बर्तनों की आवाज़ देर रात तक आ रही थी,
रसोई का नल चल रहा है,
माँ रसोई में है….
तीनों बहुऐं अपने-अपने कमरे में सोने जा चुकी,
माँ रसोई में है…
माँ का काम बकाया रह गया था,पर काम तो सबका था;
पर माँ तो अब भी सबका काम अपना ही मानती है..
दूध गर्म करके,
ठंडा करके,
जावण देना है,
ताकि सुबह बेटों को ताजा दही मिल सके;
सिंक में रखे बर्तन माँ को कचोटते हैं,
चाहे तारीख बदल जाये,सिंक साफ होना चाहिये…
बर्तनों की आवाज़ से
बहू-बेटों की नींद खराब हो रही है;
बड़ी बहू ने बड़े बेटे से कहा;
“तुम्हारी माँ को नींद नहीं आती क्या? ना खुद सोती है और ना ही हमें सोने देती है”
मंझली ने मंझले बेटे से कहा; “अब देखना सुबह चार बजे फिर खटर-पटर चालू हो जायेगी, तुम्हारी माँ को चैन नहीं है क्या?”
छोटी ने छोटे बेटे से कहा; “प्लीज़ जाकर ये ढोंग बन्द करवाओ कि रात को सिंक खाली रहना चाहिये”
माँ अब तक बर्तन माँज चुकी थी
झुकी कमर,
कठोर हथेलियां,
लटकी सी त्वचा,
जोड़ों में तकलीफ,
आँख में पका मोतियाबिन्द,
माथे पर टपकता पसीना,
पैरों में उम्र की लड़खडाहट
मगर,
दूध का गर्म पतीला
वो आज भी अपने पल्लू से उठा लेती है,
और…
उसकी अंगुलियां जलती नहीं है,
क्योंकि वो माँ है ।
दूध ठंडा हो चुका,
जावण भी लग चुका,
घड़ी की सुईयां थक गई,
मगर…
माँ ने फ्रिज में से भिण्डी निकाल ली और काटने लगी;
उसको नींद नहीं आती है, क्योंकि वो माँ है!
कभी-कभी सोचता हूं कि माँ जैसे विषय पर लिखना,बोलना,बताना,जताना क़ानूनन बन्द होना चाहिये;
क्योंकि यह विषय निर्विवाद है,
क्योंकि यह रिश्ता स्वयं कसौटी है!
रात के बारह बजे सुबह की भिण्डी कट गई,
अचानक याद आया कि गोली तो ली ही नहीं;
बिस्तर पर तकिये के नीचे रखी थैली निकाली,
मूनलाइट की रोशनी में
गोली रंग के हिसाब से मुंह में रखी और गटक कर पानी पी लिया…
बगल में एक नींद ले चुके बाबूजी ने कहा;”आ गई”
“हाँ,आज तो कोई काम ही नहीं था”
-माँ ने जवाब दिया,
और
लेट गई, कल की चिन्ता में
पता नहीं नींद आती होगी या नहीं पर सुबह वो थकान रहित होती हैं,
क्योंकि वो माँ है!
सुबह का अलार्म बाद में बजता है,
माँ की नींद पहले खुलती है;
याद नहीं कि कभी भरी सर्दियों में भी,
माँ गर्म पानी से नहायी हो
उन्हे सर्दी नहीं लगती,
क्योंकि वो माँ है!
अखबार पढ़ती नहीं, मगर उठा कर लाती है;
चाय पीती नहीं, मगर बना कर लाती है;
जल्दी खाना खाती नहीं, मगर बना देती है,
क्योंकि वो माँ है!
माँ पर बात शायद जीवन भर खत्म ना होगी…