भोपाल, मई 2013/ मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जहाँ त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं के लेखांकन तथा अंकेक्षण की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चत करते हुए चालू माली साल के लेखाओं के समवर्ती अंकेक्षण (Concurrent Audit) का कार्य शुरू किया जा रहा है। प्रदेश की सभी त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं में धनराशि का लेन-देन अब अनिवार्य रूप से इलेक्ट्रानिक माध्यम से ही होगा।
13 वें वित्त आयोग तथा योजना आयोग द्वारा स्थानीय निकायों की लेखा तथा अंकेक्षण व्यवस्था को लेकर दिए गए निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया गया हैं। अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्रीमती अरूणा शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में लेखांकन तथा अंकेक्षण कार्यों को निर्धारित समय-सीमा में संम्पन्न किये जाने के बारे में व्यापक दिशा निर्देश दिये गये।
अब त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं के लेखांकन और अंकेक्षण को अनिवार्य किया गया है। पिछले वित्त वर्ष का अंकेक्षण अगस्त 2013 तक अनिवार्य रूप से करना होगा। सभी ग्राम, जनपद और जिला-पंचायत तथा राज्य मुख्यालय पर चालू वित्तीय वर्ष के लेखाओं के समवर्त्ती अंकेक्षण की कार्यवाही नियमित रूप से हर माह अनिवार्य रूप से की जायेगी।
लेखांकन तथा अंकेक्षण के समयबद्ध क्रियान्वयन के लिये सभी संभाग मुख्यालय पर एक-एक सीए एजेंसी की नियुक्ति की गई है। प्रत्येक जिले में एक सीए, जनपद मुख्यालय पर एक इंटरमीडियट योग्यताधारी सीए तथा हर पन्द्रह ग्राम पंचायत के समूह पर एक-एक आर्टिकलशिप कर रहे प्रशिक्षु सीए अथवा आर्टिकल क्लर्क को नियुक्त किया जा रहा है। लेखा तथा अंकेक्षण इन कार्यों पर विभाग द्वारा करीब 16 करोड़ 50 लाख की राशि खर्च की जायेगी।