बेटी के नाम पांचवीं पाती
प्रिय मुनिया,
तुम्हें यह पांचवीं पाती लिखते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है। क्योंकि तुम्हारे लाड़-प्यार की चाशनी में डूबे ये आधे-अधूरे अल्फाज़ शायद रस्म अदायगी नहीं रह जाएंगे। तुम्हारी मोहब्बत मेरे लापरवाह रवैये पर भारी पड़ रही है। शायद इसीलिए तुम्हें चिट्ठियाँ लिखने का सिलसिला रुक-रुक कर ही सही चल रहा है। मेरी गिलहरी तुम आज 27 जनवरी 2023 को एक साल की हो गई हो। अब तुम घुटनों के बल चलना सीख गई हो। जल्द ही तुम अपने पैरों पर चल रही होगी। तुम्हें यूं देखना कितना सुखद है। इसका तुम अंदाजा भी नहीं सकती हो।
जिंदगी के कुछ गिने-चुने सुनहरे पल अमिट स्मृतियों के रूप में सदा के लिए मन में कैद हो जाते हैं। तुम्हें पहली बार गोद में लेकर जो अहसास हुआ था, ये ठीक वैसा ही है। मैं तुम्हें यह पांचवां पत्र तुम्हारे दो माह की पूरा होने पर मार्च 2022 में लिखना चाह रहा था, लेकिन यह सम्भव नहीं हो सका। अब ये तुम्हारे 2 माह पूरे करने की जगह तुम्हारे एक वर्ष पूरे करने पर करीब दस माह बाद लिख रहा हूँ। इसके लिए मैं माफ़ी चाहता हूँ। सच कहूं तो यह समय मैंने ज्यादार तुम्हारे साथ वक्त बिताने में खर्च किया है। इसलिए मुझे इसकी परवाह बिल्कुल नहीं है कि इस बीच मुझसे क्या छूट गया है। ईश्वर तुम्हें लंबी उम्र प्रदान करे।
प्यारी मुनिया, बीते 10 माह में बहुत कुछ बदल गया है। मैं इस पत्र में देश-दुनिया की बात नहीं करूंगा। क्योंकि तुम्हारे साथ बीत रहा वक्त मेरे लिये सबसे मूल्यवान है। मैं लाख चाह लूं कि तुम्हें पहली बार गोद में भरने का पल वापस आ जाये, लेकिन वो नहीं आएगा। इसलिये तुम्हारी पहली करवट से लेकर उठकर बैठने और घुटनों के बल चलने तक का हर एक पल समेटने में ही मेरा सारा वक्त चला गया।
आगे समाचार यह है कि तुम अपने पहले जन्म दिन पर लम्बा सफर तय करके डेढ़ माह बाद नाना-नानी के घर से वापस सतना पहुंची हो। तुम्हारी माँ भी तुम्हारे पहले जन्म दिन पर यहां नहीं है। इसलिए पहले जन्म दिवस को कुछ अलग तरह से मनाया गया है। तुम्हारे पहले जन्म दिन पर हमने कुछ देने की पहल शुरू की है। मैं इसका और अधिक विस्तार पत्र में नहीं लिखूंगा। बस इतना कहूंगा कि यदि जरूरतमंद और गरीब लोगों की किसी तरह मदद कर सको तो अवश्य करना। उम्मीद है कि तुम इसे और आगे ले जाओगी।
मुनिया.. मेरी जान! तुम्हें यह जानकर खुशी होगी कि तुमने अपनी पहली यात्रा महज डेढ़ माह की उम्र में की थी। तब सतना से वाया लखनऊ होते हुए तुम 2022 की होली के ठीक बाद अहमदाबाद पहुंची थी। इतनी कम उम्र में तुमने देश के 3 राज्यों की सीमाओं को अपने नन्हें कदमों से छुआ था। और अब एक साल पूरे होने पर तुमने 4 राज्यों और लगभग आधा दर्जन शहरों की आबोहवा का लुत्फ लिया है।
मेरी नन्ही गिलहरी, पिछली बार तुमने नाना-नानी के घर से वापस आने में एक ही पखवाड़े का समय लिया था। इस बार तुम लगभग डेढ़ माह बाद नानी के घर से वापस आई हो। इस दौरान समय बस तुम्हें याद करते हुए बीता। घर में अक्सर तुम्हारी कमी खलती रही। मेरी जान तुम्हारे साथ बीते वक्त की कुछ स्मृतियों को तस्वीरों में कैद करने के लिए तुम्हारी माँ और मौसी ने सैकड़ों तस्वीरें उतारी हैं, जिन्हें आगे चलकर तुम देख पाओगी। तुम्हारी खूब सुंदर-सुंदर तस्वीरें पाकर तुम्हें खुशी होगी। इस पत्र के साथ तुम्हें इस वक्त की खूबसूरत यादों में लिपटी ये तस्वीरें मिलेंगी, जो तुम्हारे लिए यादगार साबित होंगी।
मेरी गिलहरी तुम आज पूरे एक साल की हो गई हो। तुमने यूं फुदकते-फुदकते मेरी रूह को जन्नत अता की है। तुम्हें पाने का वो सुखद पल याद करता हूँ, तो लगता है कि जब जिंदगी आशिकाना हो जाये, प्रेम की बूंदों ने जीवन का अंकुर फोड़ा हो, ऐसा पल स्वर्णिम होकर अमर हो जाता है। क्योंकि जब बेटियां घर आती हैं, तो लगता है कि माँ गोद में आ जाती है। और माँ को पाने का अहसास शब्दों से बयान कर पाने का सामर्थ्य मुझमें नहीं है। इसलिए हमारी जिंदगी में होने के लिये तुम्हारा शुक्रिया। तुम्हें ढेर सारा प्यार और दुलार मेरी गिलहरी मम्मा-पापा लव्स यू…
शुभाशीष। ईश्वर तुम्हें लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन प्रदान करें। शेष अगले पत्र में।
– तुम्हारा पिता