राकेश दुबे

और अब कांग्रेस यानि राहुल गांधी ने भी भारतीय सेना, वायुसेना का सम्मान करते हुए भारतीय सुरक्षा बलों से उसके शौर्य के सुबूत माँगने से किनारा कर लिया है। अब सबूत माँगने वाले दो ही बाक़ी बचे हैं। पहला पाकिस्तान और दूसरे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह। दोनों के अपने-अपने कारण हैं। कांग्रेस अर्थात् राहुल गांधी ने तो साफ़ पल्ला झाड़ लिया है। भाजपा ने दिग्विजय के इस बयान का कारण गिना दिया है।

भाजपा का कहना है कि मोदी जी से नफरत करते करते दिग्विजय सिंह को अपनी जिम्मेदारी का अहसास नहीं है। दिग्विजय सिंह को अब भी विश्वास होगा या नहीं कहना मुश्किल है, इसलिए यह दोहराना ज़रूरी है कि कैसे भारतीय सुरक्षा बल पाकिस्तानी आतंकवादियों के लिए काल साबित हुए थे।

14 फरवरी 2019 सब कुछ सामान्य था कि अचानक दोपहर को एक दिल दहला देने वाली खबर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा से आई जहाँ आतंकवादी आदिल अहमद डार ने श्रीनगर जम्मू हाईवे पर सीआरपीएफ की बस को अपनी उस कार से टक्कर मार दी जोकि विस्फोटकों से भरी हुई थी। टक्कर से बस और कार के परखच्चे उड़ गये और क्षण भर में हमारे 40 जवान शहीद हो गये थे।

इस घटना ने पूरे देश में गुस्सा व्याप्त कर दिया था, देश के हर नागरिक का खून उबाल मार रहा था। भारत में आम चुनाव की सरगर्मियों के बीच अचानक देश की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा बन गयी थी। तब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकारा था कि देशवासियों का यह गुस्सा और नाराजगी जायज है। और शायद यही पहला मौका रहा जब आतंकवादी हमले की सरकार ने कड़ी निंदा करने का बयान जारी करने के बजाय कहा कि ‘बदला लिया जायेगा’। इसके बाद कार्रवाई के लिए समय और स्थान सेना को ही तय करना था।

भारत कोई कार्रवाई नहीं करे, इसके लिए पाकिस्तान अमेरिका सहित अन्य देशों से दबाव डलवाने या भारत को समझाने-बुझाने का प्रयास करने लगा। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि भारत कुछ बड़ा करने वाला है। फरवरी माह की 26 तारीख को वह दिन आ गया। जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान पर बड़ी कार्रवाई करते हुए बालाकोट में जब्बा टॉप पर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी कैम्पों को तबाह कर दिया।

पाकिस्तान इस हमले से तिलमिला उठा और उसीने सबसे पहले यह खबर दुनिया को दी कि भारतीय वायुसेना के विमानों ने उसके क्षेत्र में प्रवेश किया और कुछ पेड़ों को ही नुकसान हुआ है। उस दिन से कुछ सबूत जो आज भी मीडिया की दुनिया में तैर रहे हैं।
1. पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जब्बा टॉप जहाँ जैश-ए-मोहम्मद का आतंकवादी प्रशिक्षण कैम्प स्थित था, जग ज़ाहिर है ।
2. भारतीय वायुसेना ने जिन्‍हें अपना निशाना बनाने के लिए चुना था, उनमें मुजाहिद होस्टल, यंग ट्रेनी हॉस्टल, और ट्रेनर एकोमोडेशन थे।
3. भारतीय वायु सेना ने बालाकोट में हमले के लिए 12 मिराज-2000 फाइटर जेटों को भेजा था। 26 फरवरी को तड़के 3.30 बजे 12 मिराज-2000 ने अलग-अलग एयर बेस से उड़ान भरी थी। ये फाइटर जेट पाकिस्तानी सीमा में घुसे और खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर बम बरसाना शुरू कर दिया।

तब छपी रिपोर्टों के मुताबिक आतंकवादियों के ठिकानों पर 5 स्पाइस 2000 बम फेंके गये। इसमें से 4 बम उन भवनों पर गिरे थे, जहां आतंकवादी सो रहे थे। हमला करने के बाद भारतीय वायुसेना के सभी विमान अपने एयरबेस पर सुरक्षित लौट आये।

भारतीय वायुसेना ने जिन जगहों को निशाना बनाया बाद में उन्हें ठीकठाक किया गया और पाकिस्तान की ओर से झूठ का पहाड़ खड़ा करने की कोशिश की गयी। सवाल यह भी उठा कि अगर भारतीय वायुसेना ने बम गिराये थे तो बिल्डिंग को नुकसान क्यों नहीं पहुँचा। सीरिया में इजराइल की ओर से गिराये गये स्पाइस बम के बाद की तसवीर देखें तो सबकुछ समझ आ जाता है।

दरअसल स्पाइस बम अपने लक्ष्य पर सीधा हमला करता है और इसका अटैक बड़ा शॉर्प होता है। इसके जरिये आतंकवादियों को मारने का लक्ष्य हासिल करना था ना कि इमारत को गिराने का। स्पाइस 2000 की खासियत ही यही है कि ये घर के अंदर घुसकर फटता है और बिल्डिंग को कोई नुकसान पहुंचाए बिना टारगेट को खत्म कर देता है। भारतीय वायुसेना ने जब आतंकवादियों की मौजूदगी वाले मदरसे पर हुए हमले के दौरान मिसाइल रूपी स्पाइस बम गिराया तो यह छत भेद के अंदर फटी थी।

अब बात दिग्विजय सिंह के बयान की, जो पढ़ते खूब हैं और राजनीति उससे कई गुना ज़्यादा करते हैं। सब जानते हैं कि तीन साल पहले अक्तूबर में भारतीय वायुसेना ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें एयरस्ट्राइक की पूरी प्रक्रिया को दिखाते हुए बताया गया था कि कैसे बालाकोट में आतंकी अड्डों पर बम बरसाए गए थे। वीडियो में दिखाया गया था कि बालाकोट में एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने अगले दिन भारतीय वायुक्षेत्र में घुसने की कोशिश की थी लेकिन भारतीय वायुसेना के जवानों ने उन्हें खदेड़कर बाहर कर दिया था।

इसके बाद दुश्मन देश को और देश में राजनीति कर रहे चंद नेताओं को यह जान लेना चाहिए कि भारतीय सैनिक और भारत के नागरिक हर स्थिति का सामना करने के लिए सदा तैयार रहते हैं। हर दुस्साहस का मुँहतोड़ जवाब देना और वह भी दुश्मन के घर में घुसकर, उसका मजा ही कुछ और है। जो अब तक लिखा पढ़ा है, पत्थर पर लिखी इबारत है। तो बेहतर होगा खुद भी भ्रमित न हों, देश को भी न करें।(मध्यमत)
डिस्‍क्‍लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता, सटीकता व तथ्यात्मकता के लिए लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए मध्यमत किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है। यदि लेख पर आपके कोई विचार हों या आपको आपत्ति हो तो हमें जरूर लिखें।-संपादक

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