भारतभूषण आर. गांधी
हैडिंग पढ़कर शायद अजीब लगे लेकिन जो बात यहाँ साझा की जा रही है, पढने के बाद सभी उससे इत्तेफाक जरुर रखेंगे। और शायद एक बात यह भी ज़ेहन में उतार लेंगे कि अपराध की कोई जात नहीं होती अपराधी किसी भी जाति या मजहब का हो अपराधी ही होता है।
इन दिनों श्रद्धा मर्डर केस बहुत ज्यादा चर्चा में है, जिसका एकमात्र कारण यह है कि बड़े लोगों ने इसका उल्लेख बड़े मंचों से तरह-तरह के जुमलों और संज्ञाओं के साथ बहुत ज्यादा ही कर डाला है। इसी कारण छोटे-छोटे नगरों के अतिउत्साही लोगों ने आफताब को राक्षस ठहराने की बड़ी जिम्मेदारी उठा ली है।
नर्मदापुरम नगर में सोशल मीडिया के माध्यम से श्रद्धा को भावपूर्ण श्रद्धांजलि देने के कार्यक्रम में सनातनी लोगों शरीक होने और रैली निकालकर हत्यारे को फांसी की सजा का मांगपत्र प्रशासन को देने के लिए आमंत्रित किया गया। इसमें कोई बुरी बात भी नहीं है, आमजन में इस घटना का आक्रोश होना ही चाहिए। लेकिन रैली में झण्डे लहराकर जय श्री राम का नारा लगाना तो बिलकुल भी गले नहीं उतरता।
श्रद्धांजलि देने के लिए कैंडल जला लेते और शांतिपूर्वक प्रशासन से मांग कर लेते तो क्या चला जाता। जो कुछ भी घटित हुआ उसे देखकर कई लोगों के रिएक्शन आने लगे। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि उन्हें इस आयोजन के तरीके से ठेस पहुंची है। शायद उन्हें भी ठेस पहुंची होगी जो भगवान श्री राम के उपासक हैं या आस्था रखते हैं और साथ ही लोकतंत्र की थोड़ी बहुत समझ भी रखते हैं।
नर्मदापुरम जिले के एकमात्र आदिवासी ब्लाक की घटना पर रैलीकर्ताओं ने कुछ भी नहीं कहा। पुलिस सूत्रों के अनुसार आदिवासी ब्लाक केसला के एक गाँव में 7 साल की एक बच्ची के साथ दुष्कर्म करके हत्या करने की घटना को बच्ची के 22 वर्षीय फूफा ने अंजाम दिया है। आरोपी हिरासत में है। ऐसे में उस मासूम को श्रद्धांजलि न सही परिवार के प्रति संवेदना ही प्रकट हो जाती। अभी तो ऐसा लगा कि श्रद्धांजलि सभा आयोजक, चाहे किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक रखने वाले हों, दोनों अपराधियों के कृत्य को अमानवीय करार देने से चूक कर गए।
बहरहाल वो लोग जो भगवान श्रीराम के प्रति अपनी सच्ची निष्ठा रखते हैं, क्षुब्ध मन से अपनी बात कटाक्ष के साथ कह रहे हैं कि भगवान के लिए राम का नाम तो बदनाम न करो।
(मध्यमत)
डिस्क्लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता, सटीकता व तथ्यात्मकता के लिए लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए मध्यमत किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है। यदि लेख पर आपके कोई विचार हों या आपको आपत्ति हो तो हमें जरूर लिखें।
—————
नोट- मध्यमत में प्रकाशित आलेखों का आप उपयोग कर सकते हैं। आग्रह यही है कि प्रकाशन के दौरान लेखक का नाम और अंत में मध्यमत की क्रेडिट लाइन अवश्य दें और प्रकाशित सामग्री की एक प्रति/लिंक हमें [email protected] पर प्रेषित कर दें। – संपादक