गिरीश उपाध्याय
मीडिया में यह खबर सुर्खियों में है कि कॉमेडियन तन्मय भट्ट ने ‘’एआईबी’’ के एक वीडियो में सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर और क्रिकेट के महानायक सचिन तेंदुलकर का मजाक उड़ाया है। भट्ट की इस हरकत पर विभिन्न क्षेत्रों में तीखी प्रतिक्रिया हुई है और लोगों ने इस हरकत की घोर निंदा करते हुए भट्ट से तत्काल लताजी और सचिन से माफी मांगने को कहा है। खबरें यह भी आईं कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने इस मामले में पुलिस में एफआईआर दर्ज करवा दी है और सेना की ओर से धमकी दी गई है कि यदि भट्ट ने माफी नहीं मांगी तो वे ठुकाई के लिए तैयार रहें।
अनुपम खेर, रितेश देशमुख और सेलिना जेटली जैसे बॉलीवुड सितारों ने घटना की निंदा की है। अनुपम ने ट्विटर पर लिखा ‘’मैंने नौ बार सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का पुरस्कार जीता। मेरा हास्यबोध अच्छा है। लेकिन यह हास्य नहीं है। यह बेहूदा और अपमानजनक है।’ रितेश ने लिखा, ‘’मैं बहुत हैरान हूं। अपमान करना, न तो सही है और न ही इसमें कोई हास्य है।’’ सेलिना ने भी ट्विटर पर पोस्ट किया‘’बिल्कुल..हैरान हूं। इस पर हंसी नहीं आ रही। लता मंगेशकर से अभी के अभी माफी मांगी जानी चाहिए।‘’
‘‘सचिन वर्सेज लता सिविल वार’’ शीर्षक से इंटरनेट पर वायरल हुए इस वीडियो में तन्मय ने 86 साल की लता मंगेशकर और 43 साल के सचिन दोनों का रोल अदा किया है और ये दोनों किरदार विराट कोहली के परफार्मेंस को लेकर एक-दूसरे से भिड़ते दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में लताजी के लिए ऐसे कई कमेंट किए गए हैं जो बहुत बेहूदा और आपत्तिजनक हैं। जैसे सचिन को लताजी पर यह कमेंट करते दिखाया गया है कि ‘‘आपका चेहरा ऐसा दिखता है जैसे कि किसी ने आपको आठ दिन तक पानी में रखा हो।‘‘
तन्मय भट्ट के वीडियो को लेकर विवाद अपनी जगह है। लेकिन मेरा कहना दूसरा है। मैं यहां यह जानना चाहता हूं कि क्या लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर भारत के संविधान से ऊपर हैं? मुझे उन लोगों की प्रतिक्रिया और बयानों पर भी आपत्ति है जो तन्मय भट्ट के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा रहे हैं और उस पर माफी मांगने का दबाव डालते हुए उसकी ठुकाई करने की धमकी दे रहे हैं।
क्यों भई! तन्मय भट्ट क्यों माफी मांगें? उन्हें माफी किस बात की मांगनी चाहिए?वे भी इस देश के नागरिक हैं। भारत का जो संविधान, हमारे तमाम नेताओं,बुद्धिजीवियों, जेएनयू से लेकर हैदाराबाद विश्वविद्यालय के क्रांतिकारियों और मीडिया बंधुओं को, अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, वही संविधान तन्मय भट्ट को भी वैसा ही अधिकार देता है। ऐसा कैसे हो सकता है कि बाकी लोगों को अपना व्यंग्य और अपनी बात किसी भी तरह से कहने की आजादी हो और ‘बेचारे’ तन्मय को आप सूली पर टांग दें? और फिर उसका गुनाह क्या है? यही ना, कि उसने लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर को लेकर अपनी बात कही है। तो इसमें कौनसी नई बात है? इस देश में तो लोग नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी, अमित शाह, राहुल गांधी के साथ साथ मोहन भागवत से लेकर बाबा रामदेव तक, श्री श्री रविशंकर से लेकर अण्णा हजारे तक, केजरीवाल से लेकर अखिलेश यादव तक और लालू से लेकर नीतीश तक जाने किस-किस को, जाने क्या-क्या कहते रहते हैं। फिर लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर में ही ऐसे कौनसे सुरखाब के पर लगे हैं। इस देश में तो गांधी और भगतसिंह भी निरापद नहीं रहे, फिर ये एक ‘फिल्मी गवइया’ और‘क्रिकेट खिलैया’ कौन सा ऐसा खास पट्टा लिखवाकर आए हैं, कि इन्हें अभिव्यक्ति की आजादी से बाहर रखा जाए? ठीक है कि दोनों भारत रत्न हैं, लेकिन ऐसे तो कितने ही ‘भारत रत्न’ इस देश में घूम रहे हैं, क्या हमने उन्हें निशाना बनाने से छोड़ दिया? और फिर इन दोनों को तो देश ने सर्वोच्च सम्मान के साथ-साथ,अभिव्यक्ति की आजादी के सर्वोच्च मंच, हमारी संसद में बिठाया था, वहां इन्होंने कितना मुंह खोला वह भी जरा टटोल लीजिए?
मैं तो जानना चाहता हूं कि, कहां है वो जमात जो कुछ दिन पहले तक असहिष्णुता का झंडा लेकर घूम रही थी। क्या उसने तन्मय भट्ट का नाम नहीं सुना? उस बेचारे को अकेला क्यों छोड़ दिया जा रहा है। वह भी तो आपकी‘सहिष्णुता के मरहम’ का हकदार है। जरा उसे भी देख लीजिए, उसके खिलाफ किए जा रहे इस ‘अमानवीय व्यवहार’ के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठनी चाहिए। अब कहीं से ऐसा कोई नारा क्यों नहीं आ रहा कि- ‘’हमें चाहिए आजादी, लता को गाली देने की आजादी, सचिन की धज्जियां उड़ाने की आजादी।‘’
दोस्तो, दरअसल अभिव्यक्ति की आजादी न तो बच्चों का खेल है और न ही कोई झुनझुना, कि किसी ने पकड़ा दिया और आप बजाने लगे। अगर हर किसी को इसे बजाने की इजाजत दे दी जाए तो सोचिए क्या-क्या हो सकता है। जब आप देश के लाखों करोड़ों लोगों द्वारा चुने गए व्यक्तियों, महापुरुषों, आस्था केंद्रों से लेकर देश की सभ्यता और संस्कृति तक को गाली देना, ‘अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार’ मानने लगेंगे तो, लताजी और सचिन जैसे आइकन को उससे अछूता कैसे रख पाएंगे और तन्मय भट्ट जैसे लोगों पर कार्रवाई की मांग किस मुंह से करेंगे?
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