ताजा हालात पर एक सुंदर कविता

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बेटे से बतरस 
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उठा-पटक ”जारी” है बेटा
कुर्सी पर ”भारी” है बेटा
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नहीं टिकी सरकार ढाई दिन
बीजेपी ”हारी” है बेटा
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कांग्रेस खुश है थोड़ी सी
अब उसकी ”बारी” है बेटा
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कर्नाटक क्या,सकल देश को
”सत्ता” ही ”प्यारी” है बेटा
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”मंदी’ ‘ है घोड़ा बजार में
पीड़ित ”व्यापारी” है बेटा
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लोकतंत्र है ज़िंदा फिर भी
सबका ”आभारी” है बेटा
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नैतिकता के नए तकाजे
गढ़ना ”लाचारी” है बेटा
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नए जमाने में ”नेताजी”
मान नहीं ”गारी” है बेटा
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(@ राकेश अचल की फेसबुक वॉल से साभार)

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