शुक्रवार को मैंने कहा था कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल अब राजनीतिक हथियार के तौर पर हो रहा है। पहले कुछ ही लोग इसमें माहिर थे लेकिन अब हर पार्टी ने इस हथियार को चलाने का हुनर सीख लिया है। राजनीति में इन दिनों सूचनाओं से ज्यादा अफवाहें चल रही हैं और कई सारे युद्ध इन अफवाहों पर ही लड़े जा रहे हैं।
मैंने अपनी बात इसी डर के साथ खत्म की थी कि ‘’इस युद्ध का नुकसान हर पक्ष रोज झेल रहा है। लेकिन विडंबना यह है कि चोट खाने के बाद भी न तो कोई सुधरने को तैयार है और न संभलने को। तैयारी है तो सिर्फ अपना मौका आने पर और अधिक मारक क्षमता वाली ‘अफवाह मिसाइल’ दागने की…
और शुक्रवार को वह नई ‘अफवाह मिसाइल’ भी दाग दी गई। यह मिसाइल उस आशंका को सही साबित कर गई जिसे व्यक्त करते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता को चेताया था।
प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक कार्यक्रम में भाग लिया था। शर्मिष्ठा अपने पिता के इस कदम से सहमत नहीं थीं और उन्होंने ट्वीट किया था कि ‘’आप वहां क्या कहते हैं इसे भुला दिया जाएगा और उस आयोजन की सिर्फ तसवीरें रह जाएंगी। बाद में उन्हीं तसवीरों का फर्जी बयानों के साथ उपयोग किया जाता रहेगा।‘’
शुक्रवार को जो हुआ उससे यह कहा जा सकता है कि शर्मिष्ठा की आशंका सच साबित हुई। प्रणव मुखर्जी के नागपुर से लौटने के 24 घंटे के भीतर ही एक तसवीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई जिसमें पूर्व राष्ट्रपति को आरएसएस के मंच पर काली टोपी लगाए संघ की परंपरागत मुद्रा में ध्वज प्रणाम करते हुए दिखाया गया है।
जिन लोगों ने गुरुवार को नागपुर का कार्यक्रम टेलीविजन पर लाइव देखा था वे अच्छी तरह जानते हैं कि जब संघ के ध्वज प्रणाम का कार्यक्रम चल रहा था तब संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत एवं संघ के अन्य पदाधिकारी तो ध्वज प्रणाम की मुद्रा में थे, लेकिन प्रणव मुखर्जी उस दौरान सामान्य मुद्रा में खड़े रहे थे।
शुक्रवार को जैसे ही प्रणव मुखर्जी का ‘ध्वज प्रणाम’ की मुद्रा वाला फोटो वायरल हुआ, हड़कंप मच गया और आरएसएस की ओर से सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने तत्काल इसका खंडन करते हुए इसे ‘विघटनकारी राजनीति’ करने वालों की साजिश बताया।
वैद्य ने कहा कि ‘’विघटनकारी राजनीतिक ताकतों ने यह फर्जी फोटो जारी किया है। ये वे ही लोग हैं जिन्होंने प्रणव मुखर्जी को पहले संघ के कार्यक्रम में शामिल होने से रोकने की भरपूर कोशिश की, और अब ऐसे ही हताश लोग संघ को बदनाम करने के लिए ऐसी गंदी हरकतें कर रहे हैं। हम ऐसे तत्वों और उनकी करतूतों की घोर निंदा करते हैं।‘’
लेकिन इस बार भी जो नुकसान होना था वो हो गया। अपने पिता को सचेत करने वाली शर्मिष्ठा ने ट्वीट किया- ‘’देख लीजिए, इसी बात का मुझे डर था और इसीलिए मैंने अपने पिता को सचेत किया था। अभी कुछ ही घंटे बीते हैं लेकिन भाजपा/आरएसएस के ‘डर्टी ट्रिक्स‘ विभाग ने पूरी ताकत से अपना काम शुरू कर दिया है।‘’
राजनीति में ऐसी बातों के तीर जब कमान से छूट जाते हैं तो कहना मुश्किल होता है कि वे कहां जाकर गिरेंगे और किस किस को घायल करेंगे। जैसे ही शर्मिष्ठा ट्वीट आया भाजपा महिला मोर्चे की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रीति गांधी मामले में कूद पड़ीं।
प्रीति गांधी ने उलटे शर्मिष्ठा को ही कठघरे में खड़ा करते हुए आरोप जड़ दिया कि- ‘’इस बात की पूरी संभावना है कि आपने खुद ही इन फोटो को तोड़ा-मरोड़ा हो, ताकि आप अपने पिता के सामने खुद को सही साबित कर सकें। आपने इस मुद्दे पर काफी हल्ला मचाया था, लेकिन आपकी बात मानने को कोई राजी नहीं है।‘’
और जब बात उठी तो बाकी नेता भी कहां पीछे रहने वाले थे। कांग्रेस के नेता शकील अहमद ने भी ट्वीट कर डाला। उन्होंने कहा- ‘’शर्मिष्ठा की यह आशंका सौ फीसदी सच निकली, कि आपका भाषण भुला दिया जाएगा और तसवीरों का गलत इस्तेमाल होगा। प्रणव दा के लौटने के चंद मिनिटों बाद ही वे लोग काम पर लग गए हैं।‘’
अब कुछ दिनों तक तसवीरों की यह तोड़मरोड़ जारी रहेगी और साथ ही जारी रहेगी आरोप प्रत्यारोप वाले बयानों की झड़ी। मुश्किल यह है कि सबक कोई नहीं लेना चाहता। हर कोई दूसरे के दूध में मक्खी डालने को आतुर है। लेकिन ऐसी मक्खियां पालने वाले यह भूल जाते हैं कि मक्खी सिर्फ गुड़ पर ही नहीं बैठती …. पर भी बैठती है!!!