राकेश अचल
दुनिया में विश्वगुरु कोई भी हो, महाबली कोई हो लेकिन प्रकृति से ज्यादा महाबली कोई नहीं होता। प्रकृति का कोई भी चेहरा हमेशा खूबसूरत नहीं होता। इन दिनों भारत में ही नहीं अमेरिका, जापान, चीन में प्रकृति मनुष्य से नाराज़ हैं। अमेरिका में तो एक हिस्से मे प्रकृति की नाराज़गी से कोहराम मच गया। विज्ञान सब कुछ मूक दर्शक बन कर देखता रहा।
इन दिनों मित्र, रिश्तेदार खबर दे रहे हैं कि दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में सर्दी पूरे शबाब पर है। हरियाणा और दिल्ली के कई हिस्सों में ठंड ने कंपा दिया है। यहां भीषण स्थिति बनी हुई है। कुछ ऐसे ही हाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में देखने को मिले हैं। जिसकी वजह से लोग घरों में कैद होकर रह गए। पंजाब और उत्तर-पश्चिम राजस्थान के कुछ हिस्सों में तो सर्दी स्थाई भाव है ही। मौसम विभाग ने घने से बहुत घने कोहरे की स्थिति बने रहने की संभावना जताई है।
अमेरिका के जिस हिस्से में मैं हूं वहां दिल्ली जैसी सर्दी है। यहां कोहरा नहीं है। लेकिन उत्तरी अमेरिका में अब तक बर्फीले तूफान में 36 लोगों की जान जा चुकी है। संयोग से मैंने अपनी पांच अमेरिकी यात्राओं में यहां के मौसम के सभी रूप देखे, किंतु बर्फबारी का मौसम नहीं देखा था। अमेरिका में बर्फबारी के चलते करीब 7 लाख घरों की बिजली गुल हो गई है। जबकि दूसरे देशों के मुकाबले यहां बिजली वितरण की अभूतपूर्व व्यवस्था होने से लोगों को बिना बिजली के रहने की आदत नहीं है।
अबकी ठंड से सबसे ज्यादा प्रभावित न्यूयॉर्क का बफेलो है। यहां 43 इंच बर्फबारी हुई है। इसके चलते लोगों का सड़क पर चलना मुश्किल हो रहा है। इतना ही नहीं बिजली घरों पर बर्फबारी के चलते बिजली व्यवस्था चरमरा गई है। यहां एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत ठंड से हुई है। हमारे भारत में ऐसा प्रायः बिहार में होता है।
पूरे उत्तरी अमेरिका में सर्दी से हाल बेहाल हैं। यहां क्रिसमस तो बेरौनक हो ही गयी और अब नववर्ष के जश्न में भी सर्दी ने खलल डाल दिया है। यहां करीब 5.5 करोड़ लोग ठंड से प्रभावित हुए हैं। अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस के मुताबिक, फ्लोरिडा के मियामी, थंपा, ऑरलेंडो और वेस्ट पाल्म बीच में 25 दिसंबर को 1983 के बाद सबसे कम तापमान रहा।
सर्दी की वजह से बफेलो में सभी तरह की परिवहन सुविधाएं प्रभावित रहीं। यहां ट्रेनें और हवाई यात्रा को रद्द करना पड़ा। यहां तक कि भीषण बर्फबारी के चलते सड़क रास्ते भी बंद रहे। शनिवार को करीब 4 हजार फ्लाइट्स में देरी हुई। वहीं, 2 हजार उड़ानें रद्द कर दी गईं। हम भी अपने घर से बाहर नहीं निकले, क्योंकि जहां जाना था वहां बर्फ जमी है।
इस सबके बावजूद मनुष्य प्रकृति से जूझता है। सैर-सपाटे के आदी अमेरिकी परिवार मौसम के मिजाज पर लगातार नजर रखकर अपनी योजनाओं में रद्दोबदल करते देखे जा सकते हैं। विमान बंद हुए तो भाई लोग अपनी कारों से नये ठिकानों की तरफ कूच कर रहे हैं। आम अमेरिकियों के पास 03 जनवरी 2023 तक ही छुट्टियां हैं। बाद में स्कूल, दफ्तर सब खुल जाएंगे।
इस मौसम में भारत की बहुत याद आती है। क्योंकि इन दिनों में ही सड़कों पर आग में भुने भुट्टे, करारी मूंगफली और गर्मागर्म गाजर का हलुआ खाने को मिलता है। भुट्टे यहां भी मिलते हैं लेकिन सड़कों पर किसी ठेले या झोपड़ी में नहीं। माल में मिलेंगे, वो भी कच्चे। गाजरें और मूंगफली भी उतनी सरस नहीं होती जितनी भारत में होती हैं। यहां न रजाई का मजा है न अलाव का।
भारत में 2800 किमी की भारत जोड़ो यात्रा एक टीशर्ट पहन कर पूरी कर चुके राहुल गांधी से भी सर्दी के मौसम में मेरी पूरी सहानुभूति है। वे सच कहते हैं कि सर्दी पैदल आदमी से दूर रहती है। कभी सर्दी में 10 किमी पैदल चलकर देखिए, पानी की एक शीशी लेकर चलना भी मुहाल होता है। धान के खेत में पानी देकर देखिए, सर्दी भागती नज़र आएगी।(मध्यमत)
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