असम के चुनाव में भूपेश बघेल और छग की चर्चा

रवि भोई

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल असम चुनाव के बहाने राष्ट्रीय राजनीति में छाए हुए हैं। असम की चुनावी रैलियों में उन्हें राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी जिस तरह महत्व दे रहे हैं, उससे लग रहा है कि भूपेश बघेल गाँधी परिवार के विश्वस्त होने के साथ पार्टी के कद्दावर नेताओं की श्रेणी में आ गए हैं और छत्तीसगढ़ का महत्व भी बढ़ गया है। भूपेश बघेल ने अपने संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी को पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनवाकर यह साबित भी कर दिया है। राजेश तिवारी को भूपेश बघेल का काफी करीबी माना जाता है। राजेश तिवारी की नियुक्ति से कांग्रेस की राष्ट्रीय टीम में अब छत्तीसगढ़ से दो लोग हो गए हैं। रायपुर पश्चिम के विधायक और संसदीय सचिव विकास उपाध्याय भी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और असम के प्रभारी हैं। असम में दशकों से छत्तीसगढ़ की माटी की खुशबू बिखरी हुई है और रोटी-बेटी का पुराना रिश्ता भी है। असम चुनाव में प्रचार के लिए कांग्रेस के कई नेता और कार्यकर्ता लगे हैं और वहां छत्तीसगढ़ माडल की बात की जा रही है। किसी राज्य के कामकाज की तारीफ़ दूसरे राज्य में होती है, तो उस राज्य के लिए गौरव की बात ही है। असम चुनाव के क्या नतीजे आते हैं, यह मतगणना से साफ़ होगा, पर चुनाव के बहाने असम और छत्तीसगढ़ के रिश्ते में नयापन आ गया है।

भारी पड़े मूणत
तीन बार की पार्षद मीनल चौबे को किस्मत का धनी बताया जा रहा है। भाजपा प्रदेश महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष और प्रदेश के साथ जिला भाजपा की कार्यकारिणी सदस्य मीनल को अब रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष का ताज भी मिल गया है। मीनल को पूर्व मंत्री राजेश मूणत का समर्थक माना जाता है। मीनल की ताजपोशी से साफ़ है कि राजेश मूणत रायपुर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष चयन में बृजमोहन अग्रवाल पर भारी पड़ गए। बताते हैं नेता प्रतिपक्ष चयन के संयोजक के नाते बृजमोहन अग्रवाल की पसंद सूर्यकांत राठौड़ थे, लेकिन मूणत का दांव काम कर गया और मीनल चौबे नेता प्रतिपक्ष बन गई। नेता प्रतिपक्ष के लिए मृत्युंजय दुबे का भी नाम सामने आया, लेकिन भाजपा में नवप्रवेशी होने के चलते उनका दावा मजबूत नहीं हो पाया। सूर्यकांत पहले भी नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। नए चेहरे और महिला पार्षदों की अधिकता का दांव मीनल चौबे के पक्ष में काम कर गया। पार्टी के भीतर की गुटबाजी के चलते रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष का पद एक साल से खाली पड़ा था। इस पद की दौड़ में शुरू से ही मीनल चौबे, सूर्यकांत राठौड़ और मृत्युंजय दुबे थे। ‘देर आयद, दुरुस्त आयद’ की तर्ज पर मीनल चौबे के हाथ बाजी लगी ।

कोसरिया को फिर पीएचई की कमान
जल जीवन मिशन के टेंडर में गड़बड़ी की गाज आखिरकार पीएचई के प्रभारी प्रमुख अभियंता एमएल अग्रवाल पर गिर ही गई। सरकार ने अग्रवाल की जगह टीजे कोसरिया को फिर से पीएचई का ईएनसी बना दिया है। लंबे समय से विभाग प्रमुख रहे कोसरिया को सरकार ने मई 2020 में हटाकर अग्रवाल को विभाग प्रमुख बनाया था। कोसरिया को बदले जाने को लेकर चर्चा थी कि उनकी मंत्री से पटरी नहीं बैठ रही थी और जल जीवन मिशन का काम धीमा चल रहा है। अग्रवाल के जमाने में पीएचई सुर्ख़ियों में आने के साथ पटरी से भी उतर गई। सरकार को मजबूरन नए ईएनसी की तलाश करनी पड़ी। कहते हैं सरकार ने विभाग के कुछ और चीफ इंजीनियरों को ईएनसी बनने का ऑफर दिया, लेकिन कोई आगे नहीं आया। इस कारण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कोसरिया के नाम पर मुहर लगानी पड़ी ।

