शिवराज सिंह चौहान
और यह क्या तुम सुनते नहीं
विधाता का मंगल वरदान,
शक्तिशाली हो, विजयी बनो
विश्व में गूंज रहा जय-गान।
जयशंकर प्रसाद जी की इस रचना और कल्पना के अनुरूप विश्व में गुंजायमान भारतीय प्रवासीजन 17वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर देश के स्वच्छतम् शहर इंदौर पधारे हैं। प्रवासी भारतीय दिवस के आयोजन की मेजबानी मध्यप्रदेश को मिलना गौरव और सौभाग्य की बात है। ‘अतिथि देवो भवः’ की संस्कृति के अनुरूप पूरा मध्यप्रदेश अतिथियों के स्वागत के लिए पलक पावड़े बिछाये तैयार है। 66 देशों से पधारे लगभग 3 हजार से अधिक अतिथियों का सान्निध्य पाकर प्रदेश में उमंग और उत्साह का माहौल है।
स्थानीय लोगों ने “पधारो म्हारे घर” के आत्मिक भाव के साथ अपने घरों में अतिथियों के निवास और मेहमाननवाज़ी की व्यवस्था की है। शून्य अपशिष्ट प्रबंधन के साथ यह आयोजन हमारे प्रदेश की विशेषताओं से विश्व को परिचित कराने का सुखद अवसर है। इससे भविष्य में प्रगति के नये आयाम विकसित होंगे। यह हमारे लिये आत्मीय आंनद का क्षण है कि इस आयोजन में माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी इंदौर पधार रहे हैं।
मुझे यह बताते हुए भी हर्ष का अनुभव हो रहा है कि दुनिया भर में रहने वाले भारतीयों से संवाद करने का यह अभिनव अभियान श्रद्धेय स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने वर्ष 2003 में शुरू किया था। अटलजी के इस अभियान को आगे बढ़ाने का कार्य हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है। “प्रवासी भारतीय दिवस” का यह अवसर भारतवंशियों को ऐसे सूत्र में पिरोता है, जो हमें अतीत और सांस्कृतिक एकत्व का स्मरण कराता है। यह समागम भारत के स्वर्णिम भविष्य की अनंत संभावनाओं की दस्तक दे रहा है।
प्रवासी भारतीय दिवस का मुख्य उद्देश्य प्रवासी भारतीय समुदाय की क्षमता, विशेषता और उपलब्धियों को दुनिया के सामने लाना है। यह आयोजन विश्व भर के भारतीयों के लिए एक साथ जुड़ने का अवसर है। इससे जहां दुनियाभर में निवासरत प्रवासी भारतीयों का बड़ा नेटवर्क बनाने में मदद मिली, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था को भी गति प्राप्त हुई है। हमारे लिये गर्व की बात है कि भारतीय युवा विश्व में नवाचारों और नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका में हैं, आयोजन का पहला दिवस ऐसे ही युवा प्रवासियों के लिये समर्पित रहा।
भारत के विकास में दुनिया भर के भारतीयों का योगदान अविस्मरणीय है। प्रवासी भारतीयों को भारत से जोड़ने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रमुख भूमिका है। वे जिस भी देश की यात्रा पर जाते हैं वहां प्रवासी भारतीयों के बीच भारत की विशिष्ट पहचान और आत्मीयता का भाव लेकर जाते हैं। प्रवासी भारतीयों का भारत की ओर बढ़ता हुआ आकर्षण प्रधानमंत्री जी की वैश्विक लोकप्रियता एवं निरंतर शक्तिशाली होते भारत का प्रमाण है। प्रवासी भारतीयों का जो प्रेम देश और मध्यप्रदेश की माटी के लिए है वह अद्भुत है।
मुझे संतोष है कि अपनी धरती को जब-जब जरूरत पड़ी है प्रवासी भारतीयों ने बांहें फैलाकर मदद की है। कोरोना के कठिन समय में प्रवासी भारतीय मित्र ऑक्सीजन, भोजन तथा दवा की व्यवस्था में सहभागी रहे हैं। यही नहीं रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के दौरान वहां अध्ययनरत् भारतीय छात्रों को सकुशल भारत वापस लाने में प्रवासी भारतीयों की सक्रिय भूमिका रही है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में वैभवशाली, गौरवशाली, संपन्न, समृद्ध