इंदौर के अमरेश मिश्रा का फोटो अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर सम्‍मानित

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अमरेश मिश्रा 

इंदौर के वाइल्‍ड लाइफ फोटोग्राफर अमरेश मिश्रा को अपने एक फोटो के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर सम्‍मान प्राप्‍त हुआ है। यह सम्‍मान उन्‍हें नेचर्स बेस्‍ट फोटोग्राफी मैगजीन और स्मिथसोनियन नैशनल म्‍यूजियम ऑफ नेचरल हिस्‍ट्री (वाशिंगटन) द्वारा संयुक्‍त रूप से आयोजित नेचर्स बेस्‍ट फोटोग्राफी एशिया अवार्ड के तहत मिला है।

ढलते सूर्य की पृष्‍ठभूमि में भरतपुर के केवलादेव पक्षी अभयारण्‍य में लिए गए डार्टर पक्षी के खुले डैनों वाले उनके फोटोग्राफ को नेचर्स बेस्‍ट फोटोग्राफी एशिया फोटो प्रतियोगिता की बर्ड कैटेगरी में अत्‍यंत प्रतिष्ठित फोटोग्राफ की श्रेणी में रखा गया है।यह प्रतियोगिता एशिया में रहने वाले फोटोग्राफरों के एशिया महाद्वीप में ही लिए गए प्रकृति और जीव जगत के बेहतरीन फोटो पर केंद्रित होती है।

इस फोटोग्राफ को स्मिथसोनियन नैशनल म्‍यूजियम ऑफ नेचरल हिस्‍ट्री (वाशिंगटन) में अक्‍टूबर में आयोजित होने वाली नेचर्स बेस्‍ट फोटोग्राफी वार्षिक प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा इसकी नुमाइश अगस्‍त में योकोहामा, जापान में होने वाली अंतर्राष्‍ट्रीय फोटो प्रदर्शनी में भी होगी।

इस फोटो के के पीछे की कहानी सुनाते हुए अमरेश मिश्रा ने मध्‍यमत डॉट कॉम को बताया कि यह फोटो उन्‍होंने पिछले वर्ष दिसंबर में राजस्‍थान के भरतपुर पक्षी अभयारण्‍य में लिया था। यह फोटो क्लिक करने के अनुभव सुनाते हुए उन्‍होंने कहा- मैं दो साल से इस तरह का शॉट लेने की कोशिश में लगा था। पिछली यात्रा के दौरान भी मैंने चार दिन इसके लिए कोशिश की कि काश कोई पक्षी उस एंगल पर आकर बैठे जिस एंगल पर मैं फोटो शूट करना चाहता हूं। मैं सूर्यास्‍त की नारंगी पृष्‍ठभूमि में डार्टर पक्षी को अपने पूरे डैने फैलाए शूट करना चाहता था। मेरी तमाम दुआए नाकाम हो रही थीं और ऐसा लग रहा था कि शायद इस बार भी मुझे खाली हाथ ही लौटना होगा।

डार्टर पक्षी को सांप जैसी गर्दन होने के कारण ‘स्‍नैक बर्ड’ भी कहा जाता है। तालाब से निकलकर ये अपने पंख सुखाने के लिए पेड़ की डालों पर आकर बैठते हैं। मेरी मुराद थी कि कोई पक्षी उस पेड़ पर आकर बैठे जहां मैंने सूर्यास्‍त को पृष्‍ठभूमि में लेकर अपना विशेष एंगल सेट कर रखा है। उस शाम भी मैं इसी कोशिश में लगा था। उधर सूरज लगातार नीचे जा रहा था और लंबे इतजार के बावजूद किसी पक्षी के आने का कोई संकेत मुझे नहीं दिख रहा था।

निराशा घर कर रही थी कि अचानक एक पक्षी उड़ा और आकर ठीक मेरे सामने वाले पेड़ पर बैठ गया। मुझे मानो मुंहमांगी मुराद मिल गई। लेकिन वह पक्षी अभी भी काफी नीचे की ओर था। मैं दुआ करने लगा कि वह चार पांच फुट और ऊपर आ जाए तो तेरा काम बन जाए। और लगा जैसे ऊपर वाले के साथ साथ उस पक्षी ने भी मेरी फरियाद सुन ली। वह ठीक उस एंगल पर आ गया जहां मैं उसे देखना चाहता था। यह चंद पलों का खेल था। जैसे ही उसने डैने फैलाए, नीचे उतरते सूरज की गहरी लाली के बेकग्राउंड में मैंने उसे तत्‍काल क्लिक कर लिया और इस तरह हाथ आया यह बेहद रोमांचक और अवार्ड विनिंग फोटो।

 

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