भोपाल, जनवरी 2013/ प्रदेश में विद्युत की बढ़ती हुई माँग को देखते हुए बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता बढ़ाने के सघन प्रयास किये जा रहे हैं। वर्तमान में उपलब्ध विद्युत क्षमता 9453 मेगावॉट हो गई है। इसमें केन्द्रीय उपक्रमों की क्षमता 2940 मेगावॉट शामिल है। वित्तीय वर्ष 2014-15 के अंत तक लगभग विद्युत क्षमता में लगभग 7012 मेगावॉट की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। बिजली उत्पादन क्षमता वृद्धि में केन्द्रीय परियोजनाएँ, निजी क्षेत्र की ताप विद्युत परियोजनाएँ आदि का कार्य प्रगति पर है।
विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि के अंतर्गत प्रमुख रूप से मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कम्पनी की 1200 मेगावॉट की श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना तथा सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारणी में 500 मेगावॉट की विस्तार इकाइयाँ हैं। इनका कार्य प्रगति पर है। साथ ही निजी क्षेत्र की ताप विद्युत परियोजनाओं में एस्सार की सिंगरोली में 1200 मेगावॉट, जे.पी. नीगरी, सिंगरोली 1320 मेगावॉट, जे.पी. बीना 2×250 मेगावॉट, बी.एल.ए. नरसिंहपुर 45 मेगावॉट, झाबुआ पॉवर सिवनी 1260 मेगावॉट तथा मोजरबेयर का अनूपपुर का 1200 मेगावॉट का संयंत्र शामिल हैं।
इसी प्रकार दादा धूनीवाले खण्डवा पॉवर लिमिटेड द्वारा खण्डवा जिले में 1600 मेगावॉट क्षमता की ताप विद्युत परियोजना की स्थापना के लिये प्रारंभिक कार्यवाहियाँ भी की जा रही हैं। इसके अलावा पॉवर जनरेटिंग कम्पनी द्वारा श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना के द्वितीय चरण में 1320 मेगावॉट क्षमता की सुपर क्रिटिकल तकनीकी पर आधारित ताप विद्युत परियोजना की स्थापना करने के लिये कार्यवाही शुरू की गई है। परियोजना के लिये वित्तीय लेखाबंदी प्राप्त हो गई है। भारत सरकार से परियोजना के लिये शीघ्र कोल लिंकेज अपेक्षित है।
राज्य में ताप विद्युत परियोजनाओं की स्थापना के लिये निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिये जारी की गई नीति के तहत 38 निजी कम्पनियों से करीब 61 हजार 800 मेगावॉट की परियोजना की स्थापना के लिये राज्य शासन के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किये गये हैं। इनके क्रियान्वयन से प्रदेश में विद्युत की उपलब्धता में बढ़ोत्तरी होगी। इनमें से दो परियोजनाओं से बिजली उत्पादन प्रारंभ हो गया है। साथ ही प्रदेश को उत्पादित विद्युत का आवंटित अंश मिलना भी शुरू हो गया है।