और शक्तिशाली भारत का निर्माण हो रहा है। आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि भारत दुनिया का नंबर वन देश बनने में सफलता प्राप्त करेगा। पहले भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। देश ने फिर उस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। भारत के विकास और समृद्धि में मध्यप्रदेश अपना योगदान देने के लिए संकल्पित है। पर्यावरण की सुरक्षा और विश्व की प्रगति में भारत का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में देश को मिली जी-20 की अध्यक्षता में हम दुनिया को वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर की ओर ले जाने की दिशा में अग्रसर हैं। वसुधैव कुटुंबकम् के भारतीय दर्शन से समूचे विश्व को एक सूत्र में पिरोने का कार्य माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में किया जा रहा है।
भारत के औद्योगिक परिदृश्य में मानो क्रांति आ गई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बन गया है। प्रधानमंत्री जी के आह्वान “मेक इन इंडिया” के तहत देश में अनगिनत उत्पादों का निर्माण हो रहा है। मध्यप्रदेश में भी स्टार्टअप को आगे बढ़ाने की दिशा में हुए कार्यों के सुखद परिणाम सामने आने लगे हैं।
कोरोना के संकटकाल के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आपदा को अवसर में बदलने के लिए आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया। हम आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप बनाकर आगे बढ़ रहे हैं। मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास की ओर निरंतर अग्रसर है। यहां खनिज संपदा, जन संपदा, जल संपदा और वन संपदा परिपूर्ण है। मध्यप्रदेश में एक लाख 22 हजार एकड़ का लैंड बैंक, पर्याप्त पानी, बिजली, रोड नेटवर्क, दक्ष मानव संसाधन और शांतिपूर्ण वातावरण उपलब्ध है। पर्यटन की दृष्टि से भी प्रदेश, देश के समृद्ध राज्यों में से एक है। मध्यप्रदेश टाइगर और लेपर्ड स्टेट के साथ अब चीता स्टेट भी बन गया है। उज्जैन का श्री महाकाल लोक विश्व का ध्यान आकर्षित कर रहा है।
यह वर्ष आजादी का अमृतकाल है। स्वामी विवेकानंद जी का वैश्विक चिंतन, महात्मा गांधी जी और नेताजी सुभाषचंद्र बोस का नेतृत्व तथा वीर सावरकर, मेडम भीकाजी कामा, श्यामजी कृष्ण वर्मा, लाला हरदयाल, राजा महेन्द्र प्रताप सिंह, बरकतुल्लाह भोपाली, रास बिहारी बोस आदि की प्रेरणा से अनगिनत स्वाधीनता सेनानियों ने विदेशों में रहकर भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महती भूमिका निभाई है। यह अमृतकाल स्वतंत्रता के लिये बलिदान देने वाले अमर नायकों और स्वाधीनता सेनानियों को याद करने का भी अवसर है। अपने पूर्वजों के शौर्य, पराक्रम और बलिदान से प्रेरणा लेकर हम अपने और राष्ट्र निर्माण के लिए आगे बढ़ें।
मध्यप्रदेश में जितनी विशिष्टता है, उतना ही वैविध्य भी है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम प्रदेश की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं को दुनिया के सामने लाएं। मुझे पूरा विश्वास है कि प्रवासी भारतीय दिवस के आयोजन में दुनिया भर से आये अतिथि मध्यप्रदेश की अद्भुत विविधिता, विशिष्ट परंपरा और सांस्कृतिक समृद्धि की अनुभूति की स्मृतियां अपने साथ लेकर जायेंगे। मैं प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर पधारे अतिथियों का मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता की ओर से हृदय से स्वागत करता हूं।
(लेखक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।)