अफसर पर भारी नेक्सस
कहते हैं महिला एवं बाल विकास विभाग ‘बर्रे की छत’ की तरह है, यहां जो छेड़छाड़ की कोशिश करेगा, उस पर हमला होगा ही। बताया जाता है इस विभाग पर केंद्र सरकार की खूब कृपा बरसती है, ऐसे में वहां कृपा का आनंद उठाने वालों का कॉकस भी बन गया है। चर्चा है कि आईएएस शहला निगार ने विभाग के सचिव के तौर पर वर्षों की परंपरा को तोड़कर सिस्टम में सुधार की कोशिश की, तो उन्हीं की कुर्सी हिल गई। सरकार ने पिछले साल 30 नवंबर को ही शहला निगार को सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग पदस्थ किया था। 30 मार्च को उन्हें महिला एवं बाल विकास विभाग से हटाकर स्वास्थ्य सचिव के तौर पर अपर मुख्य सचिव रेणु पिल्लै के मातहत पदस्थ कर दिया गया। वे विभाग में चार महीने में ही रहीं। सरकार ने राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना कंगाले को महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव की भी जिम्मेदारी सौंपी है। मरवाही उपचुनाव निपटने के बाद से मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी दफ्तर में फिलहाल कोई ख़ास काम नहीं है। नई पोस्टिंग से रीना कंगाले की मंत्रालय में इंट्री हो गई और जिम्मेदारी भी बढ़ गई।

आईएएस और आईपीएस की लिस्ट
चर्चा है कि अगले हफ्ते आईएएस और आईपीएस अफसरों की ट्रांसफर लिस्ट निकल सकती है। वैसे आईएएस और आईपीएस अफसरों में हेरफेर की खबरें विधानसभा के बजट सत्र के पहले से चल रही है। तब आईपीएस अफसरों की लिस्ट तैयार होने की बात कही जा रही थी। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की असम चुनाव में व्यस्तता और होली के चलते मामला लटक गया। असम में 6 अप्रैल को मतदान निपट जाएगा। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री असम चुनाव से फ्री होने के बाद प्रशासनिक फेरबदल पर ध्यान दे सकतें हैं। कहा जा रहा है कि 6-7 जिलों के कलेक्टर के साथ एक दर्जन से अधिक जिलों के एसपी प्रभावित हो सकते हैं।

एसपी साहब सुर्ख़ियों में
एक आदिवासी जिले के पुलिस अधीक्षक का कामकाज सुर्ख़ियों में है। चर्चा है कि एसपी साहब के तौर-तरीकों से न तो जनता खुश है और न ही विभाग के अधिकांश लोग उनके फैसलों से सहमत हो रहे हैं। कहते हैं न्याय की आस में उनके पास गई आदिवासी महिलाओं को उल्टा सजा मिल गई। बिना उद्योग-धंधे वाले इस जिले में एसपी साहब की दहशत जिला मुख्यालय के कारोबारियों पर छा गई है। लोग एसपी साहब की विदाई के इंतजार में हैं।

फिर निजी अस्पतालों की चांदी
छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ दिनों में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ गया है। इसके चलते सरकारी और निजी अस्पतालों में बिस्तर उपलब्ध न होने की ख़बरें आ रही है। सरकार ने पिछले साल खोले कोविड सेंटरों को बंद कर दिया था। नए सिरे से कोविड सेंटर खोलने के लिए सरकार और जिला प्रशासन ने कदम उठाना शुरू किया है, पर समय लग रहा है। ऐसे में कोरोना से बचाव के लिए लोगों के पास अस्पताल के अलावा विकल्प नहीं रह गया है। कहते हैं पिछली बार की तरह निजी अस्पतालों ने कोविड के पेशेंट को भारी-भरकम बिल थमाना शुरू कर दिया है। चर्चा है कुछ निजी अस्पताल में इतने मरीज आ रहे हैं कि उनके पास रखने को जगह नहीं है और उनसे नोट भी नहीं संभाले जा रहे हैं।(मध्‍यमत)
डिस्‍क्‍लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं।
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(लेखक छत्‍तीसगढ़ के वरिष्‍ठ पत्रकार हैं।) 

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