गणतंत्र दिवस पर मध्यमत ने संविधान और राष्ट्र को लेकर युवाओं के विचार प्रकाशित करने का क्रम शुरू किया है। उसी के अंतर्गत पढिये युवाओं के विचार।- संपादक
संजना मौर्य
वैसे तो भारत में 29 राज्यों और 130 करोड़ से ज़्यादा की जनसंख्या सहित 22 भाषाओं को संभालते हुए संविधान पूरे 74 साल का हो चुका है। किसी के लिए ये वृद्धावस्था की दहलीज़ पर पहुंच चुका है और कई लोग इसमें परिवर्तन की मांग करते हैं। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि भारत की नींव को लोकतंत्र से सींच कर संविधान ने ही भारत को जकड़ा हुआ है।
पूरे विश्व में किसी भी देश को सही तरीके से चलाने के लिए संविधान की जरूरत पड़ती है। संविधान हमेशा लोगों को नियमों के दायरे में रहते हुए कार्य करने की आजादी देता है। नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा संविधान ही करता है। भारतीय संविधान यह भी सुनिश्चित करता है कि कोई भी एक ताकतवर समूह किसी दूसरे कमज़ोर समूह पर अपनी ताकत का उपयोग न कर सके।
आज के युवाओं को अपने अधिकारों के बारे में पता ही नहीं है, जिसके कारण युवा कई प्रकार की अनहोनी का शिकार हो जाते हैं। लेकिन अब समाज और युवा को संविधान के नियमों का पालन करना होगा इसलिए युवाओं को अब अपने अधिकारों के लिए जाग जाना चाहिए। हालांकि सच्चाई तो ये है कि केवल 63 प्रतिशत युवाओं को पता है कि संविधान एक नियमों की किताब है, जबकि 17 प्रतिशत युवाओं को पता नहीं कि आख़िर संविधान में लिखा क्या है। यह एक गंभीर मुद्दा है कि देश के युवाओं को अपने हक़ के बारे में पता ही नहीं है। संविधान केवल एक लिखी हुए किताब मात्र नहीं है, बल्कि देश के हर नागरिक के लिए एक नियमावली और देश को सुचारू रूप से चलाने वाली नीति है जिसको अपना कर आप एक सफल और सहज जीवन गुज़ार सकते हैं।
नोट- मध्यमत के युवा पाठक भी इस कॉलम में संविधान और राष्ट्र से जुडे अपने विचार प्रेषित कर सकते हैं। हम चुनिंदा विचारों को यहां प्रकाशित करेंगे। – संपादक