भोपाल, जनवरी 2013/ मध्यप्रदेश में वर्ष 2012 के दौरान अल्पसंख्यकों की बेहतरी के लिये अनेक अहम फैसले लेकर उनकी सहूलियतों में इजाफा किया गया। खत्म होने जा रहे साल में जहाँ भोपाल, इंदौर में हज हाउस को तामीर करने की पहल शुरू हुई, वहीं वक्फ बोर्ड सहित अन्य इदारों के काम भी तेजी से जारी है।
इसी साल मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड 15 हजार जायदाद को कम्प्यूटराईज्ड करने वाला पहला सूबा बना। वक्फ, नई दिल्ली द्वारा अपनी स्टेटस रिपोर्ट में मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड को रिकार्ड डिजिटाईजेशन में देश का सबसे अव्वल बोर्ड करार दिया गया। अल्पसंख्यकों की तालीम के लिए बेहतर कार्यों को अंजाम देने के साथ-साथ लक्ष्य से अधिक स्कालरशिप तकसीम की गयी। हज यात्रियों के लिए प्रदेश में दो इम्बारकेशन पाइंट बनाये गये। एक भोपाल में तो दूसरा इंदौर में। दोनों जगह हज हाउस की तामीरी को गति दी गई। हज यात्रियों के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा किये गये इंतजामात की तारीफ केन्द्रीय हज कमेटी और सउदी अरब सरकार ने भी की। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी मध्यप्रदेश में अल्पसंख्यकों की बेहतरी के कदमों की तारीफ करते हुए मुबारकबाद का खत लिखा।
प्रदेश सरकार ने हज यात्रियों की सहूलियत के लिए भोपाल एवं इन्दौर में हज हाउस को तामीर करने के लिए चालू साल के बजट में भरपूर राशि का भी इंतजाम किया। भोपाल में सिंगारचौली ग्राम में 2.01 एकड़ भूमि पर हज हाउस तामीर होगा। हाउस की लागत 6 करोड़ 11 लाख रुपये आयेगी।
साल 2012 में मध्यप्रदेश सरकार की पहल पर भारत सरकार ने हज यात्रियों का कोटा भी बढ़ाया। पूर्व में 3,169 व्यक्तियों को हज पर भेजने का कोटा मंजूर किया गया था। केन्द्र ने वेटिंग लिस्ट में शामिल 1,165 आवेदक को भी हज पर जाने की मंजूरी दी। इस तरह चालू साल में प्रदेश से 4,117 हज यात्री हज पर भेजे गये। इसके साथ ही सभी हज यात्रियों को सउदी अरब में चलने वाली मोबाइल सिम कार्ड भी मुहैया करवाई गई।
मध्यप्रदेश सरकार ने अल्पसंख्यक वर्ग की जानी-मानी हस्तियों के नाम पर जहीन बच्चों को सम्मानित करने की पहल की। मध्यप्रदेश पहला सूबा भी इस दौरान बना जहाँ समाज सेवा के लिए शहीद अशफाक उल्ला खाँ, सर्वधर्म समभाव के लिए कैप्टन हमीद और उर्दू अदब के लिए डॉ. अबुल कलाम आजाद अवार्ड कायम किये गये। इतना ही नहीं राज्य सरकार ने अल्पसंख्यकों की बेहतरी से जुड़े इदारों के बजट में 55 करोड़ रुपये का इजाफा भी किया। इसी साल सभी जिलों में पिछड़ा और अल्पसंख्यक कल्याण वर्ग के दफ्तर भी शुरू किये गये।