि जिस तरह शहीदों और क्रांतिकारियों के, उसूल, उनके त्याग, तपस्या और बलिदान का अपमान कर कांग्रेस ने सिर्फ सरकार बनाने-बिगाड़ने का खेल खेला और नतीजा पार्टी की दुर्गति हो गई। वैसे ही आज बीजेपी को यह बात समझते हुए संकल्प लेना है कि वो अपने बलिदानियों का अपमान ना करे।  जनता ने उसे सेवा का अवसर दिया है ना कि खुद के लिए वैभव और विलासिता का इंतजाम करने के लिए चुना है। और इसके लिए बीजेपी को अब खुद से लड़ना होगा क्योंकि पार्टी को खतरा बाहर से नहीं उसके भीतर बैठे अवसरवादी लोगो से हैं।

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