बॉलीवुड की बदनामी बीच आयुष्मान का सम्मान सुखद है

हेमंत पाल

इन दिनों बॉलीवुड पर ड्रग्स का खुमार छाया है। अखबार और टीवी चैनल दिन-रात ड्रग्स के ड्रम पीटते नजर आ रहे हैं। बॅालीवुड की ऐसी छवि गढी जा रही है, मानो बॉलीवुड में ड्रग्स के सिवाय और कुछ नहीं है। इन कसैली खबरों के बीच यह खबर राहत देती है कि ‘टाइम’ पत्रिका ने विश्व के सौ सर्वाधिक प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में अभिनेता आयुष्मान खुराना को शामिल किया है। आयुष्मान के साथ इस ‘टाइम’ सूची में केवल तीन वैश्विक अभिनेता शामिल किये गये हैं। इनमें संगीत के सितारे सेलेना गोमेज और द वीकेंड के अलावा ब्रिटिश अभिनेत्री माइकेला जेल भी हैंं।

आयुष्मान के चयन की एक खासियत यह भी है कि वे सबसे कम उम्र के भारतीय हैं, जिन्हें इस साल ‘टाइम’ पत्रिका में जगह मिली। शक्ल-सूरत के लिहाज से आयुष्मान चमकते सितारों की खेप और सेलिब्रिटिज चेहरों से कमतर लगते हैं। लेकिन, फिल्मों में उनकी सफलता का ग्राफ चर्चित चेहरों से ऊपर रहा। उनकी यही खासियत उन्हें बॉलीवुड के सितारों से अलग पहचान देती है। आयुष्मान ने रियलिटी शो में प्रतियोगी के तौर पर शुरुआत की थी। फिर उन्होंने टीवी शो का संचालन कर अपना कॅरियर बनाया।

फिल्मों के परदे पर वे 2012 में ‘विकी डोनर’ में पहली बार दिखाई दिए। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। दम लगा के हईशा, बरेली की बर्फी, शुभ मंगल सावधान, बधाई हो और ‘आर्टिकल 15’ जैसी कॉमेडी और सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्मों से खुद को स्थापित किया। आयुष्मान उन सितारों की तरह नहीं हैं, जो बॉलीवुड के ग्लैमर में खुद को डुबोकर सेलिब्रिटी की तरह व्यवहार करते हैं। निजी जिंदगी में वे अपनी कैंसर पीड़ित पत्नी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष कर रहे हैं।

आयुष्मान का लक्ष्य रहा है, कि सिनेमा के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जाए। यही कारण है कि सितारों की भीड़ के बीच उन्हें ‘टाइम’ ने सम्मान का हक़दार मानकर अपनी प्रतिष्ठित पत्रिका में वह स्थान दिया है जिसके लिए बड़े बड़े सितारे तरसते हैं। उनका मानना है कि सिनेमा में इतनी शक्ति है कि इसके द्वारा समाज में लोगों के बीच सही मुद्दे उठाकर बदलाव लाया जा सके। आज बॉलीवुड को ड्रग्स की खदान मानकर उसे कोसने वालों के सामने आयुष्मान एक उदाहरण हैं, जो इस बात को पुष्ट करते हैं, कि सारे कुएं में भांग नहीं पड़ी है। पूरा बॉलीवुड ही ड्रग्स के खुमार में नहीं डूबा। वहां आयुष्मान जैसे अभिनेता भी हैं, जो बॉलीवुड पर छाए धुएँ के छंटने की उम्मीद जगाते हैं।

बॉलीवुड में चल रही नेपोटिज्म की अंतहीन बहस के बीच अभिनेता आयुष्मान खुराना का ‘टाइम’ की लिस्ट में शामिल होना किसी मिसाल से कम नहीं। कोई फ़िल्मी पृष्ठभूमि न होते हुए भी उन्होंने बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई। प्रतिभाशाली और बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस अभिनेता की ये उपलब्धि अतुलनीय है। तय है कि इस सूची में उनका नाम देखकर कई लोग चौंके भी होंगे। समाज की रूढि़वादी सोच बदलने वाली फिल्मों में अभिनय करके पहचाने जाने वाले आयुष्मान का ये एक और कीर्तिमान है। अभिनेता के साथ वे गायक और लेखक भी हैं। उन्होंने अपनी कई फिल्मों में गाने भी गाए हैं।

लेकिन, ये मुकाम पाना आसान नहीं था। आयुष्मान ने इसके लिए काफी संघर्ष किया। फिल्मों के अलावा आयुष्मान सामाजिक कार्यों में भी बढ़ चढ़कर कर योगदान करते रहे हैं। यही कारण है कि ‘यूनिसेफ़ इंडिया’ ने बच्चों के हक एवं अधिकारों को प्रोत्साहन देने के लिए उन्हें सेलिब्रिटी एडवोकेट के रूप में अपनी मुहिम से जोड़ा है। इस मुहिम के तहत आयुष्मान खुराना बच्चों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने की दिशा में यूनिसेफ़ के प्रयासों का समर्थन करेंगे। वे यूथ आइकन के रूप में इसके लिए काम करेंगे। इसके लिए उन्होंने मशहूर शख्सियत डेविड बेकहम के साथ हाथ मिलाया है, जो पूरी दुनिया में इस कैंपेन के लिए काम कर रहे हैं।

इस बारे में भारत में यूनिसेफ़ के रिप्रेजेंटेटिव डॉ. यास्मीन अली हक ने कहा कि आयुष्मान खुराना ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने अपने हर किरदार के जरिए एक मिसाल कायम की है। वे पूरी संवेदनशीलता और लगाव के साथ, हर बच्चे के लिए एक सशक्त आवाज बनने में कामयाब होंगे। बच्चों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों में आयुष्मान हमारा साथ देंगे। उनके सहयोग से इस महत्वपूर्ण मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने में हमें काफी मदद मिलेगी। क्योंकि, कोविड-19 के दौर में लंबे समय तक चलने वाले लॉक डाउन और इस महामारी के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव की वजह से बच्चों के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार का खतरा काफी बढ़ गया है।

इस दायित्व को निभाने के लिए उत्साहित आयुष्मान का मानना है कि बतौर सेलिब्रिटी एडवोकेट के रूप में ‘यूनिसेफ़’ के साथ काम करने का मौका उनके लिए लिए बड़ी खुशी की बात है। हर किसी को बेहतर बचपन पाने का पूरा हक है। जब मैं देखता हूं कि हमारे बच्चे अपने घर में पूरी तरह से सुरक्षित हैं। खेलकूद का पूरा आनंद लेते हैं, तब मुझे उन सभी बच्चों का ख्याल आता है जिनका बचपन सुरक्षित नहीं है। वे घर या घर के बाहर दुर्व्यवहार को झेलते हुए बड़े होते हैं। मैं यूनिसेफ़ के साथ मिलकर समाज के सबसे कमजोर तबके के बच्चों के अधिकारों का समर्थन करने के लिए तैयार हूं, ताकि वे हिंसा से मुक्त माहौल में खुशहाल, स्वस्थ और पढ़े-लिखे नागरिक के तौर पर विकसित हो सकें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here