अमेजन और फ्लिपकार्ट को बताना पड़ेगा माल चीनी तो नहीं

नई दिल्‍ली/ गलवान घाटी में चीन की घिनौनी हरकत के बाद भारत में चीनी माल के बहिष्‍कार की मुहिम रंग लाने लगी है। जन दबाव के आगे झुकते हुए दुनिया भर में ई-कॉमर्स की दिग्‍गज कंपनियों अमेजन और फ्लिपकार्ट आदि को इस बात के लिए राजी होना पड़ा है कि वे भविष्‍य में जो भी माल सप्‍लाई करेंगी उस पर इस बात का जिक्र करेंगी कि वह उत्‍पाद किस देश का है। यानी सीधे सीधे भारतीय उपभोक्‍ताओं को यह बात पता चल सकेगी कि माल चीनी तो नहीं है।

समझा जा रहा है कि ई कॉमर्स कंपनियों के इस फैसले के बाद चीनी कंपनियों के उत्‍पादों को और करारा झटका लग सकता है क्‍योंकि बड़ी संख्‍या में ऐसे खरीदार भी होंगे जो चीनी माल देखने के बाद उसे लेने से इनकार कर दें।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि बुधवार को ई कॉमर्स कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ हुइ्र बैठक में कंपनियों ने सरकार के उस कदम को मंजूर किया जिसमें उनसे कहा गया था कि वे अपने द्वारा बेचे जाने वाले माल पर ‘कंट्री ऑफ ओरिजिन’ का उल्‍लेख करें। यानी खरीदार को साफ तौर पर बताएं कि वह माल किस देश में बना है।

कंपनियों को उनके द्वारा बेचे जाने वाले माल में भारतीय कंपनियों के उत्‍पादों का प्रतिशत भी बताना होगा। यानी उन्‍होंने जो भी माल बेचा उसमें कितने प्रतिशत विदेशी उत्‍पाद था और कितने प्रतिशत भारतीय। यह कदम सरकार ने आत्‍मनिर्भर भारत अभियान और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों को सफल बनाने के लिहाज से उठाया है।

इससे जहां भारतीय उत्‍पादकों के माल की बिक्री बढ़ेगी वहीं विदेशी खासतौर से चीनी माल की बिक्री बहुत हद तक घटेगी। समझा जा रहा है कि ये कदम चीनी उत्‍पादों के लिए करारा झटका साबित होंगे।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकार ने अब ई-कॉमर्स कंपनियों पर लागू किए जाने वाले नियम भी तय किए हैं। बुधवार को प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड विभाग के अफसरों के साथ हुई बैठक में ई-कॉमर्स कंपनियों ने उत्‍पादनकर्ता देश का नाम जाहिर करने का फैसला लागू करने के लिए दो सप्‍ताह का समय मांगा है।

उल्‍लेखनीय है कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) और अखिल भारतीय व्यापारी संगठन ने चीनी माल के बहिष्कार का अभियान छेड़ दिया है। बुधवार को हुए फैसले का इन संगठनों ने स्‍वागत किया है। इससे पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबद्ध संगठनों ने भी मांग रखी थी कि ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नियम तय किए जाने चाहिए। ताकि भारतीय उत्‍पादों को बढ़ावा मिल सके।

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