पटना/ ऐसा लगता है कि बिहार सरकार ने अलग अलग चीजों पर प्रतिबंध की कोई मुहिम चला रखी है। शराब पर प्रतिबंध के बाद सरकार ने अब पानी पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। चौंकिए मत… सरकार ने यह प्रतिबंध लोगों के पानी पीने पर नहीं बल्कि सरकारी बैठकों में बोतलबंद पानी पिलाने पर लगाया है। बिहार में अब सरकारी बैठकों में बोतल बंद पानी नहीं मिलेगा। इसकी जगह ग्लास में पानी दिया जाएगा।

हालांकि सरकार का यह फैसला काफी पुराना है। राज्‍य के मुख्य सचिव ने जनवरी 2015 में ही ये निर्देश दिए थे कि किसी भी सरकारी बैठक में बोतल बंद पानी का इस्तेमाल नहीं किया जाए। इससे पर्यावरण प्रदूषण को बल मिलता है। केंद्र सरकार ने 40 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक की थैलियों पर पहले ही रोक लगा रखी है लेकिन बोतल बंद पानी का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। लंबे समय तक यह निर्देश फाइलों में बंद रहा। हाल ही में इसे फिर निकाला कर अफसरों से कहा गया है कि बोतलबंद पानी की जगह शीशा या स्टील के ग्लास का प्रयोग किया जाए।

क्‍यों है नुकसानदाय बोतल बंद पानी

बोतलों के निर्माण में बीपीए नामक रसायन का उपयोग होता है जो मानव ग्रंथियों के लिए नुकसानदायक है।

इन बोतलों को रिसाइकिल नहीं किया जा सकता।

इन बोतलों को खाने से हर साल दस लाख से अधिक पशु-पक्षियों की मौत हो जाती है

एक बोतल बनाने के दौरान वायुमंडल में छह किलो कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन होता है।

एक लीटर बोतल बंद पानी तैयार करने में पांच लीटर पानी अलग से बर्बाद होता है।

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