छत्‍तीसगढ़ में अलग तरह की गवर्नर

रवि भोई

छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके के काम का अंदाज चर्चा का विषय बन गया है। इनके पहले यहां छह राज्यपाल रह चुके हैं, उनका कब एक साल या कार्यकाल पूरा हुआ, लोगों को पता ही नहीं चला। सुश्री अनुसुइया उइके की  आम जनता और मीडिया से खुलकर बात करने व कभी-कभी सरकार की सांसे फुला देने की शैली ने लोगों का ध्यान  राजभवन की तरफ खींचा है। सरकार के करीबी लोगों पर आयकर के छापे के बाद मंत्रिमंडल का राजभवन की शरण में जाने की घटना हो या फिर विधेयकों की मंजूरी के लिए मंत्रियों का राजभवन पहुंचना, राज्यपाल की ताकत को बयां करता है। एक साल में राजभवन और सरकार में खट्टे-मीठे रिश्तों की गूंज के बाद 29 जुलाई को पहली वर्षगांठ पर राज्यपाल को बधाई देने के लिए मंत्री रविंद्र चौबे का जाना कई संदेश भी दे गया। एक बात तो साफ़ है कि सुश्री अनुसुइया उइके ने यह तो बता दिया कि किसी संस्था को कितना महत्वपूर्ण बनाना है, यह वहां बैठे व्यक्ति पर निर्भर करता है। सुश्री उइके के काम के अंदाज को लेकर लोग राजनीतिक मायने भी निकालने लगे हैं।

कौन होगा अगला मुख्य सचिव?
छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव आर.पी. मंडल नवंबर में रिटायर होने वाले हैं। रिटायरमेंट को अभी चार महीने बचे हैं, लेकिन नए मुख्य सचिव को लेकर कयासबाजी शुरू हो गई है। नए मुख्य सचिव के लिए अपर मुख्य सचिव अमिताभ जैन और सुब्रत साहू का नाम चर्चा में है। 1989 बैच के आईएएस अमिताभ जैन जून 2025 में रिटायर होंगे। 1992 बैच के आईएएस सुब्रत साहू जुलाई 2028 तक सेवा में रहेंगे। सुब्रत साहू अभी गृह और ऊर्जा के साथ मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव भी हैं, इस कारण उन्हें मुख्यमंत्री का करीबी माना जा रहा है। इनके पिता भी ओडिशा के मुख्य सचिव रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ के रहने वाले अमिताभ जैन के मुकाबले सुब्रत साहू को रेस में आगे बताया जा रहा है, लेकिन सुब्रत साहू की सेवा अभी 28 साल ही हुई है। मुख्य सचिव के लिए न्यूनतम सेवा 30 वर्ष होना जरुरी है। चाहे तो भारत सरकार इसमें छूट दे सकती है। अब देखते हैं चार महीने बाद क्या फार्मूला फिट होता है। वैसे आरपी मंडल की बैच के अफसर सीके खेतान भी हैं, वरिष्ठता सूची में श्री खेतान का नाम ऊपर होने के बाद भी भूपेश सरकार ने उन्हें चीफ सेक्रेटरी नहीं बनाया, इसलिए उन्हें आठ महीने के लिए जिम्मेदारी मिलेगी, इसकी उम्मीद कम लगती है। श्री खेतान जुलाई 2021 में रिटायर होंगे।

मंत्री के दरबार में न्याय की गुहार
कहते हैं गांवों को शहरों से जोड़ने और उनके विकास का ठेका दिलाने के लिए मंत्री के एक विशेष सहायक ने दो-तीन ठेकेदारों से एडवांस ले लिया, लेकिन ठेकेदारों को काम मिला नहीं। अपने खास ठेकेदारों को काम दिलाने के लिए विशेष सहायक ने संबंधित विभाग के अफसर को ताकीद भी कर दिया था। लेकिन अफसर ने ऐसा खेल खेला कि उन्हीं ठेकेदारों को काम नहीं मिला। विशेष सहायक ने ठेका देने के लिए जिस अफसर को ताकीद किया था, वे एक भाजपा नेता के रिश्तेदार हैं और अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी कहे जाते हैं। इस कारण विशेष सहायक उस अफसर को कुछ कह नहीं पाए और उनका कुछ कर भी नहीं पाए। काम न मिलने के बाद ठेकेदार ने विशेष सहायक से एडवांस वापस करने की मांग की। कहते हैं विशेष सहायक साहब एडवांस लौटाने में आगे-पीछे हुए तो ठेकेदार ने मंत्री जी के पास पहुंचकर सारी  चीजों की जानकारी दी और उनका एडवांस लौटने का आग्रह किया। एडवांस वापस मिला या नहीं, इसकी खबर तो बाहर नहीं आई, लेकिन विशेष सहायक के पर कतरे जाने की खबर जरूर आई।

संस्कृति परिषद की कमान पत्रकार को?
भूपेश बघेल की सरकार ने राज्य की करीब नौ संस्थाओं का एकीकरण कर छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन का फैसला किया है। इस परिषद के गठन से कुछ अकादमी और पीठ के साथ नाच-गाने की संस्थाओं का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।  अभी अलग-अलग संस्थाएं होने से उनके मुखिया भी अलग-अलग हैं। सरकार के फैसले से उनमें खलबली मच गई है।  संस्कृति परिषद का स्वरूप अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है, पर अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ यह अस्तित्व में आ जाएगा। कहते हैं परिषद के अध्यक्ष के लिए एक वरिष्ठ पत्रकार का नाम चल रहा है। भूपेश बघेल सरकार में अभी तीन पत्रकार मुख्यमंत्री के सलाहकार हैं। परिषद का अध्यक्ष भी कोई पत्रकार बनता है, तो पत्रकारों के लिए नया रास्ता ही खुलेगा।

फोन टेप का सच
फोन टेप का मसला हमेशा राजनीतिक मुद्दा बन जाता है। सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो, विरोधी दल सरकार पर उनके नेताओं के फोन टेप का आरोप तो लगाता है। छत्तीसगढ़ में भी फोन टेप को लेकर राजनीति गर्म ही रहती है। हल्ला है कि यहाँ भी कुछ नेताओं और पत्रकारों के फोन हाल ही के दिनों में टेप किए गए। यह कितना सच है, इसकी कोई पुष्टि तो नहीं कर रहा है, लेकिन फोन टेप की आशंका पर एक पत्रकार एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से भिड़ गए और भारत सरकार के कार्मिक व गृह मंत्रालय से इस बारे में उनकी  शिकायत की बात भी कह दी।

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