रामदेव की कोरोना दवा पर सरकार का हथौड़ा

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नई दिल्‍ली/ भारत सरकार ने बाबा रामदेव को तगड़ा झटका देते हुए कोरोना के इलाज का दावा करने वाली उनकी कथित दवा ‘कोरोनिल’ के प्रचार प्रसार पर तत्‍काल रोक लगाने को कहा है। आयुष मंत्रालय ने बाबा की कंपनी पतंजलि से कहा है कि वह दवा के बारे में पूरी जानकारी उपलब्‍ध कराए और जब तक उस जानकारी का परीक्षण नहीं कर लिया जाता उसके बारे में दावा करने वाली कोई भी बात प्रचारित और प्रसारित न की जाए।

सरकार के नजदीक माने जाने वाले बाबा रामदेव के लिए आयुष मंत्रालय का यह आदेश बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। क्‍योंकि 23 जून को दोहपर में बाबा ने खुद कई टीवी चैनलों पर लाइव प्रकट होते हुए इस दवा के बारे में विस्‍तार से जानकारी देते हुए दावा किया था कि उनकी कंपनी के रिसर्च और ट्रायल से यह सिद्ध हुआ है कि इस दवा के प्रयोग से कोरोना के मरीज ठीक हो जाते हैं।

आयुष मंत्रलाय के आदेश के बारे में समाचार एजेंसी एएनआई ने एक ट्वीट किया है जो कहता है-

Ministry has taken cognizance of news in media about Ayurvedic medicines developed for #COVID19 treatment by Patanjali Ayurved Ltd. The company asked to provide details of medicines & to stop advertising/publicising such claims till issue is duly examined: Ministry of AYUSH

बाबा ने मीडिया के सामने दावा किया था कि पतंजलि दुनिया का पहला ऐसा संस्‍थान है जिसने कोरोना के इलाज का आयुर्वेदिक तरीका खोजा है। उन्‍होंने बताया था कि इस दवा का 100 मरीजों पर नियंत्रित क्लिनिकल ट्रायल किया गया। इस दौरान 69 फीसदी मरीज तीन दिन के भीतर और बाकी मरीज चार दिन के भीतर ठीक हो गए। इन सभी पॉजिटिव मरीजों की रिपोर्ट दवा के सेवन के बाद निगेटिव आई।

इससे पहले बाबा ने अपनी दवाई का प्रयोग मध्‍यप्रदेश के इंदौर में कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर करने की अनुमति जिला कलेक्‍टर से ले ली थी। उसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया था और चिकित्‍सा जगत के विशेषज्ञों का कहना था कि किसी भी दवा के मनुष्‍यों पर परीक्षण की एक नीति और कानून कायदे हैं। उनके पालन के बिना इस तरह के किसी भी परीक्षण की इजाजत नहीं दी जा सकती। विवाद बढ़ने के बाद इंदौर के जिला कलेक्‍टर मनीष सिंह ने बाबा की कंपनी को दी गई दवा ट्रायल की अनुमति को निरस्‍त कर दिया था।

जानकारों का कहना है कि भाजपा शासित मध्‍यप्रदेश में हुई यह घटना बाबा के लिए एक संकेत थी कि वे अपनी दवा को बाजार में लाने की इतनी जल्‍दबाजी न करें। लेकिन शायद अपने व्‍यावसायिक हितों को देखते हुए बाबा ने मोदी सरकार के साथ अपने संबंधों और संपर्कों के आधार पर इसे बगैर विधिवत प्रक्रिया के लांच कर दिया।

23 जून को जैसे ही दवा के लांच होने की खबर आई चिकित्‍सा जगत में हलचल हुई और लोगों ने सवाल पूछने शुरू कर दिए कि जब दुनिया भर में कोरोना की दवा पर अभी रिसर्च ही चल रहा है और किसी ने भी कोरोना का शत प्रतिशत इलाज करने वाली दवा बनाने का दावा नहीं किया है तो आखिर पतंजलि किस आधार पर ऐसी दवा बनाने का दावा करते हुए उसे बेचने जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार इस मामले में दवाओं के विज्ञापनों की निर्धारित प्रक्रिया का पालन न होने को लेकर भी कई सवाल उठाए गए। इसके बाद आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को इन्‍हीं नियमों का हवाला देते हुए बाबा को दवा का विज्ञापन करने से तत्‍काल रोक दिया और उनसे दवा का पूरा ब्‍योरा मांगने के साथ ही बाकी जानकारी भी चाही गई है।

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